
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच गहराए तनाव के दरम्यान पाकिस्तानी मीडिया ने पीएम मोदी और नवाज शरीफ को लेकर शिगूफा छोड़ा है. पाक मीडिया ने दावा किया है कि जून में कजाख्तान के अस्ताना में आयोजित होने वाली शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके भारतीय समकक्ष के बीच मुलाकात हो सकती है.
पाकिस्तानी सैन्य अदालत की ओर से जासूसी के आरोप में जाधव को फांसी देने के बाद से परमाणु सक्षम दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं. ऐसे में शरीफ और मोदी की मुलाकात की बात गले से नहीं उतर रही है. क्योंकि अब हालात पहले जैसे नहीं हैं. भारत ने द्विपक्षीय वार्ता रद्द करके इसके साफ संकेत दे दिए हैं. भारत तो यहां तक कह चुका है कि अगर पाक ने जाधव को फांसी दी, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तानी विदेश विभाग के आधिकारिक और राजनयिक सूत्रों के हवाले से दावा किया कि SCO शिखर सम्मेलन से इतर नवाज शरीफ और मोदी के बीच मुलाकात की काफी संभावना है.
अखबार का कहना है कि शिखर सम्मेलन से इतर दोनों प्रधानमंत्री आपस में वार्ता कर सकते हैं. सूत्रों ने कहा कि इससे पहले भी दोनों देशों के प्रधानमंत्री तनातनी के बीच मुलाकात करके सबको हैरान कर चुके हैं. ऐसे में SCO शिखर सम्मेलन से इतर नवाज शरीफ और पीएम मोदी के बीच मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
भारत-पाकिस्तान पर SCO के सदस्य देशों का दबाव
SCO के प्रभावशाली सदस्य देश भी पाकिस्तान और भारत पर फिर से बातचीत शुरू करने का दबाव बना रहे हैं, ताकि शिखर सम्मेलन सौहार्द के माहौल में आयोजित हो सके. इससे पहले 2015 में दोनों देशों के बीच तनाव
के दरम्यान पीएम मोदी और नवाज शरीफ ने रूस के उफा में मुलाकात की थी, जिससे सब हैरान रह गए थे. अखबार का कहना है कि दोनों देशों के पीएम SCO सदस्य देशों के दबाव में आकर मुलाकात करेंगे.
पहले भी तनातनी के माहौल में हो चुकी हैं ऐसी मुलाकातें
पाकिस्तानी अखबार का दावा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल के दरम्यान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी ऐसे मौकों पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री मुलाकात
करते आए हैं. भारत और पाकिस्तान की ओर से परमाणु परीक्षण करने से गहराए तनाव के बाद साल 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बस से लाहौर की यात्रा की थी, ताकि दोनों देशों के बीच शांति की
प्रक्रिया को फिर से शुरू की जा सके.
हालांकि शांतिवार्ता बेपटरी हो गई थी और साल 1999 में दोनों देशों के बीच कारगिल युद्ध हो गया था. इसके बाद 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद भारत-पाक के बीच खटास बढ़ गई थी और युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे, लेकिन तभी तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ आगरा में आयोजित शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए. इसके बाद 2015 में मोदी और शरीफ ने रूस के उफा में मुलाकात कर सबको हैरान किया था.