
अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता और उसकी पाकिस्तान से करीबी को लेकर भारत बहुत सहज नहीं है. भारत की चिंता है कि अफगानिस्तान में तालिबान की मौजूदगी का फायदा पाकिस्तान भारत के खिलाफ कर सकता है. चीन से भी तालिबान के रिश्ते मजबूत होते दिख रहे हैं, ऐसे में भारत की मुश्किल और बढ़ गई है. इस बीच, पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों से कहा है कि अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत के नजरिए को समझना जरूरी है.
राजनीतिक सलाहकार और अंडर सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस फॉर पॉलिसी, कोलिन एच क्हाल ने अफगानिस्तान और दक्षिण-मध्य एशिया सुरक्षा पर सुनवाई के दौरान सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों को कहा कि आप जानते ही होंगे कि भारत अफगानिस्तान की अस्थिरता और आतंकवाद को लेकर चिंतित हैं. भारत हमारे साथ अफगानिस्तान के मुद्दे पर काम करना चाहता है और इस मामले में खुफिया जानकारी साझा करने और सहयोग के लिए भी तैयार हैं.
'हिंद महासागर में क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भारत के साथ किया जा सकता है काम'
कोलिन अमेरिकी सांसद गैरी पीटर्स के एक सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इसके चलते हमें भारत के साथ सिर्फ अफगानिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे पर ही सहयोग नहीं मिलेगा बल्कि हिंद महासागर में क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भी काम किया जा सकेगा. भारत की अफगानिस्तान के प्रति नीतियां अक्सर पाकिस्तान के साथ द्वंद और प्रतिस्पर्धा के तौर पर ही आंकी जाती रही हैं. भारत की चिंता वाजिब है कि तालिबान सरकार एंटी-इंडिया आतंकी संगठनों को फायदा पहुंचा सकता है, खासतौर पर कश्मीर से जुड़े संगठनों को.
उन्होंने आगे कहा कि मेरा मानना है कि अमेरिका और भारत की रक्षा साझेदारी को देखते हुए ये जानना काफी अहम है कि अफगानिस्तान के प्रति भारत का क्या नजरिया है और भविष्य में ये कैसे बदल सकता है.
'पाकिस्तान एक चुनौतीपूर्ण देश'
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में कोलीन ने भारत-अमेरिका डिफेंस पॉलिसी ग्रुप की बैठक की सह-अध्यक्षता भी की थी. उन्होंने सीनेटर जैक रीड के सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के लिए चुनौतीपूर्ण देश है. हालांकि, पाकिस्तान नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान आतंकी हमलों के लिए एक पनाहगाह बने. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अमेरिका को लगातार अपना हवाई क्षेत्र प्रदान कर रहा है और आतंकवाद के खिलाफ भी उससे पर्याप्त सहयोग मिल रहा है.
इस मामले में रीड ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ सुरक्षा संबंधों का प्रबंधन महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि हम अन्य सहयोगियों के साथ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी रणनीति को सफलतापूर्वक लागू करना चाहते हैं. इसीलिए हमारे लिए अफगानिस्तान में 20 साल के मिशन पर चिंतन करना और उसका अध्ययन करना बेहद जरूरी है.