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पुतिन की चेतावनी- डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया और खेरसॉन हमारे, हमला किया तो...

क्रेमलिन में आयोजित कार्यक्रम में रूसी शीर्ष अधिकारियों को सबोधित करते हुए पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा कि डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन के लोग अब रूसी नागरिक हो चुके हैं. अगर इन पर हमला हुआ तो उसे रूस पर हमला माना जाएगा. रूस अपने नागरिकों और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई करेगा.

रूस के राष्ट्रपित ने कार्यक्रम को संबोधित किया (फोटो- AP) रूस के राष्ट्रपित ने कार्यक्रम को संबोधित किया (फोटो- AP)
गीता मोहन
  • मॉस्को,
  • 30 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय नियमों को दरकिनार कर यूक्रेन के कब्जे वाले चार इलाकों को अपने देश में शामिल करने के आधिकारिक दस्तावेद पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. क्रेमलिन में आयोजित कार्यक्रम में रूसी शीर्ष अधिकारियों को सबोधित करते हुए पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा कि डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन के लोग अब रूसी नागरिक हो चुके हैं. अगर इन पर हमला हुआ तो उसे रूस पर हमला माना जाएगा. रूस अपने नागरिकों और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई करेगा. 

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पुतिन ने कहा कि पूर्व नेताओं द्वारा नाटो का विस्तार न करने का वादा एक धोखे में बदल गया है. कीव से सैन्य कार्रवाई को 'तुरंत' बंद करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन को बातचीत करनी चाहिए. हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि रूस अपने साथ मिलाए गए नए क्षेत्रों से अपना कब्जा नहीं छोड़ेगा. उन्होंने पश्चिम देशों पर जर्मनी में रूसी गैस पाइपलाइनों में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी देश रूस को 'कॉलोनी' बनाना चाहते हैं. पश्चिम रूस को कमजोर और विघटित करने का एक नया मौका ढूंढ रहा है, वे इस सच्चाई से बाहर नहीं आ पा रहे हैं कि हमारा इतना महान देश है."

यूक्रेनी क्षेत्रों में रूस ने कराया था जनमत संग्रह 

बता दें कि रूस ने 23 से 27 सितंबर के बीच डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसान में जनमत संग्रह करवाया था. इसके बाद दावा किया है कि चारों इलाकों के ज्यादातर लोगों ने रूस के साथ आने के पक्ष में वोट दिया है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दावा है कि डोनेत्स्क में 99.2%, लुहांस्क में 98.4%, जेपोरीजिया में 93.1% और खेरसान में 87% लोगों ने रूस के साथ जाने के पक्ष में वोट डाला है.

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क्रीमिया को ऐसे ही मिलाया था? 

गौरतलब है कि फरवरी 2014 में रूस और यूक्रेन में संघर्ष शुरू हो गया था. ये संघर्ष यूक्रेन में राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की वजह से भड़का था. यानुकोविच रूस समर्थित नेता थे. 22 फरवरी 2014 को यानुकोविच देश छोड़कर भाग गए. 27 फरवरी को रूसी सेना ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. मार्च 2014 में क्रीमिया में जनमत संग्रह करवाया गया. दावा किया गया था कि इसमें 97 फीसदी लोगों ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट दिया था. 18 मार्च 2014 को क्रीमिया आधिकारिक तौर पर रूस का हिस्सा बन गया.

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूस को 'खून का प्यासा' बताया

बता दें कि यूक्रेनी क्षेत्र में रूसी हमलों के बाद ज़ापोरिज्जिया में कम से कम 25 लोग मारे गए और 50 घायल हो गए. जिसके बाद शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस को एक 'आतंकवादी देश' और 'खून का प्यासा' बताया. दक्षिणी ज़ापोरिज्जिया में रूसी गोलाबारी के बाद ज़ेलेंस्की ने कहा, "केवल पूर्ण आतंकवादी ही ऐसा कर सकते हैं. खून के प्यासे! हर यूक्रेनी जीवन के लिए तुम निश्चित रूप से जवाब दोगे." इसके साथ ही यूक्रेन ने नाटो देशों की सूची में शामिल होने की अपनी कोशिशों को और भी तेज कर दिया है.

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