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पापुआ न्यू गिनी में कांपी धरती, 7.7 तीव्रता के भूकंप से बड़ी तबाही की आशंका

रविवार को पपुआ न्यू गिनी और इंडोनेशिया दोनों जगह भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि, रिक्टर स्केल पर दोनों की तीव्रता अलग-अलग थी. पपुआ न्यू गिनी में आए तूफान की तीव्रता 7.7 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई. यहां कई इमारतों को नुकसान पहुंचने की बात सामने आई है. वहीं, इंडोनेशिया में भूकंप की तीव्रता 6.0 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई.

aajtak.in
  • पोर्ट मोर्सबी,
  • 11 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:18 AM IST

पापुआ न्यू गिनी में रविवार सुबह भूकंप के तीव्र झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.7 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई. झटके इतने तेज होने के कारण लोग घरों से बाहर निकल आए और अफरा-तफरी जैसी स्थिति बन गई.

भूकंप की निगरानी करने और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने वाली अमेरिकी संस्था यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक भूकंप कैनंटू शहर के नजदीक 61 किलोमीटर (38 मील) की गहराई पर आया. भूकंप से मदांग शहर की कई इमारतों को नुकसान पहुंचने की बात सामने आई है.

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USGS ने भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी भी जारी की थी, लेकिन बाद में संस्था ने कहा कि सुनामी का खतरा अब टल गया है. मदांग के स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने अचानक बहुत तेज झटकों का अनुभव किया.

पापुआ न्यू गिनी के अलावा इंडोनेशिया में भीभूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 6.0 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई.

क्यों आता है भूकंप?

धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है.

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रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता

- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.

- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है.

- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं.

- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है.

- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.

- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं.

- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं.

- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है.

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