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रोहिंग्या संकट पर 'सू की' के पैनल से अमेरिकी राजनयिक ने दिया इस्तीफा

अमेरिका के पूर्व गवर्नर और कभी सू की के सहयोगी रहे रिचर्डसन ने कहा कि वह अपने होशो-हवास में रहते हुए ऐसी समिति में काम नहीं कर सकता जो रोहिंग्या मामले में संभवत: लोगों की आंखों धूल झोंकने के लिए काम कर रही है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

म्यामांर के हिंसा प्रभावित रखाइन प्रांत में सांप्रदायिक तनाव को कम करने के वास्ते म्यांमार की नेता आंग सान सू की ओर से गठित पैनल में शामिल अमेरिकी राजनयिक बिल रिचर्डसन ने गुरुवार को आपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

'आंग सान सू की' की आलोचना

उन्होंने शांति के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित सू की में नैतिक नेतृत्व की कमी का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की.

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लोगों की आंखों में झोंकी जा रही धूल

अमेरिका के पूर्व गवर्नर और कभी सू की के सहयोगी रहे रिचर्डसन ने कहा कि वह अपने होशो-हवास में रहते हुए ऐसी समिति में काम नहीं कर सकता जो रोहिंग्या मामले में संभवत: लोगों की आंखों धूल झोंकने के लिए काम कर रही है.

उन्होंने रोहिंग्या मामले से संबंधित खबरों की कवरेज के दौरान गिरफ्तार किए गये रॉयटर्स के दो पत्रकारों को मुक्त करने के संबंध में सू की से अपनी गुहार नहीं सु ने जाने पर भी नाराजगी जताई है.

हालिया दौर में म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा काफी चर्चा में रहा है. भारत में भी कई हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिम हैं. जिन्हें देश से बाहर भेजने की बात हो रही थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोहिंग्याओं को बाहर करने से मना किया था. इन दिनों म्यांमार की नेता आंग सान सू की भारत आई हुई हैं, ऐसे में इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत हो सकती है.

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बता दें कि दुनिया में सबसे प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय में से एक म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को माना जाता है. इनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह जिस भी देश में शरण ले रहे हैं, वहां उन्हें हमदर्दी की बजाय आंतरिक सुरक्षा के खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. बेहद गरीब, वंचित रोहिंग्या समुदाय पर आतंकवादियों से कनेक्शन का आरोप लगता रहा है. इसी वजह से अन्य देश भी इन्हें शरण देने को राजी नहीं.

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