
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रुनेई दौरा समाप्त हो गया है. वह बुधवार दोपहर ब्रुनेई से सीधे सिंगापुर के लिए रवाना हो गए हैं. पीएम मोदी का ब्रुनेई दौरा कई मायनों में खास रहा है. किसी भारतीय प्रधानमंत्री का ब्रुनेई का यह पहला दौरा था. यह दौरा ऐसे समय पर किया गया, जब दोनों देशों के राजनयिक संबंधों के 40 साल भी पूरे हो रहे हैं.
पीएम मोदी ने इस दौरे के दौरान व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के साथ-साथ अंतरिक्ष और रक्षा सेक्टर में सहयोग को भी बढ़ाने पर जोर दिया. ब्रुनेई के साथ भारत पहले ही अंतरिक्ष सेक्टर में कई अहम समझौते कर चुका है. इसके साथ ही इस दौरे से दोनों देशों के बीच कच्चे तेल और हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में भी संबंध मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई.
PM मोदी और ब्रुनेई सुल्तान के बीच क्या हुई बातचीत?
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि उन्होंने ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्कैया से मुलाकात की. दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करने के लिए हमारी द्विपक्षीय वार्ता सफल रही. हमने व्यापारिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने, रक्षा संबंधों को मजबूत करने और दोनों मुल्कों के बीच के संबंधों के बीच जुड़ाव को और बढ़ाने पर चर्चा की.
इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि ब्रुनेई के सुल्तान के भावपूर्ण शब्द गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य सत्कार के लिए मैं आपका और पूरे शाही परिवार का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं. सबसे पहले आपको और ब्रुनेई के लोगों को आजादी की 40वीं वर्षगांठ पर 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से हार्दिक बधाई देता हूं. हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. दोनों देशों के संबंध दिनोदिन प्रगाढ़ होते जा रहे हैं. 2018 में हमारे गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आपकी भारत यात्रा की स्मृतियों को आज भी भारत के लोग बहुत गौरव के साथ याद करते हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मुझे अपने तीसरे कार्यकाल में ही ब्रुनेई की यात्रा करने का सौभाग्य मिला. ये सुखद संयोग है कि इस वक्त दोनों देश अपनी द्विपक्षीय साझेदारी की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. भारत और ब्रुनेई दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं. भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो पैसिफिक रीजन में ब्रुनेई का महत्वपूर्ण साझेदार होना हमारे लिए उज्जवल भविष्य की गारंटी है.
बता दें कि ब्रुनेई को भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो पैसिफिक के विजन के लिहाज से काफी अहम देश माना जाता है. स्ट्रैटेजिक लिहाज से ब्रुनेई महत्वपूर्ण साझेदार देश है. इस देश की उत्तरी सीमा साउथ चाइना सी से लगती है.
PM मोदी की सिंगापुर यात्रा का एजेंडा
पीएम मोदी ब्रुनेई से सीधे सिंगापुर के लिए रवाना हो गए हैं. वह छह साल बाद सिंगापुर पहुंच रहे हैं. उनका यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब सिंगापुर में सरकार बदल गई है और लॉरेन्स वॉन्ग ने प्रधानमंत्री पद की कमान संभाल ली है. पीएम मोदी का सिंगापुर का दौरा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए जरूरी है.
सिंगापुर आसियान देशों में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. इस दौरान पीएम मोदी बिजनेस लीडर्स और कई बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे. इस दौरान साउथ चाइना सी और म्यांमार जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत हो सकती है.
व्यापार और निवेश के लिहाज से प्रधानमंत्री का सिंगापुर का दौरा अहम है. आसियान देशों में सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है. सिंगापुर दुनिया में भारत का छठा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक बड़ा स्रोत सिंगापुर है. सिंगापुर की वैश्विक सेमीकंडक्टर ईको सिस्टम में अहम भूमिका है. इस क्षेत्र में सिंगापुर का 20 से अधिक सालों का अनुभव है.
भारत के लिए क्यों अहम है सिंगापुर?
मौजूदा समय में भारत का पूरा जोर एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर है. भारत ने इस पॉलिसी की शुरुआत नवंबर 2014 में 12वें आसियान-भारत शिखर समिट के दौरान शुरू की थी. इस पॉलिसी का उद्देश्य हिंद महासागर में बढ़ रही समुद्री क्षमता का मुकाबला करना और साउथ चाइना सी और हिंद महासागर में रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना है.
चीन लगातार साउथ चाइना सी में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रहा है. इस वजह से कई देशों से लगातार चीन का विवाद बना हुआ है. साउथ चाइना सी के कुछ हिस्से पर चीन अपना दावा करता है, जिसे लेकर क्षेत्रीय स्तर पर शांति प्रभावित होती रही है. ऐसे में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पीएम मोदी के ब्रुनेई और सिंगापुर के दौरे को काफी अहम माना जा रहा है.