
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक टॉप कमांडर बशीर अहमद पीर की हत्या कर दी गई. पीर की हत्या ने पाकिस्तान में आतंक के चेहरे की पोल खोल दी है. मूल रूप से जम्मू कश्मीर का रहने वाला पीर पाकिस्तान चला गया था. उसके पास पाकिस्तान की नागरिकता थी. सरकार से उसे हाई लेवल सिक्योरिटी भी मिली हुई थी. लेकिन कुछ समय पहले ही उसकी सिक्योरिटी वापस ले ली गई थी.
जम्मू के कुपवाड़ा का प्रमुख आतंकी बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज आलम एलओसी पार कर पाकिस्तान चला गया था. पाकिस्तान में उसे इस्लामाबाद के बर्मा टाउन (Burma Town) में शरण दी गई. बर्मा टाउन आतंकियों का गढ़ माना जाता है, जो पाकिस्तान एयरफोर्स बेस नूर खान से लगभग पांच मिनट की दूरी पर है.
क्या है बर्मा टाउन कनेक्शन?
बशीर अहमद पीर की हत्या में इस्लामाबाद का बर्मा टाउन कनेक्शन उभरकर सामने आया है. बशीर बर्मा टाउन से ही आतंकियों को ट्रेन कर उन्हें भर्ती कर रहा था. आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि पीर हिजबुल का प्रमुख कमांडर था, जिस पर सीमापार घुसपैठ कराने की जिम्मेदारी थी. वह आतंक की दुनिया में हाजी (Haji) के तौर पर जाना जाता था. वह कश्मीर में आतंकी रिक्रूटर्स और हिजबुल और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाक आतंकी संगठनों के बीच समन्वय का सूत्रधार था. पिछले साल अक्टूबर में भारत सरकार ने उस पर यूएपीए के तहत केस दर्ज करते हुए उसे आतंकी घोषित किया था.
बशीर अहमद पीर हिजबुल के आतंकियों के लिए लॉजिस्टिक्स मुहैया कराता था, विशेष रूप से जम्मू के कुपवाड़ा में घुसपैठ कराना उसी के जिम्मे था. वह जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में पूरी तरह से शामिल था. वह जम्मू कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के पूर्व आतंकियों को फिर से एक्टिव करने में जुटा था. वह इंटरेनट के जरिए कश्मीर के खिलाफ लगातार लोगों को भड़का रहा था.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने इससे पहले पीर को हाई सिक्योरिटी सुरक्षा मुहैया कराई थी. स्थानीय प्रशासन लगातार उसकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए था. हालांकि, कुछ महीने पहले उसकी सुरक्षा हटा दी गई थी. पीर की उस समय हत्या कर दी गई, जब वह स्थानीय मस्जिद में नमाज अदा करके आ रहा था.
यह पहली बार नहीं है कि भारत विरोधी आतंकी शिविरों की खबरें सामने आई हैं. 2018 में जम्मू कश्मीर के बारामूला से पाकिस्तान गए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि उन्हें बर्मा टाउन में ही लश्कर के आतंकी शिविर में ट्रेनिंग दी गई थी. उनकी गिरफ्तारी के बाद एक पुलिस अधिकारी ने बताया था कि ये आतंकी कैंप्स बर्मा टाउन के पास हैं और इन्हें हंजाला अदनान और उमर नाम से दो लोग चला रहे हैं.
ताजा इनपुट से पता चलता है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से हटाने के बाद प्रशासन पीर को पाकिस्तान की नागरिकता भी दी गई थी. पीर के पास पाकिस्तान के पांच सिमकार्ड भी थे. सोशल मीडिया पोस्ट से पता चला है कि पीर को मंगलवार को दफना दिया गया.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल 4 अक्टूबर को बशीर को यूएपीए एक्ट के प्रावधानों के तहत आतंकी घोषित किया था. बशीर अहमद पीर का नाम कई बार पाकिस्तान से घुसपैठ कर जम्मू कश्मीर आने वाले आतंकियों को रसद और अन्य सहायता उपलब्ध कराने के आरोप में सामने आया था. इसके बाद गृह मंत्रालय ने उसे यूएपीए के तहत आतंकी घोषित कर दिया था.
बशीर अहमद पीर जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान भाग गया था. बशीर अहमद पीर ने पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर को अपना ठिकाना बनाया था. बशीर अहमद पीर रावलपिंडी में बैठकर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम कर रहा था. वह रावलपिंडी में बैठकर ही जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकियों के लिए रसद और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने का काम करता था.