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चीन पर फिर मंडराया रहस्यमयी बीमारी का साया, क्यों अक्सर China या अफ्रीकी देशों से फैलते रहे हैं खतरनाक वायरस?

कोरोना से उबरते ही चीन से एक और डराने वाली खबर आ रही है. वहां बच्चों में रहस्यमयी बीमारी दिख रही है, जिसके लक्षण निमोनिया से मिलते-जुलते हैं. WHO ने चीन से बीमारी की डिटेल मांगते हुए जानकारी सार्वजनिक की. इसके साथ ही ये खौफ बढ़ रहा है कि क्या चीन एक बार फिर सांस से जुड़ी कोई खतरनाक बीमारी दुनिया को देने वाला है.

एशियाई और अफ्रीकी देशों से वायरस ज्यादा फैलते आए हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay) एशियाई और अफ्रीकी देशों से वायरस ज्यादा फैलते आए हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

रहस्यमयी निमोनिया से जुड़े ज्यादातर मरीज चीन के उत्तर-पूर्वी बीजिंग और लियाओनिंग के अस्पतालों में देखे जा रहे हैं. बच्चों में तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण हैं, जो कि निमोनिया की तरह हैं. कोरोना में भी इसी तरह के संकेत होते हैं, लेकिन अब तक बच्चे इस महामारी से काफी हद तक बचे रहे थे.

इस बीच ये सवाल उठ रहा है कि क्या कोविड ही नए रूप में इस बार बच्चों पर हमलावर हो रहा है, या फिर चीन की वजह से कोई नया वायरस पैदा हो चुका. बता दें कि कोरोना के बारे में भी माना जाता है कि उसका ऑरिजिन चीन का वुहान मार्केट या फिर लैब था. 

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ग्लोबल संस्थाओं का मानना है कि ज्यादातर महामारियों की शुरुआत अफ्रीका या एशियाई देशों से होती है. WHO के डिसीज आउटब्रेक में भी ये बात मानी गई. ये ग्लोबल स्तर पर ज्ञात और अज्ञात बीमारियों पर बातचीत करती है. 

कौन-कौन सी बीमारियां आईं?

मंकी पॉक्स, जीका वायरस, इबोला वायरस, सार्स, मार्स और हाल में तबाही मचा चुका कोरोना वायरस. इन सभी बीमारियों का ऑरिजिन एशिया और अफ्रीका ही हैं. खासकर सांस से जुड़ी बीमारियों की शुरुआत चीन से ही कनेक्टेड दिखाई देती है. हालांकि इस बारे में कभी कोई पुष्टि नहीं हो सकी. 

वायरस का असल सोर्स क्या है, ये पता लगा सकना काफी मुश्किल है. बहुत से वायरस म्यूटेट होकर नया रूप ले लेते और फैलते हैं. जानवर या इंसान, जिसपर ये वायरस बसे हुए हैं, वे भी यहां से वहां घूमते रहते हैं. ऐसे में सोर्स समझ नहीं आता. 

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एशिया और अफ्रीका से क्यों हो रही है शुरुआत?

इसकी सबसे बड़ी वजह है, इन जगहों की बढ़ती आबादी. वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 21वीं सदी की शुरुआत से ऐसा ट्रेंड शुरू हुआ. अब हाल ये है कि एशिया और पैसिफिक इलाकों में दुनिया के करीब 60 फीसदी लोग रहते हैं. आबादी बढ़ने की वजह से इंसान और जानवर सीधे संपर्क में आने लगे. जंगली जानवरों में कई खतरनाक किस्म के वायरस होते हैं, जैसे चमगादड़ को ही लें तो उसमें 100 से ज्यादा किस्में किसी भी समय मिल जाएंगी. एक से दूसरे तक होते हुए ये वायरस इंसानों तक पहुंच जाते हैं. 

एनिमल मार्केट भी एक कारण है

चीन के बारे में कई रिपोर्ट्स आ चुकीं कि वहां एग्जॉटिक एनिमल्स का बाजार सजता है. वुहान मार्केट इसी श्रेणी का था, जहां कथित तौर पर चमगादड़ों से लेकर सांप भी मिलते रहे. इनके कच्चे या अधपके मांस से खतरनाक बीमारियों का खतरा रहता है. कोरोना के पहले केस के बारे में कंस्पिरेसी है कि बीमारी यहीं से फैली. अफ्रीका में भी बुशमीट कॉमन है.

ऐसे फैल रही जूनोटिक बीमारियां

एशियाई देश, जैसे चीन, थाइलैंड और इंडोनेशिया में बाजारों में कई जानवरों को जिंदा बेचा जाता है. जगह की कमी के चलते ये सारे पशु एक साथ रख दिए जाते हैं. इससे भी वायरस को फैलने के लिए सही माहौल मिल जाता है. इस तरह की बीमा्रियां जूनोटिक डिसीज की श्रेणी में आती हैं. संक्रमित जानवर की लार, खून, यूरिन, मल या उसके शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से इंसान इसकी चपेट में आ सकता है.

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पशुओं से फैल चुकीं इतनी बीमारियां

कंस्पिरेसी के बावजूद कोविड के मामले में ज्यादातर देश मानते हैं कि ये चमगादड़ों से आई बीमारी है. इसी तरह से सार्स और मर्स भी जानवरों से आए. यहां तक कि एड्स जैसी लाइलाज बीमारी भी संक्रमित चिंपाजी से इंसानों तक पहुंची. यलो फीवर भी साल 1901 में पशुओं से हम तक पहुंचा. इसके बाद से रेबीज, लाइम डिजीज जैसी लगभग 2 सौ बीमारियां हैं, जो संक्रमित पशु-पक्षियों से इंसानों तक आईं.

फिलहाल क्या कर रहे हैं एक्सपर्ट?

लगभग सालभर पहले कांगो में एक मरीज रहस्यमयी बीमारी के साथ पहुंचा, उसे बुखार के साथ ब्लीडिंग भी हो रही थी. पहले इसे इबोला समझा गया, लेकिन जांच में निगेटिव आने के बाद एक्सपर्ट नई महामारी की शुरुआत का अंदाजा लगाने लगे. इसे नाम मिला- डिसीज X. फिलहाल जिसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता, उस बीमारी यानी डिजीज X को फ्यूचर पेंडेमिक की लिस्ट में सबसे ऊपर माना जा रहा है. दुनिया के 300 से भी ज्यादा वैज्ञानिक 25 से ज्यादा वायरस और बैक्टीरिया को इस श्रेणी में रखेंगे, जिनकी जानकारी नहीं के बराबर है. इनपर काम किया जा रहा है. 

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