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43 साल से चल रही समझौता एक्सप्रेस को PAK ने रोका, किसे ज्यादा नुकसान?

पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस बंद करके और कारोबारी रिश्तों को खत्म करके भारत का काम आसान कर दिया है. इससे कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को ही नुकसान होगा. संविधान विशेषज्ञ डीके दुबे का कहना है कि अब भारत के पास दुनिया को यह बताने का मौका मिल गया है कि पाकिस्तान द्विपक्षीय समझौतों को ही नहीं मान रहा है.

44 साल से चल रही समझौता एक्सप्रेस को पाकिस्तान ने रोका 44 साल से चल रही समझौता एक्सप्रेस को पाकिस्तान ने रोका
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान ने गुरुवार को सरहद पर समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया है. इसके बाद समझौता एक्सप्रेस अटारी वाघा बॉर्डर से वापस लौट आई. इसके बाद से लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि पाकिस्तान द्वारा समझौता एक्सप्रेस ट्रेन रोके जाने, हवाई मार्ग बंद किए जाने और कारोबारी रिश्ते खत्म करने से सबसे ज्यादा किसको नुकसान होगा.

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इस संबंध में संविधान विशेषज्ञ डीके दुबे का कहना है कि पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस रोककर और कारोबारी रिश्तों खत्म करके भारत का काम आसान कर दिया है. अगर भारत समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को रोकता और कारोबारी रिश्तों को समाप्त करता, तो पाकिस्तान मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जा सकता था. इससे सीमा पार से होने वाली तस्करी और आतंकी घुसपैठ रोकने में भी मदद मिलेगी.

दुबे का कहना है कि पाकिस्तान कंगाल हो चुका है. समझौता एक्सप्रेस बंद होने से भारत की करेंसी पाकिस्तान को नहीं मिलेगी, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा. जहां तक भारत की बात है, तो भारत किसी भी तरह से पाकिस्तान पर निर्भर नहीं है. इसके साथ ही पाकिस्तान के इस कारनामे से भारत को दुनिया को यह बताने का मौका मिल गया है कि पाकिस्तान जिस समझौते को करता है, वो उसी का पालन नहीं करता है.

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दुबे का कहना है कि पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस ट्रेन रोककर जुलाई 1972 में हुए द्विपक्षीय शिमला समझौते के शर्तों का उल्लंघन किया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द्विपक्षीय समझौते सबसे ज्यादा अहम माने जाते हैं. शिमला समझौते के तहत दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और रिश्तों को मजबूत करने के लिए समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को चलाया गया था. लिहाजा इसको फ्रेंडशिप एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है.

संविधान विशेषज्ञ दुबे के मुताबिक भारत और पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध के बाद शांति कायम करने और आपसी रिश्तों को सुधारने के लिए जुलाई 1972 में शिमला समझौता किया था. इस समझौते पर भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने दस्तखत किए थे. इसमें दोनों देश आपसी विवाद को मिलकर सुलझाने और लोगों के बीच जमीन, हवा और समुद्र मार्ग से संपर्क स्थापित करने के लिए राजी हुए थे.

आपको बता दें कि समझौता एक्सप्रेस ट्रेन 43 साल पहले 22 जुलाई 1976 को पहली बार रवाना हुई थी. शुरुआत में भारत के अमृतसर से पाकिस्तान के लाहौर के बीच रोजाना चलती थी, लेकिन 1994 में इस ट्रेन को सप्ताह में दो दिन मंगलवार और गुरुवार को चलाने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को दिल्ली से लाहौर तक चलाया जाने लगा.

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क्या है समझौता एक्सप्रेस ट्रेन

भारत और पाकिस्तान शिमला समझौते के तहत इस बात के लिए राजी हुए थे कि वे एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करेंगे. किसी के आंतरिक मामले में दखल नहीं देंगे. दुबे का कहना है कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर भारत के आंतरिक मामले में दखल दे रहा है, जो शिमला समझौते के खिलाफ है. प्रेसिडेंशियल ऑर्डर के बाद कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. लिहाजा अब इस मसले पर कोई देश दखल नहीं दे सकता है. अगर पाकिस्तान दखल देता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है.

शिमला समझौते में इस बात का भी जिक्र किया गया कि दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ प्रोपेगेंडा नहीं फैलाएंगे. शिमला समझौते के तहत दोनों देश आपसी विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए भी सहमत हुए. इस समझौते में इस बात पर जोर दिया गया कि दोनों देश आम लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने के लिए रिश्तों को मजबूत करने के लिए कदम उठाएंगे. इसमें सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाने को लेकर भी करार किया गया.

इसके अलावा कारोबार बढ़ाने के लिए भी दोनों देश कदम उठाएंगे. साथ ही विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आपसी आदान-प्रदान बढ़ाने को लेकर भी समझौता किया गया.

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