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श्रीलंका में राजनीतिक संकट गहराया, राष्ट्रपति ने संसद सत्र टाला

श्रीलंका में संसद का अगला सत्र 5 नवंबर के स्थान पर अब 16 नवंबर से शुरू होगा. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के इस फैसले के बाद पड़ोसी देश में राजनीतिक संकट गहरा गया.

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना (फाइल फोटो) राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना (फाइल फोटो)
देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 10:52 PM IST

श्रीलंका में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद का अगला सत्र 5 नवंबर के स्थान पर अब 16 नवंबर से शुरू करवाने का फैसला लिया है.

इससे पहले बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की थी. गौरतलब है कि सिरीसेना ने शुक्रवार को एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था.

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माना जा रहा है कि संसद की कार्यवाही टालने वाला सिरिसेना का कदम नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को राहत देने के मकसद से उठाया गया है और इससे राजपक्षे को संसद में बहुमत साबित करने के लिए समय मिल गया है.

गौरतलब है कि साल 2019 के वार्षिक बजट पर चर्चा के लिए संसद का सत्र 5 नवंबर को बुलाया गया था. संसद में राजपक्षे और सिरिसेना के पास कुल 95 सीटें हैं. इस तरह, 225 सदस्यों वाले सदन में साधारण बहुमत के आंकड़े से वे कुछ पीछे हैं.

बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के पास 106 सीटें हैं और बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ सात सीटें कम पड़ रही हैं. यूएनपी ने दावा किया है कि राष्ट्रपति ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि 72 वर्षीय राजपक्षे के पास सदन में बहुमत नहीं है.

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स्टालिन ने भारत सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल

श्रीलंका के राजनीतिक हालात पर डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष स्टालिन ने भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि दुनियाभर के लोग श्रीलंका के मौजूदा राजनीतिक हालात और तमिलनाडु के मुछआरे की रिहाई को लेकर हो रही देरी से हैरान हैं. क्या इसपर केंद्र का ध्यान गया है.

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