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काश, सीट ना बदली होती तो मेरा भाई जिंदा होता..., प्लेन क्रैश में जिंदा बची लड़की की दर्दनाक कहानी

साल 1995 के दिसंबर महीने में न्यू जर्सी से कोलंबिया जा रहा एक विमान पहाड़ी इलाके में क्रैश हो गया. विमान में 155 लोग सवार थे, जिनमें सिर्फ चार लोग ही जिंदा बच पाए. इन लोगों में एक बच्ची और उसके पिता भी शामिल थे. उसी बच्ची ने हादसे के बाद का अनुभव साझा किया था, जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा.

फोटो- बचपन में पिता के साथ मिशेल फोटो- बचपन में पिता के साथ मिशेल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

नेपाल के पोखरा में रविवार को प्लेन क्रैश में 70 लोगों की जान चली गई. दो यात्री अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. येति एयरलाइंस का विमान एटीआर-72 काठमांडू से यात्रियों को लेकर पोखरा जा रहा था. पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंडिंग से कुछ मिनटों पहले ही यह हादसा हो गया. 

काठमांडू एयरपोर्ट से जब लोग विमान में सवार हुए होंगे तो किसी ने ऐसी दर्दनाक मौत की कल्पना भी नहीं की होगी. इस क्रैश में फ्लाइट क्रू से लेकर यात्रियों तक, किसी के भी बचने की उम्मीद नहीं है. हालांकि, दुनिया में ऐसे कई विमान क्रैश हुए हैं, जिनमें कुछ किस्मत के धनी लोग जिंदा बचकर घर पहुंच गए.   

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विमान के हादसों में इंसान अगर जिंदा भी बच जाए तो जिंदगी भर उसके लिए यह डरावने सपने जैसा रहता है. क्रैश में बचने वाले जब अपना अनुभव साझा करते हैं तो सुनने वालों के रोंगटे तक खड़े हो जाते हैं.   

ऐसी ही कहानी मिशेल डूसन (Michelle Dussan) की भी है, जो कोलंबिया में साल 1995 के दिसंबर महीने में हुए प्लेन क्रैश में पिता के साथ जिंदा बच गई थीं. जबकि उनकी मां, भाई और एक चचेरा भाई उस हादसे में नहीं बच पाया था. मिशेल ने जो अपना अनुभव बयां किया, वह वाकई में काफी भयावह है.

विमान में बैठने तक, उस दिन सबकुछ ऐसा था
मिशेल ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि, ''मेरा बचपन एकदम शानदार था. मैं न्यू जर्सी में पैदा हुई और वहीं पली-बढ़ी. साल 1995 में मेरे छठे जन्मदिन के करीब एक महीने बाद दिसंबर में हमारा पूरा परिवार एक फैमिली फंक्शन में शामिल होने कोलंबिया जाने की तैयारी कर रहा था. यह पहली बार था, जब मैं फ्लाइट से कहीं जा रही थी.''

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मिशेल ने बताया कि, "हम लोग जल्दी-जल्दी एयरपोर्ट पहुंचे. विमान ने थोड़ी देरी के साथ उड़ान भरी. उड़ान भरने के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था. मैंने अपने भाई से विंडो सीट लेने के लिए झगड़ा भी किया. इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है. हालांकि, मेरे पिता को थोड़ा बहुत जरूर याद हैं. वे बताते हैं कि उस समय पूरी फ्लाइट में लोग चीख रहे थे, मदद मांग रहे थे.'' 

पिता के साथ मिशेल

हादसे के बाद कैसा था आसपास का मंजर
महिला ने आगे बताया कि, ''हमारा प्लेन कोलंबिया की एक पहाड़ी पर क्रैश हो गया. जब मुझे होश आया, मैं काफी ज्यादा प्यासी थी. मैं स्पेनिश भाषा में चिल्लाकर मदद मांग रही थी. मैं मलबे में फंसी हुई थी, जहां से मेरे पिता मुझे निकालने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन सीट बेल्ट की वजह से मैं इस तरह फंस गई थी कि मुझे निकालना काफी मुश्किल हो रहा था.''

मिशेल ने बताया, ''मैं इस तरह फंसी थी कि आधा शरीर मेरा मलबे के अंदर था और आधा बाहर. हालांकि, इसी वजह से मेरी जान भी बच गई, क्योंकि काफी लोगों की मौत तो हाइपोथरमिया (ज्यादा तापमान) की वजह से ही हो गई. थोड़े समय बाद हम रेस्क्यू टीम को मिल गए. उन्होंने किसी तरह मुझे बाहर निकाला और विमान के जरिए अस्पताल भेज दिया गया.''

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हादसे के बाद बदल गई महिला की पूरी जिंदगी

मिशेल ने बताया कि, "अस्पताल में मुझे सिर्फ मेरी मां चाहिए थीं. मैं काफी सहमी हुई थी और बस अपनी मां का हाथ पकड़ना चाहती थी. मेरे बार-बार पूछने पर भी कोई मुझसे मेरी मां के बारे में बात नहीं कर रहा था. परिवार के लोगों ने पहले मुझसे झूठ बोला. बाद में उन्होंने बताया कि मेरी मां, भाई और कजिन अब स्वर्ग में हैं.''

मिशेल ने आगे कहा, ''मुझे बताया गया कि फ्लाइट में सवार 155 लोगों में मैं और मेरे पिता समेत सिर्फ चार लोग जिंदा बचे हैं. मैं भी घायल थी, इस वजह से अपने परिवार के लोगों के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाई. मुझे इस बात का हमेशा दुख रहता है कि अगर मैं अपने भाई से सीट बदलने के लिए नहीं पूछती तो शायद वो हमारे साथ होता. यह हमेशा मेरे दिमाग में रहता है."

मिशेल आगे कहती हैं कि, ''अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मैं कुछ दिनों तक थेरेपी के लिए कोलंबिया में अपने अंकल के घर रहीं. मुझे रात में डरावने सपने आते थे. मैं अचानक उठ जाती थी और रोने लगती थी. कई साल तक मैं व्हीलचेयर पर रही. डॉक्टरों ने मेरे पापा से कहा था कि मैं कभी नहीं चल पाऊंगी. हालांकि, चमत्कार हुआ और आज मैं चल सकती हूं.''

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आखिर में मिशेल ने कहा कि, ''जब हम वापस न्यू जर्सी पहुंचे तो मैं स्कूल पर फोकस नहीं कर पा रही थी. वो समय बेहद मुश्किल था. मैं अचानक रोने लग जाती थी. ईश्वर ही सिर्फ एक कारण है, जिसके सहारे मैं इस सदमे से बाहर निकल पाई हूं. इस हादसे ने मुझे एक अलग इंसान बदल दिया. अब मैं एक बच्ची की मां भी हूं. जो मुझसे छूट गया, वो सब मैं अब अपनी बच्ची को देना चाहती हूं."

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