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पाकिस्तान: दोस्त ने महिला के खिलाफ दर्ज कराया ईशनिंदा का केस, कोर्ट ने 2 साल बाद सुनाई मौत की सजा

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून की शुरुआत सैन्य तानाशाह जिया उल हक के शासन में 1980 में की गई थी. इस कानून के मुताबिक अब तक किसी को फांसी नहीं हुई है.

20 फरवरी 2018 को पत्रह मसीह नाम के ईसाई लड़के को ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. 20 फरवरी 2018 को पत्रह मसीह नाम के ईसाई लड़के को ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.
aajtak.in
  • इस्लामाबाद,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:15 AM IST
  • झगड़े के बाद दोस्त ने पुलिस के पास जाकर महिला की शिकायत की
  • पाकिस्तान में ईशनिंदा के शक में कई लोगों की हो चुकी है हत्या

पाकिस्तान में ईशनिंदा में फांसी की सजा सुनाए जाने का एक और मामला सामने आया है. पाकिस्तान की एक कोर्ट ने ईशनिंदा के आरोप में एक महिला को मौत की सजा सुनाई. महिला पर मैसेज में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपशब्द लिखने का आरोप है.

रावलपिंडी की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. महिला का नाम अनिका आतीक है. उस पर 2020 में उसके दोस्त फारूक हसनत ने केस किया था. पुलिस ने अनिका के खिलाफ पैगंबर के बारे में अपशब्द कहने, इस्लाम की बुराई करने के साथ ही साइबर अपराध की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.

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2020 से पहले तक अनिका और फारूक कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे. आरोप है कि दोनों में मतभेद होने के बाद अनिका ने गुस्से में फारूक को ईशनिंदा से भरे मैसेज भेज दिए. फारूक ने अनिका को मैसेज डिलीट करने और माफी मांगने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया. इसके बाद फारूक ने अनिका के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने अनिका के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया.

जिया उल हक के शासन में लाया गया कानून
हाल ही में श्रीलंका के व्यक्ति को भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में पीट पीटकर मार दिया था. बाद में उसने शरीर को जला भी दिया गया था. वह युवक सियालकोट की कपड़ा फैक्ट्री में मैनेजर था. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून की शुरुआत सैन्य तानाशाह जिया उल हक के शासन में 1980 में की गई थी. इस कानून के मुताबिक अब तक किसी को फांसी नहीं दी गई है, लेकिन ऐसे कई वाकये हुए हैं, जब लोगों की हत्या ईशनिंदा के शक में ही कर दी गई.

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