
पेरू में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. पेड्रो कैस्टिलो को जब से राष्ट्रपति पद से हटाया गया है और उनकी गिरफ्तारी की गई, देश में उनके समर्थकों द्वारा जबरदस्त बवाल काटा गया. कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हुए और फिर चुनाव करवाने की मांग तेज हो गई. जमीन पर बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पेरू के रक्षा मंत्री ने आपातकाल का ऐलान कर दिया है.
पेरू में क्यों लगा आपातकाल?
रक्षा मंत्री Alberto Otarola ने जारी बयान में कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर सड़कें तक ब्लॉक कर दी हैं, कई जगह पर तोड़फोड़ हुई है. उन्हीं सब घटनाओं को देखते हुए देश में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है. कुछ जगहों पर कर्फ्यू भी लगाया जा सकता है. रक्षा मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया है कि जमीन पर स्थिति को फिर नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस के साथ-साथ सशस्त्र बलों को भी जमीन पर उतारा जाएगा. अब जानकारी के लिए बता दें कि इस समय पेरू एक अप्रत्याशित राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. पिछले कुछ दिनों में इतनी उथल-पुथल हो चुकी है कि जमीन पर तनाव कम होने के बजाय बढ़ता गया है.
विवाद की जड़ बने पेड्रो कैस्टिलो
पेरू में इस विवाद की जड़ हैं पेड्रो कैस्टिलो जो कुछ दिन पहले तक इस देश के राष्ट्रपति थे. असल में पेड्रो कैस्टिलो ने बुधवार को नाटकीय ढंग से देश के नाम संबोधन में ऐलान किया था कि वह देश में इमरजेंसी लगाने जा रहे हैं. उन्होंने ऐलान किया था कि वह विपक्षी दलों के वर्चस्व वाली कांग्रेस को भंग कर देंगे. उनकी इस घोषणा से हर कोई हैरान था. इसके विरोध में कई मंत्रियों ने पद से इस्तीफा भी दे दिया था. संवैधानिक अदालत के प्रमुख ने उनके इस फैसले की निंदा की थी जबकि अमेरिका ने कैस्टिलो से आग्रह किया था कि वह अपने इस फैसले को वापस ले लें. लेकिन कैस्टिलो की इस घोषणा के कुछ घंटों बाद ही विपक्षी पार्टियों ने एक आपात बैठक बुलाई और उनके खिलाफ महाभियोग लाने का फैसला किया.
पेड्रो ने कैसे गंवाई राष्ट्रपति की कुर्सी?
अब कहने को पेरू में ज्यादातर दल पेड्रो के खिलाफ थे, लेकिन कई दूसरे छोटे दल भी मौजूद थे. ऐसे में जानकार मान रहे थे कि उनके खिलाफ लाया गया ये महाभियोग विफल हो जाएगा. वैसे भी क्योंकि पहले भी पेड्रो को इसी तरह से हटाने की कोशिश फेल हो चुकी थी, माना जा रहा था कि इस बार भी ऐसा ही कुछ होगा. लेकिन यहीं पर स्थिति पूरी तरह पलट गई और 130 सदस्यीय कांग्रेस में पेड्रो को पद से हटाने के लिए 101 विधायकों ने वोटिंग की. वोटिंग के दौरान महाभियोग के पक्ष में 101 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ सिर्फ छह वोट पड़े.
पेरू का राजनीतिक इतिहास और सियासी संकट
पेरू के पिछले कुछ सालों के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस प्रकार का संकट इस देश पर आने ही वाला था. साल 2020 में तो पांच दिनों के भीतर तीन बार राष्ट्रपति बदल दिया गया था. इससे पहले भी कई उन पूर्व राष्ट्रपतियों को जेल भेज दिया गया जिन पर ऑफिस में रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे. अब उसी लिस्ट में पेड्रो कैस्टिलो का नाम भी जुड़ गया है. उनकी जगह इस समय उपराष्ट्रपति डीना बोलुआर्टे को देश का अगला राष्ट्रपति बनाया गया है. वह पेरू के लोकतांत्रिक इतिहास में राष्ट्रपति पद संभालने वाली पहली महिला बन गई हैं.