
पाकिस्तान के मस्जिद में हुए फिदायीन हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने ले ली है. इस हमले में अबतक 63 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 150 से ज्यादा लोग जख्मी है. इस हमले की डिटेल खौफ पैदा करने वाली है. सोमवार को दोपहर बाद लगभग 1.40 बजे पेशावर के बेहद सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में एक मस्जिद खचाखच भरी हुई थी. दोपहर के बाद का नमाज जोहर चल रहा था.
नमाजियों में स्थानीय लोग तो थे ही पुलिस, सेना, बम निरोधक दस्ते के जवान भी शामिल थे. लोग कतारबद्ध होकर नमाज पढ़ रहे थे. तभी नमाजियों में पहली कतार में शामिल एक शख्स ने एक हरकत की और कानों को बहरा कर देने वाला एक धमाका हुआ. यही शख्स फिदायीन हमलावर था जो धमाके के साथ ही चिथड़े-चिथड़े हो गया.
हमलावर पुलिसकर्मियों और सुरक्षा अधिकारियों को निशाना बनाना चाहते थे. मरने वालों में ज्यादातर पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी ही शामिल हैं.
आईएसआई ने खुरासनी को कैसे किया ढेर?
उमर खालिद खुरासनी से जुड़ा लिंक
पाकिस्तानी सेना के हाथों मारे गए टीटीपी कमांडर उमर खालिद खुरासनी के भाई ने दावा किया कि ये हमला उसकी भाई की हत्या का बदला था. उमर खालिद खुरासनी की मौत अगस्त 2022 में अफगानिस्तान में तब हुई थी जब उसकी कार को निशाना बनाकर एक धमाका किया गया था. इसमें खुरासनी समेत 3 लोग मारे गए थे.
मस्जिद में घुसे पेशावर के एसपी और हुआ धमाका
पेशावर के एसपी (जांच) शहजाद कौकब ने कहा कि वो जैसे ही मस्जिद में घुसे जोरदार धमाका हुआ और मस्जिद का एक हिस्सा टूट गया. उन्होंने कहा कि वे खुदा की रहमत से इस घटना में बच गए. शहजाद कौकब का ऑफिस मस्जिद के करीब ही है.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मस्जिद का एक हिस्सा धंस गया है और कुछ लोगों के मलबे के अंदर होने की आशंका है. पाकिस्तान की एजेंसियां अभी राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. बचाव अभियान के इंचार्ज बिलाल फैजी ने मीडिया को बताया, "हम अभी बचाव अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमारी पहली प्राथमिकता मलबे में दबे लोगों को सुरक्षित निकालने की है."
इस हमले में पाकिस्तान में कितनी बड़ी सुरक्षा चूक हुई है. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्लास्ट साइट के नजदीक ही पेशावर पुलिस का मुख्यालय है, आतंकवाद रोधी विभाग का दफ्तर भी यही है. इसके अलावा फ्रंटियर रिजर्व पुलिस और एलीट फोर्स, टेलिकॉम डिपार्टमेंट का दफ्तर भी इसी मस्जिद के आस-पास है.
4 लेयर की सुरक्षा तोड़कर घुसा हमलावर
इतने वीवीआईपी इलाके में ये हमलावर किस तरह घुसा ये बड़ा सवाल है. इसके अलावा मस्जिद में एंट्री के लिए भी चार लेयर की सुरक्षा थी बावजूद इसके सुरक्षा एजेंसियों को झांसा देकर बॉम्बर वहां तक पंहुचने में सफल रहा.
पेशावर के कैपिटल सिटी पुलिस ऑफिसर मुहम्मद इजाज खान के हवाले से डॉन न्यूजपेपर ने कहा है कि कई जवान भी अभी मलबे के नीचे हैं उन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है. मुहम्मद इजाज खान ने कहा कि जब धमाका हुआ तो उस समय इलाके में 300 से 400 पुलिस अधिकारी मौजूद थे. साथ ही है कि सुरक्षाकर्मियों की ओर से बड़ी चूक हुई है.
पुलिस चीफ मोअज्जम जाह अंसारी ने कहा कि वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि मस्जिद की किलेबंदी को तोड़कर हमलावर अंदर कैसे पहुंचा? पुलिस चीफ ने इस बात की आशंका जताई कि हो सकता है बॉम्बर पहले से ही पुलिस लाइन में रह रहा हो, क्योंकि इस पुलिस लाइन में फैमिली क्वार्टर भी है.
इस घटना में घायल लोगों को लेडी रीडिंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अस्पताल ने कहा है कि घायलों में 13 लोगों की हालत नाजुक है. इस धमाके के बाद पेशावर के अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. अस्पताल ने नागरिकों से अपील की है कि वे घायलों के लिए खून दान करें.
बता दें कि पिछले साल पेशावर के कोचा रिसालदार इलाके में एक शिया मस्जिद के अंदर इसी तरह के हमले में 63 लोग मारे गए थे.
पाकिस्तान में मौत बांटने वाला संगठन बन गया है TTP
बता दें कि 2007 में कई आतंकी संगठनों ने एक साथ मिलकर TTP की स्थापना की थी. इस संगठन ने हाल ही में पाकिस्तान सरकार के साथ संघर्षविराम को खत्म कर दिया और अपने सदस्यों को पूरे पाकिस्तान में आतंकी हमले करने को कहा.
TTP की आतंकी संगठन अल कायदा से नजीदीकी की भी चर्चा होती है. इस संगठन को पाकिस्तान भर में कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. इनमें 2009 में सेना मुख्यालय पर हमला, सैन्य ठिकानों पर हमले और 2008 में इस्लामाबाद में मैरियट होटल में बमबारी शामिल है.
2014 में, पाकिस्तानी तालिबान के नाम से काम करने वाले टीटीपी ने पेशावर के उत्तर-पश्चिमी शहर में आर्मी पब्लिक स्कूल (APS) पर हमला किया था. जिसमें 131 छात्रों सहित कम से कम 150 लोग मारे गए थे.