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लंदन में नीलाम होगा 13वीं शताब्दी का सोने का सिक्का, ये है भारत कनेक्शन

सिक्का लगभग 46 मिलीमीटर (डेढ़ इंच से अधिक) का है. इसका वजन 45 ग्राम है और ये शुद्ध सोने का है. इस सिक्के पर तथ्य यह है कि उस दौर के शानदार सिक्कों में से ये इकलौता ज्ञात सिक्का है.

सोने का सिक्का 2 से 3 लाख पाउंड में हो सकता है नीलाम सोने का सिक्का 2 से 3 लाख पाउंड में हो सकता है नीलाम
लवीना टंडन
  • लंदन,
  • 06 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 3:56 PM IST
  • सुल्तान मुइज़ुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी के काल का है सिक्का
  • 2 से 3 लाख पाउंड में नीलाम हो सकता है सिक्का
  • 22 अक्टूबर को लंदन में होगी सिक्के की नीलामी

मुइज़ुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी के समय का एक सोने का सिक्का यहां लंदन में 22 अक्टूबर को नीलाम होने जा रहा है. माना जा रहा है कि ये सिक्का दो लाख से तीन लाख पाउंड के बीच नीलाम हो सकता है. सिक्का 1205AD के आसपास का है. मुइज़ुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी को ही भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.    

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सिक्का लगभग 46 मिलीमीटर (डेढ़ इंच से अधिक) का है. इसका वजन 45 ग्राम है और ये शुद्ध सोने का है. इस सिक्के पर तथ्य यह है कि उस दौर के शानदार सिक्कों में से ये इकलौता ज्ञात सिक्का है. इससे ये सिक्का और बेशकीमती हो जाता है. 

मुइज़ुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था. मुइज़ुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी ने बड़े भाई गियासुद्दीन के साथ मिलकर पूर्व में उत्तरी भारत से लेकर पश्चिम में कैस्पियन समुद्र के किनारे तक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया था.

मुहम्मद ग़ोरी का शासन अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, उत्तरी भारत, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ताजिकिस्तान में फैला था. भारत में इस्लाम को फैलाने के लिए मुहम्मद ग़ोरी को जिम्मेदार माना जा सकता है. इस सुल्तान ने कई मंदिरों की जगह मस्जिदों का निर्माण कराया. साथ ही इस्लामी नियमों और कानूनी सिद्धांतों को लागू किया. यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि गोरी ने भारतीय इतिहास की दिशा को मोड़ दिया.  

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नीलामी कराने वाली संस्था मॉर्टन एंड ईडन के स्टीफन लॉयड ने सिक्के के महत्व को बताते हुए कहा, “यह विलक्षण, बड़ा सोने का सिक्का इस्लामी दुनिया के लिए और खास तौर पर भारत के लिए बहुत ही ऐतिहासिक महत्व का है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे जारी करने वाले व्यक्ति मुइज़ अल-दीन को भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम शासन की कई सदियों की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है." 

जबकि 597h और 598h साल के लिए गज़ना में सोने के समान सिक्के गढ़े गए थे और उनका वजन सतर्कता के साथ 10-मिथकल (इस्लाम में वजन की मात्रा)/ दीनार रखा गया, इनमें दोनों सुल्तानों के नाम थे. लेकिन अब 22 अक्टूबर को नीलाम होने जा रहा सिक्का कुछ वर्ष बाद यानी 601h (1205AD) में गढ़ा गया. तब तक गियासुद्दीन की मौत हो गई थी. ये अकेला सिक्का है जिस पर मुहम्मद गोरी का अकेला नाम अंकित है.  

इस सोने के सिक्के का उत्पादन क्यों किया गया, यह निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है, हालांकि तारीख 601h (1205) है. स्टीव लॉयड ने आगे कहा, 'यह सच में एक खास सिक्का है. यह भारत में मुहम्मद गोरी की उपलब्धियों के चरम पर उसकी ताकत का प्रतीक है. यह पहली बार है कि यह महान दुर्लभ वस्तु सार्वजनिक नीलामी में देखी जा रही है, जो दशकों से यूरोपीय निजी संग्रह में बनी रही.' 

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