
ब्रिटेन के लोगों के व्यवहार में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है. वे गंभीर रूप से बिमार होने के बाद भी छुट्टी नहीं ले पा रहे हैं. इसके पीछे महंगाई को वजह माना जा रहा है. रॉयल कॉलेज ऑफ जीपी की प्रमुख ने गार्जियन को बताया कि गंभीर बीमारी से पीड़ित ज्यादातर लोगों ने हाल में सिक नोट (बीमारी की छुट्टी) लेने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें लगता है कि वे अपने काम से समय नहीं निकाल पाएंगे.
यूके में लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों से पीड़ित या गंभीर चोटों से उबरने के लिए सिक नोट जरूरी है. ये नोट सामान्य चिकित्सकों द्वारा जारी किए जाते हैं. डॉक्टर ही एम्प्लायर को बताते हैं कि मरीज कितने समय के लिए काम नहीं कर सकता है और मरीज से संबंधित अन्य जानकारियां भी उन्हें देते हैं.
रॉयल कॉलेज ऑफ जीपी की चेयरमूवन डॉ. कामिला हॉथोर्न बताती हैं- मुझे पिछले साल यह देखकर हैरानी हुई कि जब उन्होंने एक सिक नोट जारी किया तो मरीज ने वह नोट लेने से मना कर दिया. उसने कहा कि वह छुट्टी नहीं ले सकता क्योंकि उसे पैसों की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि हाल के महीनों में अस्थमा और डायबीटीज जैसी गंभीर बीमारियों के कई मरीजों में थकान और मुंह के छालों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं सामने आए हैं. हालांकि, वे अपनी बीमारी के कारण काम से छुट्टी लेने को तैयार नहीं हैं. वह कहते हैं कि उन्हें अपने परिवार के लिए काम करते रहना जरूरी है.
ब्रिटेन में तेजी से बढ़ रही कॉस्ट ऑफ लिविंग
हॉथोर्न के अनुसार, ब्रिटेन में लोगों के बिगड़ते स्वास्थ्य के लिए यहां का कॉस्ट ऑफ लिविंग का संकट जिम्मेदार है. यहां भोजन और ईंधन इतना महंगा है कि बहुत से लोग अपने घरों को गर्म रखने या मामूली आहार के अलावा कुछ भी अच्छा खाने पर होने वाले खर्च को नहीं उठा सकते हैं. उन्होंने कहा कि उनका मानसिक स्वास्थ्य भी वित्तीय तनाव से जूझ रहा है.
उन्होंने कहा- कॉस्ट ऑफ लिविंग की समस्या लंबे समय से है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह अचानक से बहुत ज्यादा खराब हो गई है. उन्होंने बताया- मेरे पास अब ऐसे मरीज हैं, जो इस सर्दी में ईंधन पर होने वाले खर्च के लिए ज्यादा परेशान हैं.
ज्यादातर मध्यम आयु वर्ग के लोग नहीं ले रहे छुट्टी
गार्जियन ने हॉथोर्न के हवाले से बताया कि सिक नोट न लेने वाले ज्यादातर लोग कॉल सेंटरों में काम करते हैं. इनके अलावा मध्यम आयु वर्ग के युवाओं और वृद्धों में भी यह देखने को मिल रहा है. हॉथोर्न ने यह भी चेतावनी दी कि घरेलू बजट पर बढ़ते दबाव से जुड़ी बीमारी ओवर स्ट्रेस्ड फैमिली की डॉक्टर सेवाओं को प्रभावित करेंगी.
उन्होंने कहा कि लोग अभी इस बात को लेकर बहुत ज्यादा परेशान हैं कि सर्दियों में क्या खरीदना है क्या नहीं. उनके सामने खुद को गर्म रखने या खाने की व्यवस्था करने के बीच किसी एक को चुनने जैसे हालात बन गए हैं.
41 साल के उच्च स्तर पर है महंगाई
2021 की शुरुआत से ही ब्रिटेन में कॉस्ट ऑफ लिविंग बढ़ रही है. इंफ्लेशन 41 साल के उच्च स्तर पर है. भोजन, गैस, बिजली, ईंधन, किराया और बंधक सभी की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं. ऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, एक साल में गैस की कीमतों में 98.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हाल में ब्रिटेन के पीएम का पद संभालने वाले भारतवंशी ऋषि सुनक के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई पर काबू पाना है.