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Ukraine Russia Nuclear Threat: न्यूक्लियर वॉर का खतरा, जानिए रूस के जखीरे में कितने घातक परमाणु हथियार

रूस सबसे आधुनिक परमाणु हथियारों में निवेश करता रहा है. आज रूस के पास करीब 6,000 परमाणु हथियार हैं और अमेरिका के पास 5,000. हम आपको नए जमाने के परमाणु हथियारों के बारे में बता रहे हैं जो रूस के जखीरे में शामिल है.

रूस के पास करीब 6,000 परमाणु हथियार हैं (फोटो-पीटीआई) रूस के पास करीब 6,000 परमाणु हथियार हैं (फोटो-पीटीआई)
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:07 AM IST
  • रूस के पास करीब 6,000 परमाणु हथियार
  • यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नहीं

रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी है, लेकिन ये युद्ध परमाणु युद्ध की तरफ रुख करता नज़र आ रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने रविवार को Nuclear Deterrent Force को अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है. पुतिन के इस आदेश से दुनिया पर परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है.  

रूस ने अपने परमाणु बलों (Nuclear Deterrent Force) को अलर्ट पर रखा है और उन्हें युद्ध संबंधी दायित्व के लिए तैयार रहने को कहा है.  Nuclear Deterrent Force यानी परमाणु हमलों और ऐसे हमलों से बचाने वाली टुकड़ी. इनमें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) शामिल हैं, जिनकी रेंज 5,000 से अधिक है और इन्हें परमाणु हथियारों का इस्तमाल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

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रूसी परमाणु बलों पर दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक, पावेल पॉडविग ने कहा, 'युद्ध संबंधी दायित्व के लिए तैयार रहने का क्या मतलब है? निश्चित रूप से यह बताना मुश्किल है, लेकिन इसका मतलब यह हो सकता है कि परमाणु कमांड और कंट्रोल सिस्टम को शुरुआती आदेश दे दिए गए हैं.'

 

What is this "special mode of combat duty of the deterrence forces"? Hard to tell with certainty, but most likely it means that the nuclear command and control system received what is known as a preliminary command https://t.co/uQwfWNyCX6 1/8

— Pavel Podvig (@russianforces) February 27, 2022

पोडविग ने कुछ ट्वीट्स करके समझाने की कोशिश की, 'मैं जानताहूं कि सिस्टम कैसे काम करता है, पीकटाइम में यह भौतिक रूप से लॉन्च ऑर्डर ट्रांसमिट नहीं कर सकता, क्योंकि सर्किट 'डिस्कनेक्ट' होते हैं. इसलिए अगर कोई लॉन्च ऑर्डर जारी किया जाता है, तो कमांड ऑथॉरिटी सिस्टम को काम करने की स्थिति में ला सकती है, तारों को जोड़ा जाता है. एक प्रोटोकॉल भी है जो इस सिस्टम को तबाही मचाने से रोकता है.' 

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ये हैं रूस की परमाणु क्षमताएं

अनुमानों के मुताबिक, रूस के पास करीब 6,000 परमाणु हथियार हैं, जो अमेरिका की तुलना में थोड़ा ज़्यादा हैं. अमेरिका के पास 5,000 हथियार हैं, जिनमें से 1,500 से ज़्यादा तो तैयार स्थिति में हैं. वहीं, यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है.

आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, चीन, इज़राइल और उत्तर कोरिया जैसे देशों के पास कुल मिलाकर 1,000 से अधिक परमाणु हथियार हैं. इससे रूस की ताकत का साफ तौर पर पता चलता है. यूके और फ्रांस के पास अपने खुद के परमाणु हथियार हैं. जबकि नाटो के सदस्य देशों के पास भी यूरोप में परमाणु ठिकाने हैं.

रूस के परमाणु हथियारों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- टैक्टिकल, ऑपरेशनल टैक्टिकल और स्ट्रैटिजिक. इनमें भूमिगत मिसाइलें, पनडुब्बी से लॉन्च होने वाले और हवा में लॉन्च होने वाले हथियार शामिल हैं.

रूस नए और सबसे आधुनिक परमाणु हथियारों में निवेश करता रहा है. हम आपको उन नए जमाने के परमाणु हथियारों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें हाल ही के सालों में विकसित किया गया है.

कैन्यन न्यूक्लीयर टोरपीडो (Kanyon nuclear torpedo)

यह पानी के नीचे चलने वाला, सबसे नया और सबसे शक्तिशाली परमाणु-संचालित ड्रोन है, जो मानव रहित है. यह विशाल टोरपीडो वाला वह परमाणु हथियार है जो सुनामी जैसे विनाश का कारण बन सकता है. यह 185 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकती है. इसकी खास बात इसकी गति नहीं बल्कि इसकी मारक क्षमता है क्योंकि यह तटीय क्षेत्रों को बर्बाद कर सकता है.

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इस घातक हथियार का पहला परीक्षण 2016 में किया गया था और हाल ही में इसने समुद्री ट्रायल पूरा किया है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि सभी टेस्ट हो जाने के बाद, ऐसा 30 हथियारों को चार सबमरीन पर तैनात किया जाएगा.

किंझाल मिसाइल (Kinzhal Missile)

रूस के परमाणु हथियारों में से एक किंझाल भी है जिसे हवा में लॉन्च किया जाता है. इसकी रेंज 2,000 किमी है और यह लगभग 480 किलोग्राम के परमाणु या पारंपरिक पेलोड ले जा सकती है. यह 2019 से रूसी वायु सेना के मिग-31 लड़ाकू विमानों में फिट हैं.
 
टुपलेव टीयू-160 (Tuplev Tu-160)

इसे ब्लैकजैक भी कहा जाता है, यह परमाणु बम का सबसे नया वर्शन है. सोवियत रूस के विभाजन के बाद इसका निर्माण बंद हो गया था लेकिन बम गिराने वाले इस विमान को फिर से बनाया जा रहा है. यह परमाणु पेलोड के साथ लंबी दूरी की परमाणु मिसाइल भी ले जा सकता है.

अवंगद (Avangad)

एक हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन है जिसका इस्तेमाल इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों पर किया जा सकता है और यह परमाणु पेलोड ले जाने में सक्षम है. कन्वेंशन बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन की खासियत यह है कि यह कम ऊंचाई पर तेज गति से काम कर सकता है.

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2015 में इसका पहला टेस्ट किया गया था और 2018 तक यह प्रोडक्शन के लिए तैयार हो गया. दिसंबर 2019 में, यह रूस के परमाणु हथियारों में शामिल हो गया.

टोपोल- एम (TOPOL- M)

यह 11,000 किमी की रेंज वाली एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. रूसी सेना इस परमाणु हथियार का इस्तेमाल, रूसी स्ट्रैटिजिक रॉकेट फोर्स के हिस्से के रूप में करती है. यह 17,000 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है. इसे एक ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जातै है, जो एक विशालकाय ट्रक जैसा दिखता है.

ऐसी 450-500 मिलाइलों को ऐसे वाहनों पर तैनात करने की योजना थी. इसका पहला टेस्ट 1994 में हुआ था और इसे 2000 से इस्तामल किया जाने लगा.

RSM56 बुलावा (RSM56 Bulava)

यह सबमरीन से लॉन्च होने वाली 8,000-8,500 किमी की रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 2014 से काम कर रही है.
इन मिसाइलों को रूस की नई बोरी-क्लास की पनडुब्बियों पर तैनात किया जाएगा. हर पनडुब्बी ऐसी 16 मिसाइलें ले जाने में सक्षम है. 1998 में इसे बनाना शुरू कर दिया गया था और इसका पहला टेस्ट 2004 में किया गया था.

रूस के पास मौजूद परमाणु हथियारों में से ये कुछ हथियार हैं, जो उसके घातक असले का हिस्सा हैं. इस अपने आप में एक पूरी फोर्स है. यह परमाणु कौशल रूस की पारंपरिक ताकत के साथ जुड़ा है, जो अपने आप में पूरी दुनिया से सर्वश्रेष्ठ है.

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