
रूस (Russia) लगातार यूक्रेन (Ukraine) पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है. कभी मिसाइलों से कभी ड्रोन तो कभी बम और रॉकेटों से. लेकिन अब रूस ने अपना एक और घातक हथियार यूक्रेन के जंगी मैदानों में उतार दिया है. यह एक टैंक है. इसका नाम है टी-14 अरमाटा (T-14 Armata). इस टैंक की डिजाइनिंग 2014 में हुई थी. तब से 2021 तक प्रोटोटाइप के ट्रायल्स होते रहे. पिछले साल से इनका उपयोग शुरू किया गया. रूस ने ऐसे टैंक कितने बनाए हैं, इसकी कोई जानकारी बाहरी दुनिया को नहीं है.
55 टन वजनी इस टैंक की रेंज 5 से 12 किलोमीटर है. रेंज ज्यादा नहीं है लेकिन तबाही भयानक मचाता है. यानी ये टैंक शहरी इलाकों में जंग लड़ने के लिए बेहतरीन है. इसके दो वर्जन आते हैं. पहला 125 मिलिमीटर बैरल और 152 मिलिमीटर बैरल. बैरल यानी नली के व्यास को मिलिमीटर में नापते हैं. दोनों ही वर्जन में नलियां स्मूथबोर हैं. यानी इनके अंदर घुमावदार निशान नहीं बने, जिनसे गोलों को ज्यादा दूर मार करने की क्षमता मिलती है.
T-14 Armata टैंक में 12.7 मिलिमीटर की कॉर्ड मशीन गन लगी है. यह मशीन गन एक मिनट में 650 गोलियां दागती है. इसकी रेंज 2 किलोमीटर है. उसके अलावा इस टैंक पर 7.62 मिलिमीटर की पीकेटीएम मशीन गन भी है. इस मशीन गन में चौकोर बॉक्स ये भी 650 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग करती है. इन दोनों मशीन गनों में नाइट विजन, थर्मल विजन या राडार साइट्स भी लगा सकते हैं. यानी हमला किसी भी समय ताकतवर ही होगा.
टी-14 अरमाटा टैंक में एक बार में 42 गोले रखे जा सकते हैं. इसे सिर्फ तीन लोग चलाते हैं. दो लोग मशीन गन पर और एक टैंक चलाने वाला. गोले दागने के लिए ऑटोलोडर लगा है. यानी गोले ऑटोमैटिकली लोड हो जाएंगे. जो टैंक चला रहा है, वो ही बटन दबाकर टारगेट को ध्वस्त कर सकता है. इस टैंक में 12 स्पीड ऑटोमैटिक गियर बॉक्स है. यानी पुराने टैंकों की तरह चलते-चलते फंसने का झंझट नहीं रहेगा.
टी-14 अरमाटा टैंक की कम से कम रेज 550 किलोमीटर है. अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रतिघंटा है. रूस ने यह नहीं बताया है कि इसकी अधिकतम रेंज कितनी है. रूस इस टैंक को लेकर चीन की तरह रहस्य पैदा कर रहा है. हालांकि इस टैंक के उत्पादन को लेकर शुरुआत में काफी विवाद रहा था लेकिन अब इसका इस्तेमाल यूक्रेन की जंग में किया जा रहा है. इस टैंक का कवच यानी ऑर्मर इतना मजबूत बताया जा रहा है कि इस टैंक के कवच पर किसी भी तरफ एक ही जगह पर दो बार भयानक विस्फोट हो जाए, तो भी उस पर फर्क नहीं पड़ेगा.
टैंक के अंदर बैठने वाले तीनों सैनिक एक कवच से घिरे कैप्सूल में बैठते हैं. जिसके अंदर कंप्यूटराइज्ड मॉनिटर सिस्टम, राडार सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम, फायरिंग सिस्टम लगे हैं. अगर बाहर किसी तरह का खतरा हो या अंदर बैठे किसी सैनिक से कुछ गलत बटन दब जाए, तो टैंक के सुरक्षा सिस्टम बता देते हैं. यह टैंक दुश्मन के आते हुए गोलों, काइनेटिक एनर्जी पेनेट्रेटर्स और टैंडम चार्जेस को पहचान कर अपनी दिशा बदल लेता है.
इस टैंक में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGMs) को भी धोखा देने की काबिलियत है. ऐसा इसके राडार की वजह से हैं. यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल को टारगेट लॉक करने ही नहीं देता. इसलिए मिसाइल कन्फ्यूज हो जाती है. इसके ऊपर हेलफायर, टीओड्ब्ल्यू, जैवलिन, स्पाइक, ब्रिमस्टोन जैसे कई एटीजीएम काम नहीं करेंगे. मतलब यह टैंक पूरी तरह से सुरक्षित माना जा रहा है. फिलहाल इस टैंक का उपयोग सिर्फ रूस कर रहा है.