
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ 15 नवंबर को वर्चुअली बैठक करेंगे. व्हाइट हाउस के मुताबिक, इस समिट में दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के तरीकों पर चर्चा होगी. साथ ही साक्षा हित वाली जगहों पर साथ साथ काम करने के तरीकों पर भी चर्चा होगी.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा, पिछले महीने चीन के साथ हम अस्थायी समझौते पर पहुंचे थे कि इस साल के अंत तक बाइडेन और शी जिनपिंग के बीच बैठक आयोजित की जाए.
इरादों और चिंताओं को सामने रखेंगे बाइडेन
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बताया कि 15 नवंबर सोमवार की शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वर्चुअली बैठक करेंगे. इस दौरान जो बाइडेन शी जिनपिंग के सामने अमेरिका के इरादों और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करेंगे. साथ ही अमेरिकी चिंताओं को भी स्पष्ट तौर पर जिनपिंग के सामने रखेंगे.
अमेरिका और चीन के बीच पिछले कुछ सालों में विवाद बढ़ा है. डोनाल्ड ट्रम्प की तरह ही राष्ट्रपति बाइडेन ने चीन पर सख्त रुख अपनाया. ट्रम्प ने चीनी सामान पर अरबों डॉलर का आयात शुल्क लगाया था. इससे चीन भड़क गया.
चीन पर सख्त बाइडेन
बाइडेन प्रशासन ने ट्रम्प की सख्त स्थिति को बनाए रखा है और मानवधिकारों, ताइवान, शिनजियांग और तिब्बत समेत कई अन्य मुद्दों पर सामूहिक रूप से बीजिंग पर दबाव डालने के लिए अमेरिका के पुराने सहयोगियों के साथ मिलकर काम किया है. बाइडेन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी अमेरिका की गस्ती बढ़ा दी है, जहां चीनी सेना के आक्रामक नजर आ रही थी.
हालांकि, चीन और अमेरिका ने इस सप्ताह दोनों देशों में जलवायु सहयोग को बढ़ावा देने के ऐलान से सबको चौंका दिया. अमेरिका और चीन दुनिया के दो सबसे बड़े CO2 उत्सर्जक हैं. दो वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा यह घोषणा बुधवार को ग्लासगो में COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन में की गई.
बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद दो बार हो चुकी बातचीत
इससे पहले बाइडेन और जिनपिंग के बीच सितंबर में बातचीत हुई थी. यह बातचीत फोन पर हुई थी और 90 मिनट तक चली थी. बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद फरवरी में भी दोनों नेताओं के बीच फोन पर बात हुई थी.
शी जिनपिंग और बाइडेन के बीच इस वर्चुअली समिट को आयोजित करने का अस्थायी समझौता, बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और चीन के शीर्ष राजनयिक, यांग जिएची के बीच स्विट्जरलैंड में छह घंटे की बैठक का परिणाम था. इसके कुछ दिन बाद ही चीन ने ताइवान के रक्षा क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ संख्या में युद्धक विमान भेजे थे.