
ईरान का 'आतंकवादियों' के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है. ईरान ने एक दिन पहले इराक और सीरिया में घुसकर मिसाइलें दागीं और अगले ही दिन पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक कर आतंकवादियों के अड्डे नेस्तनाबूत कर दिए. दोनों दिन एक्शन लेने की वजह भी आतंकवादी ही रहे. पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आतंकवादी समूह जैश-अल-अदल के दो प्रमुख ठिकाने नष्ट किए गए हैं. ये आतंकी संगठन पाकिस्तान से संचालित हो रहा था और ईरान की शांति में बड़ी बाधा बनता जा रहा था. Jaish al-Adl पर ईरान में हमले करने के आरोप हैं. ऐसे में ईरान ने मंगलवार रात पाकिस्तान के सामने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. हालांकि, पाकिस्तान ने हवाई हमले पर आपत्ति जताई है.
ईरान ने सोमवार रात सबसे पहले इराक और सीरिया में बमबारी की. उत्तरी इराक में इजरायल की खुफिया एजेंसी 'मोसाद' के हेड क्वार्टर को बम से उड़ाया है. यहां इरबिल शहर में बेलस्टिक मिसाइलें भी छोड़ी गईं. घटना में चार नागरिकों की मौत हो गई और छह लोग घायल हुए हैं. उसके बाद सीरिया में भी ईरान विरोधी आतंकवादी समूहों के ठिकानों को निशाने पर लिया और बमबारी की. ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्डस ने दावा किया है कि कुर्दिस्तान के एरबिल में मिसाइल हमला किया और इजरायल के जासूसी केंद्र को नष्ट कर दिया है. ईरान का कहना है कि यहां जासूसी अभियान चलाए जाने की रणनीतियां बनाई जाती थीं.
'ईरानी सुरक्षाबलों पर हमले करता है आतंकी समूह'
इस कार्रवाई की दुनियाभर में चर्चा हो रही थी, इस बीच ईरान ने मंगलवार रात पाकिस्तान को निशाने पर लिया और बलूचिस्तान प्रांत की कूह सब्ज नाम के इलाके में हमला कर दिया. इस इलाके को जैश अल अदल का सबसे बड़ा ठिकाना माना जाता है. दरअसल, 2012 में गठित जैश अल-अदल को ईरान ने 'आतंकवादी' संगठन के रूप में घोषित किया है. ये एक सुन्नी आतंकवादी समूह है जो ईरान के दक्षिणपूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान में काम करता है. पिछले कुछ वर्षों में जैश अल-अदल ने ईरानी सुरक्षा बलों पर कई हमले किए हैं. इन हमलों का बदला लेने के लिए ही ईरान ने एयरस्ट्राइक का ब्लूट प्रिंट तैयार किया और मंगलवार रात अचानक धावा बोल दिया.
सिस्तान-बलूचिस्तान की सीमा अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगती है. ईरान ने पाकिस्तान में जैश-अल-अदल के दो बड़े मुख्यालयों पर हमला किया है और नष्ट कर दिया है. ये आतंकी समूह तेहरान विरोधी माना जाता है. बलूचिस्तान सीमावर्ती क्षेत्र में ईरानी सुरक्षा बलों और सुन्नी आतंकवादियों के साथ-साथ ड्रग तस्करों के बीच संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है.
पाकिस्तान ने कुबूला- हमारे घर में सर्जिकल स्ट्राइक हुई
पाकिस्तान ने भी कुबूल कर लिया है कि ईरानी सेना ने उनके घर में सर्जिकल स्ट्राइक की है. पाकिस्तान ने कहा- बगैर उकसावे के ईरान की तरफ से हमारे हवाई क्षेत्र में घुसकर सुरक्षा उल्लंघन किया गया है. पाकिस्तानी सरजमीं पर हमले की कड़ी निंदा करते हैं. पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन पूरी तरह अस्वीकार्य है. ईरान को इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे.
'आतंकी समूह ने सिस्तान हमले की जिम्मेदारी ली थी'
पिछले साल 15 दिसंबर को पाकिस्तान के सुन्नी आतंकवादी संगठन जैश-अल-अदल ने ईरान के सिस्तान में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था, जिसमें 12 ईरानी पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी. ईरान ने इसी हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. ईरान ने पाकिस्तान पर करीब करीब वैसे ही हमला किया है, जैसे भारत ने उरी हमले के बाद उसे सबक सिखाया था. साल 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में घुसकर अलकायदा के सरगना ओसामा-बिन-लादेन को ढेर कर दिया था. वहीं, 2019 में उरी आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया था.
आतंकियों को पनाह देता है पाकिस्तान...
जैश अल-अदल एक पाकिस्तानी सुन्नी आतंकवादी संगठन है. पाकिस्तान की सरजमीं पर ये आतंकी संगठन दूसरे आतंकी संगठनों की तरह सरकार के संरक्षण में फल फूल रहा है. भारत भी कई बार आतंकवाद के मुद्दे को पाकिस्तान को घेर चुका है और वैश्विक पटल पर उठा चुका है. लेकिन अब यही आतंकवादी खुद पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन गए हैं. पाकिस्तान में सबसे ज्यादा खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांत में आतंकियों के मूवमेंट की खबरें आती रही हैं. इसके अलावा पंजाब और सिंध में भी आतंकियों के अड्डे हैं.
पाकिस्तानी पत्रकार पाकिस्तान पर हमले को शिया-सुन्नी विवाद से जोड़कर भी देख रहे हैं. जिस तरह से इस्लामिक देश ही एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बनते जा रहे हैं, उससे पूरी दुनिया की शांति में खलल पड़ रहा है, जो मानवता के लिए भी बड़े खतरे का संकेत हैं.
ईरान-पाकिस्तान के रिश्तों में रहा उतार-चढ़ाव
इसके अलावा, पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते में हमेशा से उतार-चढ़ावा आता रहा है. 1947 में जब पाकिस्तान का गठन हुआ तो ईरान वैसे कुछ देशों में शामिल था, जिन्होंने पाकिस्तान को मान्यता दी थी. 1948 में तो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने ईरान का दौरा भी किया था. बाद में ईरान के शाह ने 1950 में पाकिस्तान का दौरा किया. दोनों देशों के रिश्ते अच्छी दिशा में जाते दिख रहे थे. लेकिन सुन्नी बहुल पाकिस्तान और शिया बहुल ईरान के रिश्ते हमेशा अच्छे नहीं रहे. पाकिस्तान में शिया-सुन्नी तनाव का असर ईरान के साथ उसके रिश्ते पर भी पड़ा. 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान ने पाकिस्तान को लेकर आक्रामक रुख अपनाना शुरू कर दिया. साथ ही उसने अफगानिस्तान में तालिबान को प्रश्रय देने की पाकिस्तान की नीति का विरोध भी किया.
अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद पाकिस्तान की नीति ईरान को नहीं भाई. साथ ही पाकिस्तान की सऊदी अरब समर्थक नीति ने भी रिश्तों में खटास पैदा की. जनरल जिया उल हक के शासनकाल में पाकिस्तान की सऊदी अरब के साथ नजदीकी और बढ़ी और ईरान को ये बातें फूटी आंखों नहीं सुहाती थी. लेकिन इन सबके बीच दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध कायम रहे. और तो और ईरान ने चीन की अगुआई में बन रहे आर्थिक कॉरिडोर को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई. पाकिस्तान के लिए भी तेल और गैस से संपन्न ईरान व्यापार के लिए बेहतर विकल्प रहा.