
संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद को लेकर पीएम मोदी ने बड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने हिरोशिमा में चल रही जी-7 सत्र में संबोधन के दौरान कहा, ये संस्थाएं दुनिया की आज की दौर की हकीकत से कोसों दूर हैं और अब इनमें सुधार की बहुत जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक निकाय में सुधार की पुरजोर वकालत करते हुए रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद आज की दुनिया की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करेंगे तो वे केवल 'बातचीत का एक मंच भर' बनकर रह जाएंगे.
पीएम मोदी ने चुन-चुनकर बताईं खामियां
मोदी ने हिरोशिमा में जी7 सत्र को संबोधित करते हुए आश्चर्य जताया कि जब इन चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया था तो विभिन्न मंचों को शांति और स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श क्यों करना पड़ा. उन्होंने , "यह विश्लेषण का विषय है, हमें विभिन्न मंचों पर शांति और स्थिरता की बात क्यों करनी पड़ रही है? शांति स्थापित करने के विचार से शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र आज संघर्षों को रोकने में सफल क्यों नहीं हो पा रहा है?"
आतंकवाद की अब तक सही परिभाषा क्यों नहीं?
इस दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद की परिभाषा को लेकर सवाल भी उठाए. उन्होंने कहा, 'क्यों, संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की परिभाषा तक को स्वीकार नहीं किया गया? अगर कोई आत्ममंथन करे तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि पिछली सदी में बनाई गई संस्थाएं आज की इक्कीसवीं सदी की व्यवस्थाओं के अनुसार नहीं हैं.' प्रधान मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब दुनिया की वर्तमान वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करता है. वह हकीकत से दूर है. इसलिए यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े संस्थानों में सुधारों को लागू किया जाना चाहिए." उन्होंने कहा, "उन्हें ग्लोबल साउथ (अल्प विकसित देशों) की आवाज भी बनना होगा. अन्यथा, हम केवल संघर्षों को खत्म करने के बारे में बात करते रहेंगे.
यूएन में सुधार की वकालत करता रहा है भारत
नई दिल्ली संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए जोरदार दबाव बना रही है. साथ ही भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक स्थायी सीट पर नजर गड़ाए हुए है. अभी के वक्त में यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य देश शामिल हैं जो संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं. पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं और ये देश किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं. समकालीन वैश्विक वास्तविकता (contemporary global reality) को दर्शाने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है. भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और जापान UNSC की स्थायी सदस्यता के प्रबल दावेदार हैं, जिसके पास अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी है.