
पाकिस्तान की राजनीति में आम चुनाव के पांच दिन बाद चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है. इसके साथ ही नई सरकार के गठन का फॉर्मूला भी तय हो गया है. यहां PML-N गठबंधन की नई सरकार होगी और दो पार्टियां पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान समर्थन देंगी. अगले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (72 साल) होंगे. इसके अलावा पार्टी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मरियम नवाज (50 साल) को पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए नामित किया गया है. पीपीपी का राष्ट्रपति होगा. पार्टी ने साफ किया है कि वो आसिफ अली जरदारी को नया राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव आगे बढ़ा रहे हैं.
PML-N की की सूचना सचिव मरियम औरंगजेब ने बताया कि पार्टी सुप्रीमो नवाज शरीफ (74 साल) ने शहबाज शरीफ को देश के प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया है. मरियम औरंगजेब का कहना था कि नवाज शरीफ ने खुद पद ना लेने का फैसला लिया है और शहबाज को नया पीएम और मरियम नवाज का पंजाब के सीएम के तौर पर नाम फाइनल किया है. सरकार बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, सरकार में सत्ता बंटवारे की व्यवस्था के लिए हर राजनीतिक दल में कमेटियां बनाई जा रही हैं.
'बाहर से समर्थन देगी बिलावल की पार्टी'
नवाज शरीफ ने उन राजनीतिक दलों को धन्यवाद दिया है जिन्होंने पीएमएल-एन को (आगामी सरकार बनाने में) समर्थन देने का ऐलान किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसे फैसलों से पाकिस्तान संकट से बाहर आ जाएगा. यह घटनाक्रम पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी के प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने के कुछ घंटों बाद आया है. बिलावल का कहना है कि उनकी पार्टी नई सरकार का हिस्सा नहीं बनेगी. हालांकि, वो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी का समर्थन करेंगे.
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फिलहाल, शहबाज के दूसरी बार पीएम बनने का रास्ता साफ होते दिख गया है. इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद शहबाज पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री बने थे और अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक देश की बागडोर संभाली थी. वे पीपीपी के समर्थन से सरकार में आए थे.
'सबसे ज्यादा इमरान समर्थित उम्मीदवार जीते'
बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 266 सीटें हैं. 265 सीटों के नतीजे जारी हुए हैं. सरकार बनाने के लिए 133 सीटें होना जरूरी है. देश में 8 फरवरी को आम चुनाव हुए थे. सबसे ज्यादा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि आम चुनाव में सबसे ज्यादा 101 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. इनमें ज्यादातर उम्मीदवार इमरान खान की पार्टी PTI के समर्थित हैं. उसके बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) को 75 सीटें, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) को 54 सीटें मिलीं. मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (PQM-P) को 17 सीटें मिलीं. अन्य पार्टियों को भी 17 सीटें मिलीं हैं. एक सीट का नतीजा रोक दिया गया है. किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने से त्रिशंकु संसद की स्थिति बन गई. इमरान खान जेल में बंद हैं और वो सरकार बनाने की कवायद में पिछड़ गए.
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'नई सरकार के लिए कमेटी गठित'
वहीं, आम चुनाव के पांच दिन बाद भी पाकिस्तान में अगली सरकार को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही थी. PML-N को कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना का समर्थन प्राप्त है. एक दिन पहले PPP ने केंद्रीय कार्यकारी कमेटी की बैठक बुलाई और अपने नेताओं से सरकार बनाने को लेकर चर्चा की. उसके बाद एक बयान में बिलावल (35 साल) ने कहा, वास्तविकता यह है कि उनकी पार्टी के पास संघीय सरकार बनाने का जनादेश नहीं है. इसके कारण मैं खुद को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के लिए आगे नहीं बढ़ाऊंगा. नतीजों में पीएमएल-एन और निर्दलीयों की संख्या ज्यादा है.
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज ने कहा था कि नवाज शरीफ रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनेंगे. शहबाज ने कहा था, मैंने कहा था कि नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री बनेंगे और मैं आज भी इस बात पर कायम हूं कि वे चौथी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
'संकटों से बाहर निकालने में समक्ष होंगे'
शहबाज ने कहा कि उन्होंने बिलावल और उनके पिता आसिफ अली जरदारी से बात की है और नवाज शरीफ को समर्थन देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, हमें उम्मीद है कि हम साथ मिलकर पाकिस्तान को सभी राजनीतिक और आर्थिक संकटों से बाहर निकालने में सक्षम होंगे, इंशाल्लाह.
सरकार गठन को लेकर पीएमएल-एन और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने भी मंगलवार को बैठक की है. दोनों पार्टियां आपसी सहयोग से आगे बढ़ने पर सहमत हुईं और शहबाज शरीफ ने एमक्यूएम-पी को धन्यवाद दिया, जिसके समर्थन के लिए संसद में 17 विधायक हैं.
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'बिलावल बोले- इमरान ने अलायंस से मना किया'
बिलावल ने कहा, इमरान खान की पीटीआई ने पीपीपी के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था, जिससे पीएमएल-एन एकमात्र ऐसी पार्टी रह गई, जिसने पीपीपी को सरकार में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था.
'स्थिर सरकार बनाने में मदद करेंगे'
इससे पहले बिलावल ने कहा कि पीपीपी ने फैसला किया है कि हम सरकार का हिस्सा नहीं हो सकते हैं लेकिन हम वोट और प्रधानमंत्री के चुनाव के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करेंगे. बिलावल ने कहा कि पीपीपी ने देश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री पद के वास्ते पीएमएल-एन के उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया. बिलावल ने कहा, पीपीपी ने सरकार के गठन और राजनीतिक स्थिरता के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ जुड़ने के वास्ते एक कमेटी बनाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, पीपीपी सरकार का हिस्सा बने बिना भी स्थिर सरकार बनाने में मदद करेगी.
'पिता को राष्ट्रपति बनते देखना चाहते हैं'
बिलावल ने कहा कि वो अपने पिता आसिफ अली जरदारी (68 साल) को एक बार फिर राष्ट्रपति बनते देखना चाहेंगे. दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पति जरदारी 2008 से 2013 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं. उन्होंने कहा, मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि वे मेरे पिता हैं. मैं यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि देश इस समय भारी संकट में है और अगर किसी के पास इस आग को बुझाने की क्षमता है तो वो आसिफ अली जरदारी हैं. एक सवाल के जवाब में बिलावल ने कहा, सभी राजनीतिक ताकतों को देश के बारे में सोचने और विभाजन की राजनीति को खत्म करने की जरूरत है. उन्हें सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए. इस तरह देश के दुश्मन इस संकट से फायदा उठाना चाहेंगे.
'अलायंस में जाने से जनादेश का अपमान होगा'
वहीं, इमरान खान ने मंगलवार को पाकिस्तान में किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन सरकार बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की जनता ने हमें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जनादेश दिया है. अलायंस में शामिल होने से जनादेश का अपमान माना जाएगा.
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इमरान ने कहा, पीएमएल-एन, पीपीपी और एमक्यूएम के साथ कोई गठबंधन नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पीटीआई के सूचना सचिव रऊफ हसन को तीन पार्टियों को छोड़कर सभी पार्टियों को एक साथ लाने का निर्देश दिया है. खान ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को 'चोरी किए गए वोटों' के साथ सरकार बनाने की साजिश पर चेतावनी भी दी है.
'लोगों की इच्छा के विरुद्ध समझौता नहीं करेंगे'
खान ने जेल से अपने परिवार के माध्यम से संदेश में कहा, मैं चोरी के वोटों के साथ सरकार बनाने के दुस्साहस के खिलाफ चेतावनी देता हूं. इस तरह की दिनदहाड़े डकैती न केवल नागरिकों का अपमान होगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को और भी नीचे की ओर धकेल देगी. पीटीआई कभी भी लोगों की इच्छा के विरुद्ध समझौता नहीं करेगी और मैंने अपनी पार्टी को स्पष्ट रूप से पीपीपी, पीएमएलएन और एमक्यूएम सहित किसी भी राजनीतिक दल के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाने का निर्देश दिया है. इन्होंने लोगों के जनादेश को लूटा है.
इमरान खान पीटीआई के संस्थापक हैं. उन्होंने रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अदियाला जेल में पत्रकारों से बात की थी. खान और उनकी पार्टी के अन्य नेता कई मामलों में दोषसिद्ध के चलते महीनों से जेल में बंद हैं.
इस बीच, इमरान खान की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, वे केंद्र के साथ-साथ पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों में सरकार बनाने के लिए दो दक्षिणपंथी धार्मिक दलों की पार्टियों का समर्थन लेंगे. पीटीआई के सूचना सचिव हसन ने कहा, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने केंद्र और पंजाब में सरकार बनाने के लिए मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) और खैबर-पख्तूनख्वा में जमाती-ए-इस्लामी (जेआई) में शामिल होने का फैसला किया है. हसन ने कहा, पीटीआई केंद्र और पंजाब में सरकार बनाने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना कर रही है.
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हालांकि, माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के जुड़ने के बावजूद पीटीआई केंद्र या पंजाब में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं जुटा पाएगी. हालांकि, पीटीआई किसी अन्य पार्टी के समर्थन के बिना भी खैबर पख्तूनख्वा में सरकार बना सकती है.
वहीं, पीटीआई को झटका देते हुए पाकिस्तान की एक अदालत ने मंगलवार को इमरान खान की पार्टी समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवारों द्वारा दायर 30 से याचिकाएं खारिज कर दीं. इन याचिकाओं में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज समेत शीर्ष पीएमएल-एन नेताओं की नई सरकार बनाने की कवायद को चुनौती दी थी. लाहौर उच्च न्यायालय ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, पीटीआई समर्थित उम्मीदवारों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए पाकिस्तान चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए.