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मुशर्रफ ने अमेरिका को बेचे हजारों पाकिस्तानी, पूर्व जज का आरोप

पाकिस्तान के पूर्व जज ने वहां की राजनीति में वापसी की कोशिश कर रहे पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पूर्व जज जावेद इकबाल ने कहा है कि मुशर्रफ ने हजारों नागरिकों को दूसरे देशों को बेचने का काम किया है. जावेद इकबाल पाकिस्तान में लापता लोगों की जांच के लिए बनाए गए आयोग के प्रमुख हैं. उन्होंने मानवाधिकारों पर बनी संसद की स्थायी समिति के यह आरोप लगाया है. वह पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के भी प्रमुख हैं.

मुशर्रफ पर गंभीर आरोप मुशर्रफ पर गंभीर आरोप
भारत सिंह
  • इस्लामाबाद,
  • 17 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व जज ने वहां की राजनीति में वापसी की कोशिश कर रहे पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पूर्व जज जावेद इकबाल ने कहा है कि मुशर्रफ ने हजारों नागरिकों को दूसरे देशों को बेचने का काम किया है.

जावेद इकबाल पाकिस्तान में लापता लोगों की जांच के लिए बनाए गए आयोग के प्रमुख हैं. उन्होंने मानवाधिकारों पर बनी संसद की स्थायी समिति के सामने यह आरोप लगाया है. जावेद इकबाल पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के भी प्रमुख हैं.

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इकबाल ने संसद की स्थायी समिति के सामने बयान दिया है कि मुशर्रफ ने 4000 से ज्यादा पाकिस्तानियों को पैसों के बदले अमेरिका को बेच दिया. उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को गुप्त तरीके से अंजाम दिया गया.

इन दिनों पाकिस्तान में लापता लोगों को लेकर पश्तून तहाफुज आंदोलन (पीटीएम) चल रहा है. इस खुलासे के बाद पाकिस्तान की राजनीति में और उथल-पुथल मच सकती है. इस आंदोलन की सबसे बड़ी मांग है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और केंद्र शासित कबायली इलाके (फाटा) के विभिन्न हिस्सों से लापता हजारों लोगों के बारे में पता लगाया जाए. बलूचिस्तान प्रांत में सरकार को इस सवाल का जवाब देना भारी पड़ रहा है. आंदोलन कर रहे लोगों की मांग है कि पश्तूनों को भी समान नागरिक अधिकार दिए जाएं.

मुशर्रफ के इस कदम को इकबाल की कमेटी ने गैरकानूनी और अनैतिक करार दिया है. इस मामले में और जांच करने की सिफारिश की गई है. जावेद इकबाल ने सवाल किया है, 'कानून और संविधान के होते हुए भी कोई गुप्त तरीके से कैसे पाकिस्तानी नागरिकों को किसी दूसरे देश को बेच सकता है?' आपको बता दें कि मुशर्रफ के इस कदम पर तत्कालीन निर्वाचित सरकार के किसी भी सांसद ने सवाल खड़ा नहीं किया था.

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यह मामला पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में भी सालों से लटका हुआ है. कई दशकों तक मामले को या तो नजरअंदाज किया गया या फिर ठंडे बस्ते में डालकर छोड़ दिया गया. इसकी वजय यह थी कि इससे देश की खुफिया एजेंसियों और उनके कामकाज के तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे थे.

डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स पाकिस्तान की चेयरपर्सन अमीना समूद जानुजा के पति भी इसी तरह से गायब हैं. वह कई सालों से गायब हुए लोगों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं. जावेद इकबाल के खुलासे के बाद गायब हुए लोगों के लिए आंदोलन चला रहे लोग अपने रिश्तेदारों के लिए चिंतित हैं.

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