
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल मची हुई है. ट्रंप कनाडा और मेक्सिको जैसे पड़ोसी मुल्कों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाकर हलचल मचा चुके हैं. चीन पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. लेकिन ट्रंप के भारी दबाव के बीच अब पनामा ने चीन को भारी झटका दिया है.
पनामा नहर को लेकर ट्रंप के दबाव के बीच पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने कहा कि है कि उनका देश चीन की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड (BRI) को रिन्यू नहीं करेगा. पनामा 2017 में चीन की इस योजना से जुड़ा था. लेकिन अब पनामा के राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद साफ है कि पनामा जल्द ही चीन की इस योजना से बाहर निकलने जा रहा है.
राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि अब पनामा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स सहित नए निवेश पर अमेरिका के साथ मिलकर काम करेगा. राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार पनामा पोर्ट्स कंपनी का ऑडिट करेगी. यह कंपनी पनामा नहर के दो बंदरगाहों को ऑपरेट करने वाली चीन की कंपनी के साथ जुड़ी है. मुलिनो ने कहा कि हमें पहले ऑडिट पूरा होने का इंतजार करना पड़ेगा.
इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो से कहा था कि पनामा पर चीन के कब्जे की वजह से अमेरिका को अपने अधिकारों की सुरक्षा करनी पड़ेगी. मुलिनो ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अमेरिका को पनामा पर दोबारा कब्जा करने के लिए सैन्य ताकत का इस्तेमाल करना होगा.
हम पनामा वापस लेकर रहेंगे?
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका पनामा को वापस लेकर रहेगा और इसके लिए हम कुछ बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पनामा ही चीन को चला रहा है जबकि इस नहर को चीन को नहीं सौंपा गया था. पनामा नहर बेवकूफाना तरीके से पनामा को सौंपी गई थी लेकिन उन्होंने एग्रीमेंट का उल्लंघन किया और हम इसे वापस लेकर रहेंगे. इसके लिए कुछ बड़े कदम उठाने जा रहे हैं.
इससे पहले पनामा नहर को लेकर ट्रंप ने कहा था कि हमारी नौसेना और कारोबारियों के साथ बहुत अनुचित व्यवहार किया गया है. पनामा द्वारा ली जा रही फीस हास्यास्पद है. इस तरह की चीजों को तुरंत बंद किया जाना चाहिए. अगर पनामा चैनल का सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय तरीके से संचालन नहीं होता है तो हम मांग करेंगे कि पनामा नहर हमें पूरी तरह वापस कर दी जाए.
ट्रंप ने कहा कि अगर नैतिक और कानूनी दोनों सिद्धांतों का पालन किया जाए तो हम मांग करेंगे की कि पनामा नहर को जितना जल्दी हो उतनी जल्दी अमेरिका को लौटा दिया जाए.
पनामा नहर में चीन की क्या भूमिका है?
पनामा नहर के संचालन में चीन की सरकार की स्पष्ट भूमिका का कोई प्रमाण नहीं है लेकिन पनामा में चीनी कंपनियों की अच्छी-ख़ासी मौजूदगी है. अक्तूबर 2023 से सितंबर 2024 तक पनामा से होकर गुजरने वाले जहाजों में 21.4 फीसलदी उत्पाद चीन का था. चीन अमेरिका के बाद पनामा नहर का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश है.हाल के वर्षों में चीन ने नहर के पास बंदरगाहों और टर्मिनलों में भी भारी निवेश किया है.
नहर से सटे पांच बंदरगाहों में से दो को साल 1997 से ही चीनी कंपनी हचिसन पोर्ट होल्डिंग्स की सहायक कंपनी संचालित कर रही है. ये दो बंदरगाह हैं प्रशांत महासागर तट पर स्थित बाल्बोआ और अटलांटिक के तट पर स्थित क्रिस्टोबल बंदरगाह.
क्या है पनामा की अहमियत?
दुनियाभर की जियोपॉलिटिक्स में पनामा नहर की खासी अहमियत है. यह 82 किलोमीटर लंबी नहर अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है. कहा जाता है कि दुनियाभर का छह फीसदी समुद्री व्यापार इसी नहर से होता है. अमेरिका के लिए इस नहर का बहुत महत्व है. अमेरिका का 14 फीसदी कारोबार पनामा नहर के जरिए होता है. अमेरिका के साथ ही दक्षिण अमेरिकी देशों का बड़ी संख्या में आयात-निर्यात भी पनामा नहर के जरिए ही होता है. एशिया से अगर कैरेबियाई देश माल भेजना हो तो जहाज पनामा नहर से होकर ही गुजरते हैं. पनामा नहर पर कब्जा होने की स्थिति में दुनियाभर की सप्लाई चेन बाधित होने का खतरा है.
बता दें कि पनामा नहर का निर्माण साल 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था, लेकिन 1904 में अमेरिका ने इस नहर के निर्माण की जिम्मेदारी संभाली और 1914 में अमेरिका द्वारा इस नहर के निर्माण को पूरा किया गया. इसके बाद पनामा नहर पर अमेरिका का ही नियंत्रण रहा, लेकिन साल 1999 में अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण पनामा की सरकार को सौंप दिया. अब इसका प्रबंधन पनामा कैनाल अथॉरिटी द्वारा किया जाता है.