
यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरा हो गया है. इस मौके पर रूस को तगड़ा झटका लगा है और उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सदस्यता से बाहर कर दिया गया है. एफएटीएफ ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए रूस को बाहर का रास्ता दिखाया है.
एफएटीएफ का कहना है कि रूस की यह सैन्य कार्रवाई उनके मूलभूत सिद्धांतों के विपरीत है. पेरिस में एफएटीएफ अधिवेशन के बाद जारी बयान में कहा गया कि यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई अवैध और बिना किसी उकसावे वाली है. हम यूक्रेन के लोगों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और रूस के इस क्रूर हमले की वजह से हुए भारी नुकसान की निंदा करना जारी रखेंगे.
एफएटीएफ ने कहा कि बीते एक साल में रूस ने यूक्रेन को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों को तेज कर दिया है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. रूस के हमले के कारण अन्य देशों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी रूस अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. ऐसे में रूस को चिंतन करने की जरूरत है.
बयान में कहा गया कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एफएटीएफ ने रूस की सदस्यता को रद्द करने का फैसला किया है. रूस एफएटीएफ मानकों को लागू करने के अपने दायित्वों के लिए जवाबदेह है. रूस को अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करना जारी रखना होगा. हालांकि, वह मनी लॉन्ड्रिंग पर यूरेशियन ग्रुप' (EAG) के सक्रिय सदस्य के तौर पर ग्लोबल नेटवर्क का सदस्य बना रहेगा और अपने अधिकारों को बनाए रखेगा.
एफएटीएफ ने यह भी कि वह मौजूदा स्थिति पर नजर रखेगा और हरेक बैठक में विचार करेगा कि क्या इन प्रतिबंधों को हटाने या संशोधित किया जा सकता है या नहीं.
वहीं, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), तुर्की, जॉर्डन, दक्षिण अफ्रीका सहित 20 अन्य देशों को एफएटीएफ की निगरानी सूची में रखा है, जिसके तहत उन पर नजर रखी जाएगी.