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कनाडा से 70,000 छात्रों को वापस लौटना पड़ेगा उनके देश? विरोध प्रदर्शन हुआ तेज

कनाडा में 70,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नई फेडरल इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण देश छोड़ना पड़ सकता है. छात्रों ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि वे अपनी पढ़ाई और निवेश के बावजूद कनाडा में स्थायी निवास पाने की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं.

कनाडा में विदेशी छात्र इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव को चुनौती दे रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर) कनाडा में विदेशी छात्र इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव को चुनौती दे रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

कनाडा में हाल ही में हुए फेडरल इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव के कारण 70,000 से अधिक विदेशी छात्र वापस अपने देश भेजे जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं. ये छात्र, जो एक नए जीवन की उम्मीद में कनाडा आए थे, अब जस्टिन ट्रूडो सरकार के एजुकेशन परमिट को सीमित करने और स्थायी निवास (PR) के नामांकन को कम करने के निर्णय के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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पूरे कनाडा में छात्रों ने अलग-अलग प्रांतों में डेरा डाल लिया है और रैलियांआयोजित कर रहे हैं. इनमें प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI), ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया शामिल हैं. PEI में सैकड़ों छात्र पिछले तीन महीने से लेजिस्लेटिव असेंबली के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. ये छात्र इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव को चुनौती दे रहे हैं.

छात्रों का एक वकालत समूह जिसका नाम नौजवान सपोर्ट नेटवर्क है, के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि कई ग्रेजुएट वर्क परमिट खत्म होने के बाद इस वर्ष के अंत में इमिग्रेशन का सामना कर सकते हैं. स्थिति विशेष रूप से गंभीर हो गई है क्योंकि नई प्रांतीय नीतियों ने स्थायी निवास नामांकन में 25% की कटौती की है, जिससे कई छात्र अप्रत्याशित रूप से असुरक्षित हो गए हैं.

एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय छात्र महकदीप सिंह जो इमिग्रेशन का सामना कर रहे हैं ने सिटी न्यूज टोरंटो को बताया, 'मैंने कनाडा आने के लिए छह साल तक जोखिम उठाया. मैंने पढ़ाई की, काम किया, लोन चुकाया, और कॉम्प्रिहेंसिव रैंकिंग सिस्टम (CRS) में जरूरी पॉइंट्स पूरे किए, लेकिन सरकार ने हमारा फायदा उठाया है.'  

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महकदीप सिंह, जिन्होंने अपनी ट्यूशन फीस के लिए अपने परिवार की जीवनभर की कमाई को इसमें लगा दिया, अब एक मुश्किल समय सीमा का सामना कर रहे हैं, जिसमें स्थायी निवास का कोई आश्वासन नहीं है.

कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के एजुकेशन वीजा में क्यों की कटौती?

2023 में अंतरराष्ट्रीय छात्रों में एजुकेशन वीजा पाने वालों करीब 37% छात्रों ने कनाडा के आवास, स्वास्थ्य सेवा और अन्य सेवाओं पर खूब दबाव डाला. इसके जवाब में कनाडा सरकार ने अगले दो वर्षों में इस वृद्धि के बोझ से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट आवेदनों पर एक सीमा तय कर दी.

इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज़ एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के अनुसार यह सीमा 2024 में लगभग 3,60,000 परमिट के आस-पास रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष से 35% कम है.

मार्क मिलर, मंत्री इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज़ एंड सिटिजनशिप, ने घोषणा की है कि विदेशी नागरिक अब 21 जून से सीमा पर पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. यह निर्णय "फ्लैगपोलिंग" को लक्षित करता है, जहां अस्थायी निवासी कनाडा से पहले बाहर और फिर से देश में प्रवेश कर अपने वर्क या स्टडी परमिट के आवेदनों में तेजी ला सकते हैं.

PGWP अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए रोजगार और स्थायी निवास पाने का एक महत्वपूर्ण साधन है. 2018 की तुलना में 2023 में इसमें उल्लेखनीय तेजी देखी गई है. कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को यह भी घोषणा की कि उनकी सरकार कम वेतन वाली नौकरियों में लगे अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम करेगी.

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कनाडा सरकार के निशाने पर भारतीय छात्र?

ब्रैम्पटन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच निराशा ने आगे के विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है, जहां सैकड़ों छात्रों ने स्थानीय आवास और नौकरी संकट के लिए उन्हें दोषी ठहराने वाली धारणाओं के खिलाफ रैली की है. इंटरनेशनल सिख स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन जैसे समूहों का तर्क है कि ये समस्याएं व्यापक नीति विफलताओं का परिणाम हैं, न कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आने का.

इस विरोध प्रदर्शनों ने उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच बढ़ती हताशा को उजागर किया है, जो महसूस करते हैं कि सरकार द्वारा उन्हें अनुचित रूप से निशाना बनाया जा रहा है. अपनी शिक्षा और कनाडाई अर्थव्यवस्था में भारी निवेश करने वाले इन  छात्रों से अब अपनी पढ़ाई पूरी करने और घर लौटने के लिए कहा जा रहा है, जबकि उन्हें आगे चलकर बैंकों से लिए भारी कर्ज चुकाना है.

वे सरकार से पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिटों को बढ़ाने, स्थायी निवास के लिए स्पष्ट और साफ रास्ता निकालने, और सिस्टम द्वारा किए जा रहे उनके शोषण को हल करने की मांग कर रहे हैं.

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