
दुनिया में वन्य जीवों की आबादी में भारी कमी देखी गई है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1970 से अब तक वन्य प्राणियों की संख्या में 60 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है.
WWF की हर दो साल पर तैयार होने वाली लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 40 सालों में अफ्रीकी हाथियों, सुमात्रा के बाघों और ऑस्ट्रेलिया के वन्य जीवों की आबादी में औसतन 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन और इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ नेचर के साथ मिलकर किए गए अध्ययन में दुनिया की 4000 वन्य प्रजातियों को रेड लिस्ट में शामिल किया गया है. इस अध्ययन में पता चला है कि 1970 से 2012 के बीच वन्य जीवों की आबादी में 58 फीसदी की कमी आई है जो 2020 तक बढ़कर 67 फीसदी हो जाएगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि धरती पर इंसान सबसे ताकतवर हो गया है और वही सबसे लिए फैसले ले रहा है. शहर बनाने, खेती करने की वजह से तेजी से जंगलों और चारागाहों की जमीन साफ हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट, अमेजन, कॉन्गो बेसिन, सुमात्रा और न्यू गीनिया को इस मामले में हॉटस्पॉट कहा गया है.
इसके साथ ही दक्षिण अमेरिका के वर्षावनों में हजारों वर्ग मील क्षेत्रफल की कमी से फसलों के उत्पादन को भी खतरे में डाल दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक कुल 70000 पौधों की प्रजातियों का व्यावसायिक और दवा बनाने के इस्तेमाल का भी बुरा असर पड़ा है.
इस अध्ययन में दुनिया में 3700 प्रजातियों के कुल 14,200 जानवरों को शामिल किया गया. इससे पता चला कि इंसान की बढ़ती आबादी वन्य जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसके अलावा प्रदूषण, शिकार और जलवायु परिवर्तन भी खतरनाक कारक हैं.
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति अभी अनियंत्रित नहीं हुई है और इसे पलटा जा सकता है. क्योंकि इन प्रजातियों की आबादी घट रही है, खत्म नहीं हुई है.