
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में मासूम नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. यूक्रेन के कीव और खारकीव शहर में रूस के हमले रुक नहीं रहे हैं. पूर्वी और मध्य यूक्रेन में लगातार हवाई हमले के सायरन और रूस की ओर से हो रही बमबारी के चलते बड़ी संख्या में लोग बंकरों में छिपने पर मजबूर हैं. 6 दिनों से लगातार बंकर में छिपे लोगों के सब्र का बांध भी अब टूटने लगा है. न तो खाना है बचा है और न ही पीने का पानी, ऊपर से जान का खतरा बना हुआ है.
युद्ध के तनावपूर्ण हालात के बीच जिन लोगों को मौका मिल रहा है वह कीव और खारकीव छोड़कर जाने की कोशिश कर रहे हैं. पश्चिमी यूक्रेन से लगने वाले यूरोप के 4 देश हंगरी,पोलैंड,स्लोवाकिया और रोमानिया की सीमा पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. इसी बीच यूक्रेन छोड़कर जा रहे लोगों की मदद के लिए सबसे पहले हंगरी आगे आया है.
यूक्रेन के चौप से हंगरी की सीमा जाहोनी तक पहुंचने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं. साथ ही जाहोनी पहुंचे यूक्रेन से आए तमाम शरणार्थियों के लिए राजधानी बुडापेस्ट के लिए भी विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं.
बच्चों की किलकारियां नहीं रोना सुनाई दिया
इस ट्रेन में आज तक ने सफर किया और उनकी मुश्किलें समझने की कोशिश की. सफर के दौरान आज तक ने पाया कि ट्रेन में सफर करने वालों में ज्यादा संख्या महिलाओं और बच्चों की थी. यूक्रेन, घाना, भारत, नेपाल के लोगों से भरी इस ट्रेन में बच्चों की किलकारियां नहीं बल्कि चीखने और रोने की आवाज सुनाई दे रही थी. हाड़ मांस कपाने वाली सर्दी से बचने के लिए कई लोगों के पास पर्याप्त कपड़े भी नहीं थे.
कई दिनों से कुछ नहीं खाया
ट्रेन में सफर करने वाले लोगों से जब आज तक की टीम ने बातचीत की तो उन्होंने दर्द की दास्तां सुनाते हुए कहा कि उन्होंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है. लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा है मानो भूख, सर्दी और युद्ध तीनों ही उनकी जान लेकर मानेगी. घाना के रहने वाले सोरो ने बताया कि वह पिछले 4 दिनों से खारकीव के बंकरों में छुपे हुए थे लेकिन रसद खत्म होने के चलते वह तमाम सारे लोग वहां से निकल गए और भूखे प्यासे जाहोनी सीमा तक पहुंचे.
बुडापेस्ट स्टेशन पर लगाए गए कैंप
यूक्रेन से भागकर आने वाले लोगों की समस्याओं को देखते हुए हंगरी ने बुडापेस्ट रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में कैंप लगाए हैं. इन कैपों में लोगों के खाने, रहने और दवाइयों की व्यवस्था की गई है. कहा जा रहा है कि 1 मार्च को बुडापेस्ट में बड़ी संख्या में यूक्रेन से आने वाले शरणार्थियों का जत्था पहुंचेगा. जिन्हें आगे जाने की व्यवस्था यूरोपीय देशों की ओर से की जाएगी.
ऐसे बहुत सारे शरणार्थी जान बचाकर किसी तरह यूरोप की सीमा तक पहुंच रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि यह जंग अपने साथ जो लेकर के आया है वह कब खत्म होगा. अपना घर बार छोड़कर यूरोप भाग रहे इन शरणार्थियों का भविष्य आगे कहां है. रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 5 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन को छोड़कर जा चुके हैं.
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