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पाकिस्तान: ईशनिंदा के 'गुनाह' में सजा-ए-मौत पा चुकी ईसाई महिला सुप्रीम कोर्ट से बरी

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून काफी सख्त माना जाता है. ऐसी सूरत में आसिया बीबी की रिहाई गंभीर घटना है जिसके नतीजे बड़े और हिंसक प्रदर्शन के रूप में देखे जा सकते हैं.

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट (फोटो-रॉयटर्स) पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट (फोटो-रॉयटर्स)
रविकांत सिंह
  • इस्लामाबाद,
  • 31 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को ईशनिंदा की आरोपी एक ईसाई महिला की फांसी की सजा को पलट दिया. अपने पड़ोसियों के साथ झगड़े के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था.

बीबी ने कोर्ट में और कोर्ट के बाहर हमेशा खुद को बेकसूर बताया. हालांकि, बीते आठ साल में उन्होंने अपना ज्यादातर समय एकांत कारावास में बिताया. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन काफी मजबूत है और आसिया बीबी के मामले ने लोगों को कई अलग खेमों में बांट दिया है. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार की अगुवाई वाली तीन सदस्यों की पीठ ने बुधवार सुबह अपना फैसला सुनाया. पीठ ने इस नतीजे पर पहुंचने के करीब तीन हफ्ते बाद इस पर फैसला सुनाया. फैसला आने में हो रही देरी को देखते हुए ईशनिंदा विरोधी कट्टरपंथियों ने प्रदर्शन की धमकी दी थी.

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चीफ जस्टिस निसार ने फैसले में कहा, ‘उनकी दोषसिद्धि को खारिज किया जाता है और अगर अन्य आरोपों के तहत जरूरी नहीं हो , तो उन्हें फौरन रिहा किया जाए.’ बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी जिसे 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था. बहरहाल हिंसा की आशंका को देखते हुए इस्लामाबाद में सुनवाई के दौरान कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे.

51 साल की आसिया बीबी को दस साल पहले मौत की सजा मिली थी. निचली कोर्ट ने उन्हें ईशनिंदा का दोषी पाया था. शेखपुरा में दो मुस्लिम महिलाओं के बीच झगड़े के दौरान बीबी पर अल्लाह और इस्लाम के खिलाफ बुरा-भला बोलने का आरोप लगा था.    

बीबी का मामला तब और विवादों में आया जब उनके समर्थन में पंजाब के राज्यपाल सलमान तासीर ने कोर्ट से दरख्वास्त की. तासीर की इस मांग से खफा उनके निजी गार्ड मुमताज कादरी ने 2011 में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. अपनी सजा के खिलाफ बीबी 2014 में लाहौर हाई कोर्ट पहुंची थीं लेकिन वहां उन्हें निराशा हाथ लगी और मौत की सजा को बरकरार रखा था.

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आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ पूरे पाकिस्तान में काफी पहले से विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. लाहौर में कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने देश की शीर्ष अदालत को खुलेआम धमकी दी कि अगर बीबी को रिहा किया गया तो बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. आसिया बीबी की संभावित रिहाई के खिलाफ रैली को संबोधित करते हुए TLP प्रमुख इजाज कादरी ने देशभर के अपनी पार्टी के नेताओं से कहा कि अगर आसिया बीबी की रिहाई की जाती है, तो वो पार्टी हाईकमान के आदेश का इंतजार किए बिना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दें. कादरी ने कहा, 'हमको आशंका है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत आसिया बीबी को रिहा कर सकती है.'

इस दौरान कादरी ने कहा कि उनकी पार्टी ने एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें साफ कहा गया है कि आसिया बीबी की रिहाई को इस्लाम पर हमला माना जाएगा. TLP ने आसिया बीबी की सजा बरकरार रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दबाव बनाने के लिए यह रैली निकाली है.

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