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ईरान को लेकर भारत की नकल कर रहा पाकिस्तान! अमेरिका की धमकियों को अनसुना करना पड़ेगा भारी

पाकिस्तान ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने को कोशिश कर रहा है जिस पर अमेरिका भड़क गया है. प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद पाकिस्तान ईरान के साथ समझौते कर रहा है. पाकिस्तान ईरान पर भारत की तरह की स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की कोशिश में है.

पाकिस्तान ईरान को लेकर भारत की तरह ही स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की कोशिश कर रहा है (Photo- AP) पाकिस्तान ईरान को लेकर भारत की तरह ही स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की कोशिश कर रहा है (Photo- AP)
राधा कुमारी
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

पाकिस्तान ईरान को लेकर भारत की तरह ही स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है लेकिन अमेरिका की तरफ से उसे लगातार प्रतिबंधों की धमकियां मिल रही हैं. भारत पश्चिमी दबाव के बावजूद रूस के साथ अच्छे रिश्ते रखने में कामयाब रहा है और द्विपक्षीय व्यापार भी ऊंचाइयों पर है. पाकिस्तान ने भी भारत के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश करते हुए ईरान के साथ व्यापार बढ़ाने को लेकर कई समझौते किए जिस पर अब अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है.

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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी 22-24 अप्रैल के बीच तीन दिवसीय पाकिस्तान दौरे पर थे. इजरायल पर हमले के कुछ समय बाद रईसी के पाकिस्तान दौरे से अमेरिका बुरी तरह चिढ़ गया था. अमेरिका ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना चाहता है लेकिन रईसी के पाकिस्तान दौरे ने उसकी इन कोशिशों को कमजोर किया है. 

पाकिस्तान ने अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करते हुए रईसी के लिए रेड कार्पेट बिछाया और कहा कि इजरायल के साथ तनाव से पहले यह दौरा तय किया गया था.

ईरानी राष्ट्रपति के दौरे से पहले अमेरिका का पाकिस्तान पर शिकंजा

ईरानी राष्ट्रपति के पाकिस्तान दौरे से ठीक पहले अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलेस्टिक और लंबी दूरी के मिसाइल प्रोग्राम पर शिकंजा कसा था. अमेरिका ने पाकिस्तान के इन प्रोग्राम्स के लिए उपकरण मुहैया कराने वाली तीन चीनी कंपनियों और एक बेलारूस की कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया. कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि अमेरिका ने यह कदम रईसी के पाकिस्तान दौरे को देखते हुए उठाया.

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ईरानी राष्ट्रपति के पाकिस्तान दौरे में ईरान और पाकिस्तान के बीच व्यापार को आने वाले पांच सालों में 10 अरब डॉलर तक बढ़ाने पर सहमति बनी. ईरान और पाकिस्तान के बीच फिलहाल 2 अरब डॉलर का व्यापार होता है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष बिजली, पावर ट्रांसमिशन लाइन और ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर सहयोग बढ़ाने को सहमत हुए हैं. गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट एक दशक से अधिक समय से राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण लंबित पड़ा है. 

दोनों पक्षों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को लेकर 8 समझौते हुए जिस पर अमेरिका भड़क गया. मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को ईरान के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने को लेकर चेतावनी दी.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, 'ईरान के साथ बिजनेस डील कर रहे लोगों को हम आगाह करना चाहते हैं कि वो प्रतिबंधों के खतरे को लेकर जागरुक रहें.'

विश्लेषकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान ईरान के साथ अपने व्यापार संबंधों को बढ़ाता है तो अमेरिका की तरफ से उस पर कई प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. ईरान की वित्तीय संस्थाएं भी अमेरिकी प्रतिबंध झेल रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान का ईरान के साथ व्यापार बढ़ाना आसान नहीं होगा.

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ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन इसका एक बड़ा उदाहरण है.1,900 किलोमीटर से ज्यादा लंबी यह पाइपलाइन ईरान के साउथ पार्स गैस फील्डी से पाकिस्तान तक जानी है. ईरान का कहना है कि उसने अपने क्षेत्र से पाकिस्तानी बॉर्डर तक गैस पाइपलाइन बिछाने का काम कर लिया है जिसमें दो अरब डॉलर का खर्चा आया है. लेकिन पाकिस्तान में इस पाइपलाइन को बिछाने का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है. पाकिस्तान अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से पाइपलाइन पर आगे बढ़ने से बच रहा है.

पाकिस्तान ने पिछले महीने कहा था कि वो अपने क्षेत्र में पाइपलाइन बिछाने को लेकर अमेरिका से प्रतिबंधों में छूट की मांग करेगा.

एक तरफ डूबती अर्थव्यवस्था, दूसरी तरफ प्रतिबंधों का डर

पाकिस्तान पिछले कई सालों से खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिल रहे लोन के भरोसे चल रहा पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ईरान के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है जिसपर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है.

पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जिन तीन देशों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और अमेरिका पर भरोसा किए बैठा है, ये सभी देश ईरान को अपना दुश्मन मानते हैं. हालांकि, हाल के महीनों में ईरान के साथ सऊदी अरब के संबंध सुधरे हैं जिसे देखते हुए पाकिस्तान को सऊदी अरब से थोड़ी राहत है.

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भारत की राह चला पड़ोसी लेकिन हाथ लगेगी नाकामयाबी

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अक्सर भारत की विदेश नीति की तारीफ करते थे. यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस और उसके कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसे भारत ने नजरअंदाज कर दिया था. भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों का हवाला देते हुए रूस से तेल खरीद बढ़ा दी और अब रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. 

पाकिस्तान अमेरिका की आपत्तियों को धता बताकर रूस से तेल खरीदने की भारत की नीति का कायल हो गया था. इमरान खान ने इसे लेकर साल मार्च 2022 में कहा था, 'भारत अमेरिका से साथ QUAD समूह का हिस्सा है फिर भी वो रूस से तेल आयात कर रहा है. यह भारत की विदेश नीति है. मैं आज हिंदुस्तान को दाद देता हूं. उसने हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है.'

पाकिस्तान भारत की विदेश नीति की तरह ही अपनी विदेश नीति को भी स्वतंत्र रखने की कोशिश कर रहा है जो अमेरिकी प्रभाव से मुक्त हो. लेकिन ऐसा करना उसके लिए लगभग असंभव है. अर्थव्यवस्था को दलदल से निकालने के लिए पाकिस्तान को हर कदम पर अमेरिका और उसके सहयोगियों सऊदी और यूएई की जरूरत है. 

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विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को ईरान और अमेरिका के बीच एक संतुलन बनाकर चलना होगा जिसमें वो प्रतिबंधों से बचते हुए ईरान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सके.

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