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श्रीलंका: प्रत्यक्षदर्शी बोले- हिंसा होती रही, तमाशा देखती रही पुलिस

श्रीलंका में 21 अप्रैल को तीन गिरजाघरों और तीन लग्जरी होटलों में आत्मघाती हमले हुए थे. इन हमलों में 253 लोगों की मौत हो गई थी और 500 से अधिक लोग घायल हो गए थे. श्रीलंका में ईस्टर संडे के आत्मघाती हमले के कारण देश में सांप्रदायिक हिंसा काफी ज्यादा भड़क चुकी है.

श्रीलंका में सांप्रदायिक हिंसा काफी ज्यादा भड़क चुकी है. श्रीलंका में सांप्रदायिक हिंसा काफी ज्यादा भड़क चुकी है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2019,
  • अपडेटेड 6:05 PM IST

श्रीलंका में ईस्टर संडे के आत्मघाती हमले के कारण देश में सांप्रदायिक हिंसा काफी ज्यादा भड़क चुकी है. इसको लेकर प्रशासन भी लगातार कदम उठा रहा है. वहीं श्रीलंका के सैनिकों ने बख्तरबंद वाहनों में इस हफ्ते हिंसा की चपेट में आए क्षेत्रों का दौरा किया. इस दौरान निवासियों का कहना है कि हिंसा के वक्त मुसलमान अपने घरों और दुकानों से निकलकर धान के खेतों में छुप गए. वहीं पुलिस खड़ी हिंसा देखती रही.

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14 मई को श्रीलंका के पास के कोट्टमपतिया में एक मस्जिद में भीड़ के हमले के बाद श्रीलंका के सैनिकों ने बख्तरबंद वाहन के जरिए हेटिपोला की सड़कों पर गश्त लगाई. अधिकारियों ने कहा कि सबसे अधिक प्रभावित उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में स्थिति नियंत्रण में थी, जबकि मुस्लिम विरोधी भीड़ रविवार से शहर से शहर जा रही थी. दरअसल, श्रीलंका में ईस्टर संडे के आत्मघाती हमले में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले के बाद से ही देश में तनाव का माहौल है और सांप्रदायिक हिंसा भड़की. इस हिंसा में मुस्लिम विरोधी भीड़ ने मस्जिदों पर हमला किया. इसके अलावा हिंसा के दौरान मुस्लिमों के धार्मिक ग्रंथ कुरान को भी जला दिया गया.

कोट्टमपिटिया शहर में टूटी खिड़कियों और दरवाजों वाली एक सफेद और हरी मस्जिद के बाहर इकट्ठा हुए लोगों के समूह में से एक ने बताया, 'मुस्लिम समुदाय' के लोग पास के धान के खेतों में छुप गए. जिसके कारण किसी की जान नहीं गई. उन्होंने बताया कि सोमवार की दोपहर के बाद लगभग एक दर्जन लोगों का एक समूह टैक्सियों में आया था और मुस्लिमों के स्वामित्व वाले स्टोर पर पत्थरों से हमला किया. देखते ही देखते भीड़ ने काफी नुकसान किया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक भीड़ ने मुख्य मस्जिद, 17 मुस्लिम स्वामित्व वाले कारोबार और 50 घरों पर हमला किया. 48 साल के अब्दुल बारी ने बताया कि दुकान को पेट्रोल बम से जला दिया गया. उन्होंने कहा कि हमलावर मोटरबाइकों पर थे, जो छड़ और तलवारों से लैस थे.

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पुलिस ने कुछ नहीं किया

साथ ही वहां के लोगों ने भीड़ को तितर-बितर करने में विफल रहने के लिए पुलिस को दोषी ठहराया. 47 साल के मोहम्मद फलील का कहना है कि पुलिस देखती रही. वे गली में थे. उन्होंने कुछ भी नहीं रोका. उन्होंने हमें अंदर जाने के लिए कहा. मोहम्मद फलील ने कहा कि हमने पुलिस को कहा कि इसे रोको. लेकिन पुलिस ने गोली नहीं चलाई. पुलिस को ये रोकना था. लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया.

वहीं पुलिस के प्रवक्ता रूवान गुणसेकेरा ने उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि हिंसा के दौरान पुलिस खड़ी थी. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की स्थिति नियंत्रण में थी और अपराधियों को दंडित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही ज्यादा से ज्यादा पुलिस बल का इस्तेमाल किए जाने की बात भी कही गई है. अपराधियों को 10 साल की जेल की सजा हो सकती है. वहीं इस मामले में श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि सोमवार देर रात उन्होंने सुरक्षा बलों को मुस्लिम विरोधी हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी थीं.

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बता दें कि श्रीलंका में 21 अप्रैल को तीन गिरजाघरों और तीन लग्जरी होटलों में आत्मघाती हमले हुए थे. इन हमलों में 253 लोगों की मौत हो गई थी और 500 से अधिक लोग घायल हो गए थे.

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