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कैसी रही मोदी-जिनपिंग की मुलाकात? MEA ने कहा- तस्वीरें नए रिश्तों की गवाह

दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र पर शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी और जिनपिंग ने निर्णय लिया है कि वे अपनी सेनाओं को आपसी भरोसा पैदा करने और बातचीत मजबूत करने के निर्देश देंगे.

पीएम मोदी और शी जिनपिंग पीएम मोदी और शी जिनपिंग
जावेद अख़्तर/अनंत कृष्णन
  • वुहान,
  • 28 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:21 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय चीन दौरे का आज आखिरी दिन है. दौरे के अंतिम दिन पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ ईस्ट लेक पर घूमते हुए बातचीत की. साथ ही यहां दोनों नेताओं ने नौका विहार भी किया.

दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने एक-दूसरे के साथ बैठकर लंबी बातचीत भी की. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई चर्चा के बारे में जानकारी दी.

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चार दौर की बातचीत

विदेश सचिव ने बताया, 'पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच चार दौर की बातचीत हुई है. ये बातचीत सकारात्मक रही और इससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे.' उन्होंने कहा कि भारत-चीन शांतिपूर्ण रिश्तों पर जोर देंगे.

आतंकवाद पर भी बात

प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग ने आतंकवाद को लेकर भी बातचीत की. दोनों नेताओं ने आतंकवाद को एक बड़ा खतरा मानते हुए इसके खिलाफ लड़ने की प्रतिबद्धता जताई. विदेश सचिव ने बताया कि आतंकवाद के मुद्दे पर एक सामान्य स्तर की बातचीत हुई है, जिसमें आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करने पर दोनों देश सहमत दिखे, लेकिन किसी भी खास मुद्दे पर बात नहीं हुई.

भारत-चीन सीमा पर क्या बात हुई

दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर भी पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने बात की. विदेश सचिव ने बताया, 'दोनों नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों द्वारा विवाद का बेहतर हल तलाशने का समर्थन किया.' उन्होंने बताया कि 2005 में जो पैरामीटर थे, उन्हीं के आधार पर सेकेंड स्टेज में बात होगी.

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विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र के सभी इलाकों में अमन-चैन कायम रखने को अहम करार दिया.

उन्होंने कहा, 'इस बाबत दोनों नेताओं ने फैसला किया कि वे अपनी-अपनी सेनाओं को सामरिक दिशानिर्देश जारी करेंगे ताकि संचार मजबूत किया जा सके, विश्वास एवं समझ कायम की जा सके और उन विश्वास बहाली उपायों को लागू किया जा सके जिन पर दोनों पक्षों में पहले ही सहमति बन चुकी है.

बता दें कि पिछले साल डोकलाम में दोनों देशों के बीच करीब 73 दिनों तक कायम रहे गतिरोध ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर दी थी.

गोखले ने कहा, 'दोनों नेताओं की राय है कि दोनों देशों में इतनी परिपक्वता और समझदारी होनी चाहिए कि वे समग्र संबंधों के संदर्भ के दायरे में शांतिपूर्ण चर्चा के जरिए अपने मतभेद सुलझा सकें और इस बात का ख्याल रखें कि हम एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मान करें.'

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