
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विदेशी दौरे के दूसरे पड़ाव पर अमेरिका पहुंच गए हैं, जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात है, जिस पर पाकिस्तान और चीन समेत दुनिया के देश नजर गड़ाए हुए हैं. मोदी और ट्रंप के बीच आतंकवाद, एच1बी वीजा, चीन के वन बेल्ट वन रोड परियोजना, दक्षिण चीन सागर समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
इससे पहले पीएम मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच बेहतरीन दोस्ती देखने को मिली थी. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देशों का कई बार दौरा भी किया. ओबामा प्रशासन के दौरान पीएम मोदी खुद चार बार अमेरिकी दौरे पर गए. यह उनका पांचवां अमेरिकी दौरा हैं, लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वह पहली बार अमेरिका पहुंचे हैं.
वैसे तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मोदी के नक्शेकदम पर चलकर चुनाव जीता था. उन्होंने मोदी के नारे तक की नकल की थी, लेकिन एच1बी वीजा और जलवायु परिवर्तन पर फैसले ने दोनों देशों को असहज बना दिया है. इसके अलावा मेक इन इंडिया और फर्स्ट अमेरिका नीतियों के बीच टकराव से निवेशकों की चिंता बढ़ी है. निवेशकों के लिए अमेरिका की अपेक्षा भारत बेहतरीन बाजार है. हालांकि दोनों देश आपसी हित के लिए सामंजस्य बैठाने की पूरी कोशिश करेंगे. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच इन मुद्दों पर बातचीत हो सकती है---
भारत की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दे
1. एच1बी वीजा को सरल बनाना
2. अमेरिका में भारतीयों की सुरक्षा बढ़े
3. पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद बंद हो
4. आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई हो
5. वन बेल्ट वन रोड परियोजना के खिलाफ विशेष रणनीति तैयार हो
6. अमेरिका जलवायु परिवर्तन समझौते का पूरा पालन करे
अमेरिका की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दे
1. दक्षिण चीन सागर विवाद में चीन के खिलाफ भारत का सहयोग
2. चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना से निपटने को नई रणनीति बने
3. तालिबान आतंकियों से निपटने के खिलाफ लड़ाई में सहयोग मिले
4. कतर संकट समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत का सहयोग
5. जलवायु परिवर्तन समझौते में रियायत मिले
अगर हम आतंकवाद, वैश्विक एवं क्षेत्रीय सुरक्षा, मुक्त व्यापार और दक्षिण चीन सागर विवाद के मुद्दे पर बात करें, तो दोनों देशों के हित समान हैं. भारत और अमेरिका लंबे समय से इस मुद्दे पर एक रहे हैं, लेकिन फर्स्ट अमेरिका और मेक इन इंडिया के बीच टकराव जरूर देखने को मिल सकता है. ऐसे में इस मुद्दे पर दोनों देशों को झुकने की जरूरत होगी.