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कतर ने चीन से मिलाया हाथ, 27 साल तक करेगा LNG सप्लाई

कतर और चीन के बीच यह डील 60 अरब डॉलर में हुई है. इस डील के तहत चीन अपने नॉर्थ फील्ड ईस्ट प्रोजेक्ट से चीन को 27 सालों तक एलएनजी की सप्लाई करेगा. इसे दुनिया की सबसे लंबी एलएनजी सप्लाई डील भी कहा जा रहा है. यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से एलएनजी की मांग काफी बढ़ गई है. 

 कतर के ऊर्जा मंत्री साद शेरीदा अल काबी कतर के ऊर्जा मंत्री साद शेरीदा अल काबी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:55 PM IST

वैश्विक उठापटक के बीच खाड़ी देश कतर ने चीन के साथ सोमवार को दुनिया की सबसे लंबी नेचुरल गैस (एलएनजी) सप्लाई डील की है. दोनों देशों के बीच हुआ यह समझौता 27 सालों के लिए हुआ है जो 2026 से शुरू होगा. इस समझौते के तहत कतर एनर्जी अपने न्यू नॉर्थ फील्ड ईस्ट प्रोजेक्ट से सालाना 40 लाख टन गैस चाइना पेट्रोलियम एंड केमिकल कॉरपोरेशन (सिनोपेक) को भेजेगी. 

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यह डील 60 अरब डॉलर में हुई है. कतर के ऊर्जा मंत्री और कतर एनर्जी के चीफ एग्जिक्यूटिव साद शेरीदा अल काबी ने कहा कि इस डील को एलएजी इंडस्ट्री के इतिहास में सबसे लंबी गैस सप्लाई डील माना जा रहा है. 

काबी ने दोहा में कहा, आज नॉर्थ फील्ड ईस्ट प्रोजेक्ट ने एक कीर्तिमान स्थापति किया है. यह डील क्रेता और विक्रेता दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण है. 

काबी ने कहा, हम सिनोपेक के साथ इस डील को लेकर बहुत खुश हैं. हमारे अतीत में दीर्घकालीन संबंध रहे हैं. इस नई डील से हमारे संबंध नई ऊंचाइयों तक जाने की उम्मीद है. 

काबी ने यह भी बताया कि चीन और यूरोप में अन्य खरीदारों से भी बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वैश्विक अस्थिरता की वजह से खरीदारों को लॉन्ग टर्म सप्लाई का महत्व समझ में आ गया है. बता दें कि कतर एलएनजी एक्सपोर्ट में दुनिया का शीर्ष देश है. 

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यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एलएनजी को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ी

चीन की कंपनी के चेयरमैन का कहना है कि उन्होंने कतर से नॉर्थ फील्ड साउथ प्रोजेक्ट में पूर्ण भागीदारी का भी अनुरोध किया है. बता दें कि नॉर्थ फील्ड दुनिया के सबसे बड़े गैस क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे कतर ईरान के साथ साझा करता है

यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से एलएनजी की मांग काफी बढ़ गई है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एलनजी को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. विशेष रूप से यूरोप, रूस के गैस पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रहा है. 

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