
चीन में जनता के लगातार जोरदार विरोध के बाद जिनपिंग सरकार को झुकना पड़ा है. पिछले दो साल से कोरोना के खिलाफ 'जीरो कोविड पॉलिसी' के कारण जनता को सख्त पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में वहां जिनपिंग सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन कर रही थी. अब सरकार ने सख्त कोरोना नियमों में ढील दी है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सख्त 'जीरो कोविड पॉलिसी' के खिलाफ जोरदार विरोध के बाद मंगलवार को लगभग दो साल के बाद पहली बार कोरोनो के सख्त मानदंडों में ढील दी गई है. नई घोषणा के अनुसार, शॉपिंग मॉल, सुपरमार्केट, कमर्शियल बिल्डिंग और आवासीय परिसरों में प्रवेश करने के लिए अब नकारात्मक न्यूक्लिक एसिड टेस्ट के रिपोर्ट की जरूरत नहीं है.
हालांकि, बीजिंग के लोगों को अभी भी रेस्तरां, स्कूल, बार, इंटरनेट कैफे, इनडोर गेमिंग स्टेडियम, नर्सिंग होम, अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश करने के लिए 48 घंटों के भीतर कोविड-19 टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत होगी. यह घोषणा देश के पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन के लिए सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) द्वारा यहां आयोजित बैठक से पहले की गई थी. जियांग जेमिन का 30 नवंबर को निधन हो गया था.
अब भी कोरोना के नए केस में बढ़ोतरी
चीन की राजधानी बीजिंग में अब भी कोरोना की बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. सोमवार को शहर में 2,260 कोविड संक्रमण के केस मिले थे. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक मंगलवार को चीन में 4,988 कंफर्म केस जबकि 22,859 संभावित केस की पुष्टि हुई. बीजिंग और शंघाई सहित कई चीनी शहरों में सरकार की 'जीरो कोविड पॉलिसी' के खिलाफ सार्वजनिक विरोध देखा गया था. जिसके कारण शहरों और अपार्टमेंट परिसरों में समय-समय पर तालाबंदी की गई, जिससे लोग कई दिनों तक घर के अंदर बंद रहे.
सख्त लॉकडाउन के खिलाफ ऐसे शुरू हुआ विरोध
चीन में पिछले दो साल से सख्त लॉकडाउन के कारण जनता परेशान है. हाल ही में चीन के शहर शंघाई में लॉकडाउन विरोधी एक कार्यकर्ता की गिरफ्तारी हुई थी. शंघाई पुलिस ने शियाओलोंग नाम के एक्टिविस्ट को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था. उसके बाद पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी की मांग उठ रही थी. इसके अलावा चीन के गुइयांग शहर में लॉकडाउन के दौरान खाने की किल्लत हो गई थी. इसके बाद 11 सितंबर से जोरदार प्रदर्शन शुरू हो गया था. लोग आटे, चावल, दूध और अंडे जैसी जरूरी चीजों की किल्लत से जूझ रहे थे. बच्चों को पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं मिल पा रहा था. जिसकी वजह से लोगों में भयंकर गुस्सा था. इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चीन पर कोविड प्रोटोकॉल के नाम पर मानवाधिकार उल्लंघन का भी आरोप लगा था.
बिजली कटौती और क्वारंटीन से बढ़ी परेशानी
लॉकडाउन वाले कई इलाकों में लगातार बिजली कटौती हो रही थी. इस वजह से वुहान यूनिवर्सिटी के छात्रों ने 19 सितंबर को जोरदार प्रदर्शन किया था. बाद में वुहान यूनिवर्सिटी के एक मैनेजर पर गबन और बिजली चुराने के लिए 20 लाख युआन का जुर्माना भी लगा. इसके बाद छात्रों का गुस्सा भड़क गया. इसके अलावा वुहान के लोग बिजली की बढ़ती कीमतों से भी परेशान थे. चीन के कई शहरों में बढ़ते केस के कारण सख्त लॉकडाउन लगा रहा. लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाना, दूध, सब्जी, पानी जैसी बुनियादी चीजों की दिक्कतें होने लगीं. इससे लोग सरकार के खिलाफ विरोध में सड़कों पर उतर गए.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य देशों से मजबूत समर्थन प्राप्त करने वाली 'जीरो कोविड पॉलिसी' के खिलाफ सार्वजनिक विरोध के बीच अपने सख्त कोरोनो लॉकडाउन के असर को "कम से कम" करने के लिए कदम उठाएगा. बता दें कि चीन एकमात्र प्रमुख देश है जो अब भी कोरोना को लेकर सख्त प्रोटोकॉल का नियम बना रखा है, जबकि अन्य देशों ने प्रतिबंधों में ढील दी है.