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बगावत, वैगनर आर्मी का मार्च और समझौता... पुतिन पर 24 घंटे भारी गुजरे, प्रिगोझिन की कौन सी शर्तें माननी पड़ीं?

रूस में प्राइवेट आर्मी वैगनर द्वारा पिछले 24 घंटे से जारी बगावत थम गई. बेलारूस के राष्ट्रपति ने रूस और वैगनर चीफ प्रिगोझिन के बीच सुलह कराई. येवगेनी प्रिगोझिन ने अपनी सेना पीछे हटाने का फैसला किया. उन्होंने कहा, खून खराबे से बचने के लिए पीछे हटने का फैसला किया है. अब प्रिगोझिन इस समझौते के तहत बेलारूस में रहेंगे. हालांकि, इस विद्रोह के लिए उनके लड़ाकों पर कोई केस नहीं होगा.

वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन और राष्ट्रपति पुतिन वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन और राष्ट्रपति पुतिन
aajtak.in
  • मॉस्को,
  • 26 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

रूस के जिस पावरफुल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करके अमेरिका, यूरोप और नाटो देशों को खुली चुनौती दे दी थी, उन्हीं पुतिन को शनिवार को हुई बगावत ने घर में ही फंसा दिया. ये बगावत थी रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर की, जिनके सैनिकों ने एक शहर पर कब्जा कर लिया था और मास्को की ओर मार्च का ऐलान कर दिया था. अब पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर आकर टिक गई थीं कि पुतिन घर में हुई इस बगावत से कैसे निपटेंगे? क्या ये पुतिन के दशकों से चल रहे एकछत्र राज का अंत है? लेकिन 24 घंटे में ही पुतिन ने फिर गेम पलट दिया और दुनिया को ये मैसेज दिया कि दुनिया के पावर गेम में पिक्चर अभी बाकी है.

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लेकिन रूस में प्राइवेट आर्मी वैगनर द्वारा जारी बगावत भले ही 24 घंटे में थम गई हो, लेकिन यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस में पिछले 24 घंटे में जो कुछ भी हुआ, वो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. सवाल यह भी उठ रहा कि क्या रूस की सत्ता से पुतिन की पकड़ कमजोर होती जा रही है.

दरअसल, वैगनर एक प्राइवेट आर्मी है. वैगनर आर्मी रूसी सेना के साथ मिलकर यूक्रेन में युद्ध लड़ रही है. यह पिछले कई सालों से सैन्य और खुफिया ऑपरेशन्स को लेकर विवादों में भी रहा है. वैगनर आर्मी पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगते रहे हैं. 

रूस में 24 घंटे में क्या क्या हुआ? 

वैगनर ने कब और क्यों की बगावत?

दरअसल, वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन कभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे खास होते थे. लेकिन अब प्रिगोझिन और रूसी सेना के बीच टकराव चल रहा है. प्रिगोझिन ने 23 जून को रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि रूसी रक्षा मंत्री ने यूक्रेन में वैगनर आर्मी पर रॉकेट से हमले का आदेश दिया. प्रिगोझिन ने कहा कि वे इस हमले का बदला रूसी रक्षा मंत्री से लेंगे और इसमें रूसी सेना हस्तक्षेप न करे. इसके बाद प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों के साथ यूक्रेन से लौटकर रूस की सीमा में मार्च शुरू कर दिया. 24 जून को प्रिगोझिन ने दावा किया कि उन्होंने रूस के दक्षिणी शहर रोस्तोव में कब्जा कर लिया. इसके बाद प्रिगोझिन मॉस्को की तरफ बढ़ने लगे. हालांकि, वैगनर ने पुतिन का नाम नहीं लिया. 

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- इससे पहले रूस ने जब यूक्रेन के डोनेट्स्क पर कब्जा किया था, तो प्रिगोझिन ने इसका पूरा श्रेय वैगनर आर्मी को दिया और रूसी रक्षा मंत्रालय पर वैगनर की भूमिका दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

- इतना ही नहीं रूसी रक्षा मंत्रालय ने 11 जून को आदेश दिया था कि वैगनर ग्रुप समेत अन्य सभी प्राइवेट सेनाओं के सैनिकों को रूसी सेना में शामिल किया जाएगा. इसके लिए सभी को जून के आखिर तक समझौता करना ही होगा. रक्षा मंत्रालय के इस आदेश को यूक्रेन युद्ध पर पूर्ण नियंत्रण पाने की कोशिश की तरह देखा गया. ऐसे में प्रिगोझिन ने विरोध में कहा, हम ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे. हम इसका बहिष्कार करेंगे. 

पुतिन बोले- हमारी पीठ पर छुरा घोंपा गया 

उधर, प्रिगोझिन की बगावत देख पुतिन ने रूस की जनता को संबोधित किया. इस दौरान पुतिन ने कहा, ''हमारी पीठ में छुरा घोंपा गया और उन्हें इसकी सजा मिलेगी. हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं. हथियारबंद बागियों को हम करारा जवाब देंगे.'' हालांकि उन्होंने अपने संबोधन में वैगनर और येवगेनी प्रिगोझिन का नाम नहीं लिया था. 

मॉस्को में इमरजेंसी घोषित 

व्लादिमीर पुतिन के संबोधन के बाद रूसी प्रशासन एक्शन में आ गया.  मॉस्को में काउंटर टेररिज्म स्टेट ऑफ इमरजेंसी का ऐलान किया गया. इसके अलावा मॉस्को और इसके आसपास आतंकी घटनाओं की आशंका को देखते हुए एंटी टेरर ऑपरेशन भी चलाया गया. यूक्रेन से सटे वोरोनेझ शहर में भी इमरजेंसी घोषित हुई . रूसी सरकार ने रोस्तोव और मॉस्को के बीच हाइवे को बंद कर दिया और वैगनर के दफ्तरों पर छापेमारी भी की गई. 

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बेलारूस की मध्यस्थता और खत्म हुआ विवाद

अब रूसी सेना और  वैगनर आर्मी आमने सामने थे. लेकिन तभी व्लादिमीर पुतिन ने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव से बात की. रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, बेलारूस के राष्ट्रपति ने प्रिगोझिन से मध्यस्थता की पेशकश की. येवगेनी प्रिगोझिन ने सेना पीछे हटाने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि उनके लड़ाके मॉस्को से सिर्फ 200 किलोमीटर दूरी पर हैं. लेकिन उन्होंने खून खराबे से बचने के लिए पीछे हटने का फैसला किया है. 24 जून की रात तक वैगनर लड़ाकों ने रोस्तोव में रूस सेना के दफ्तर से निकलना शुरू भी कर दिया. 

रूस- वैगनर के बीच क्या समझौते हुए? 

रूसी राष्ट्रपति के सरकारी आवास क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि  पुतिन की मंजूरी के बाद ही लुकाशेंको ने मध्यस्थता की पेशकश की. लुकाशेंको से हुई बातचीत के मुताबिक, प्रिगोझिन बेलारूस जाएंगे. उन्होंने बताया कि  येवगेनी प्रिगोझिन के खिलाफ विद्रोह के मामले में आरोप वापस लिए जाएंगे. साथ ही वैगनर ग्रुप के लड़ाकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. उन्होंने इस पूरी घटना को दुखद बताया. 

- इसके साथ ही वैगनर के जो लड़ाके इस विद्रोह में शामिल नहीं हुए, वे रूसी रक्षा मंत्रालय से कॉन्ट्रैक्ट करेंगे और उनके लिए काम करेंगे.

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येवगेनी प्रिगोझिन और व्लादिमीर पुतिन

कौन हैं प्रिगोझिन?

येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते हैं. प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ. प्रिगोझिन 20 साल की उम्र में ही मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित हो गए. इसके बाद उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, उन्हें 9 साल में ही रिहा कर दिया गया. 

प्रिगोझिन ने जेल से रिहा होने के बाद हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू किया. इसमें सफलता मिलने के बाद उन्होंने महंगा रेस्तरां खोला. येवगेनी का रेस्तरां इस कदर फेमस हो गया कि लोग इसके बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे. लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन विदेशी मेहमानों को इस रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाने लगे. यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. इसके बाद येवगेनी को सरकारी अनुबंध दिए जाने लगे. प्रिगोझिन की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है, और उन्होंने लंबे समय से किसी भी राजनीतिक भूमिका से इनकार किया है, लेकिन उनका प्रभाव खाने की मेज से कहीं आगे तक पहुंच गया था.

पुतिन का राइट हैंड था प्रिगोझिन  

प्रिगोझिन धीरे धीरे पुतिन का राइट हैंड बन गया. येवगेनी ने रूसी सेना के साथ मिलकर प्राइवेट आर्मी वैगनर की अगुवाई की.  चाहें अमेरिका में चुनाव में दखल हो या फिर अफ्रीका और मध्य पूर्व में युद्ध में लड़ाके भेजना...पुतिन पर वैगनर का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगता रहा है. 2017 के बाद से येवगेनी की वैगनर आर्मी ने माली, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया और मोजाम्बिक में सैन्य दखल के लिए सैनिकों को तैनात किया. 

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येवगेनी को "मीटग्राइंडर" भी कहा गया. उन्होंने इस साल की शुरुआत में कहा था कि उन्हें इसके बजाय मुझे 'पुतिन का कसाई' कहना चाहिए था. लेकिन जैसे-जैसे वैगनर को उसकी सफलताओं का श्रेय मिलना शुरू हुआ तो येवगेनी ने रूसी सेना की आलोचना करना शुरू कर दिया और युद्ध प्रयासों में उनके योगदान को अधिक मान्यता देने की मांग की. हालांकि, पुतिन और रूसी सेना को ये पसंद नहीं आया. हालांकि वह और येवगेनी अब तक एक-दूसरे के खिलाफ सीधे हमलों से बचते रहे हैं. लेकिन पुतिन ने वैगनर समूह को रूसी सेना के नियंत्रण में लाने के कदम का समर्थन किया है. यूक्रेन से युद्ध के समय प्रिगोझिन लगातार रूसी सेना पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं. 

वफादार कैसे हुआ बागी? 

अब एकमात्र सवाल यह है कि पुतिन का यह वफादार सहयोगी ऐसा क्यों कर रहा है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि येवगेनी समानांतर ताकत बनना चाह रहे हैं जिनकी महत्वाकांक्षा शायद अपने पुराने दोस्त को सत्ता से उखाड़ फेंकने की है.

पहले भी विद्रोह को दबाकर आगे बढ़ते रहे हैं पुतिन

रूस सरकार के साथ समझौते के बाद प्रिगोझिन की सेना वापस अपने कैंप में लौट रही है. पुतिन के खिलाफ इस तरह का विद्रोह पहली बार नहीं है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले भी विरोध झेला है, लेकिन हर बार वह विद्रोह को दबाकर और कुचलकर आगे बढ़ते रहे हैं. इसका सिलसिला बीते 23 सालों से तो लगातार ही चल रहा है. 

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 - 23 अक्टूबर 2002 को पुतिन विद्रोही संकट से घिरे. उस दिन मॉस्को के दुब्रोवका थियेटर में दर्शक नाटक देख रहे थे और रात 9 बजे के करीब अचानक हवाई फायरिंग हुई और 50 हथियारबंद हमलावरों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, उन्होंने 850 लोगों को बंदी बना लिया. ये चेचेन विद्रोही थे. इनकी मांग थी कि रूसी सैनिक तुरंत और बिना शर्त चेचेन्या से हट जाएं, वरना वो बंधकों को मारना शुरू कर देंगे. इस हमले में 130 लोग मारे गए. हालांकि, रूसी सैनिकों ने विद्रोहियों को मार गिराया. पुतिन इस तरह को कुचलने में सफल हुए.

- साल 2005 से पुतिन ने उन कुलीन वर्ग के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की, जो रूस की सरकार पर नियंत्रण कर सकते थे. पुतिन ने हाई प्रोफाइल लोग जैसे लॉबिस्ट बोरिस बेरेजोव्सकी और तेल के बड़े व्यापारी मिखाइल खोदोरकोव्सकी पर बड़ी कार्रवाई की. मिखाइल खोदोरकोव्सकी को तेल कंपनी यूकोस के सीईओ पद से हटा दिया गया, और जेल में डाल दिया. उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल काटी या देश छोड़ने पर मजबूर हो गए. खोदोरकोव्सकी को 2013 में स्विटजरलैंड में शरण लेनी पड़ी और उसी साल बोरिस बेरेजोव्सकी ब्रिटेन के अपने घर में मृत पाए गए थे.

-  बोरिस नेम्त्सोव रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कड़े आलोचक थे. 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर रूस ने कब्जा किया तो उन्होंने खुले तौर पर पुतिन की आलोचना की थी. उन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर करने और पूर्वी यूक्रेन पर रूस के हमले की खुलकर निंदा की थी. 27 फरवरी 2015 को नेम्त्सोव की क्रेमलिन से कुछ ही गज की दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के कुछ दिन बाद ही बोरिस युद्ध के खिलाफ विरोध का नेतृत्व करने वाले थे.

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- साल 2018 में एक और खबर आई, जिसे पुतिन के द्वारा विद्रोह को कुचलने के उदाहरण के तौर पर ही देखा जाता है. इंग्लैंड में रूस के पूर्व जासूस सर्गेइ स्क्रीपल (66) और बेटी यूलिया(33) को जहर दिया गया था. सर्गेई स्क्रिपल रूसी मिलिट्री के रिटायर्ड अफसर थे, तब 2006 में उनको जासूसी करने के लिए जेल भेजा गया. सर्गेई स्क्रिपल को ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई-16 को रूस के यूरोप में मौजूद खुफिया एजेंट्स की जानकारी मुहैया कराने का दोषी माना गया था.

 

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