
अमेरिका में एक खबर चल रही है कि भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ह्यूस्टन में होने वाले हाउडी मोदी कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया है. इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब ऑर्गेनाइजेशन ऑफ माइनॉरिटीज ऑफ इंडिया (OFMI) को तुलसी गबार्ड के प्रचार टीम के एक सदस्य ने ये बात कही. हाउडी मोदी कार्यक्रम 22 सितंबर को होना है. तुलसी गबार्ड 2020 में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार भी हैं. लेकिन, यह खबर गलत साबित हुई है.
अमेरिका से यह जानकारी मिली है कि 22 सितंबर को तुलसी गबार्ड का आइओवा में कार्यक्रम है, इसलिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाउडी मोदी कार्यक्रम में नहीं शामिल हो पाएंगी. लेकिन, इसके बाद तुलसी गबार्ड खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्यूयॉर्क में मिलेंगी. इसके अलावा तुलसी गबार्ड हाउडी मोदी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए एक वीडियो भी भेजेंगी.
Ofmi.org में छपे लेख के अनुसार, तुलसी गबार्ड के इस इनकार को कांग्रेसमैन रो खन्ना की उस अपील से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें खन्ना के कहा था कि हिंदू धर्म के हम सभी अमेरिकी राजनेताओं को बहुवाद का समर्थन करना चाहिए. हमें हिंदुत्व का त्याग करना होगा. हमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध और ईसाईयों के लिए बराबर अधिकारों का समर्थन करना चाहिए. अब तुलसी गबार्ड के इस कदम से काफी विवाद हो रहा है. जबकि, तुलसी खुद विभिन्न मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चार बार मिल चुकी है.
कैलिफोर्निया डेमोक्रेटिक पार्टी के एक्जीक्यूटिव बोर्ड मेंबर अमर शेरगिल ने कहा कि खन्ना भारतीय मूल के वरिष्ठ अमेरिकी राजनेता हैं. उन्हें दक्षिण एशियाई राजनीति की गहरी समझ है. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भारत की सबसे ताकतवर राजनीतिक सोच का त्याग कर अधिकारों की बात कही है. यह नैतिकता पर आधारित बात है.
यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम के अनुसार भारतीय जनता पार्टी की हिंदुत्व को लेकर यह विचारधारा है कि सभी गैर-हिंदू विदेशी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2013 में खुद कहा था कि मेरी पहचान हिंदुत्ववादी की है. 1923 में धार्मिक राष्ट्रवादी राजनीतिक विचारधारा के समर्थक वीडी सावरकर ने भी कहा था कि भारत सिर्फ हिंदुओं का देश होना चाहिए. इसमें सिर्फ हिंदू ही रहने चाहिए.
2014 में अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी प्रचार से जुड़े एक इवेंट में भी नजर आई थीं. इसमें उन्होंने भाजपा के चुनाव चिन्ह वाला स्कार्फ पहना था. इसके अलावा, तुलसी गबार्ड ने नरेंद्र मोदी को भगवद गीता भेंट की थी. इसी गीता को हाथ में रखकर तुलसी ने शपथग्रहण की थी. 2016 में तुलसी गबार्ड ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे राजनीतिक उदाहरण हैं जिनसे पूरी दुनिया के नेताओं को सीखना चाहिए.
2018 से अब तक तुलसी गबार्ड का अमेरिका में काफी विरोध हुआ है. यह इसलिए क्योंकि तुलसी गबार्ड कई अमेरिकन हिंदुत्ववादी समूहों से जुड़ी हुई थीं. इसमें से प्रमुख हैं - ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ द बीजेपी और हिंदू स्वयंसेवक संघ. हिंदू स्वयंसेवक संघ भारत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा है. तुलसी गबार्ड को बड़ा दान देने वाले रमेश भुटाडा हिंदू स्वयंसेवक संघ के उपाध्यक्ष हैं. भुटाडा ने टेक्सास से ही मोदी को जीताने के लिए कैंपेन चलाया था. बाद में मोदी के जीतने के बाद भुटाडा ने कहा था कि यह भारत की दूसरी आजादी है.