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पाकिस्तान को रूस ने दिया सस्ता तेल, फिर दिया खास पैगाम, बढ़ेगी भारत की चिंता?

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि उनका देश पाकिस्तान के साथ संबंधों को और आगे ले जाना चाहता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और रूस के द्विपक्षीय व्यापार बढ़े हैं और दोनों देश तेल को लेकर समझौता भी कर रहे हैं. पाकिस्तान-रूस के बढ़ते संबंध भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है.

पाकिस्तान और रूस के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं (File Photo) पाकिस्तान और रूस के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2023,
  • अपडेटेड 10:49 AM IST

रूस ने पाकिस्तान से अपने रिश्तों को और मजबूत करने की इच्छा जताई है. सोमवार को पाकिस्तान-रूस संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस हमेशा से पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाना चाहता है. इससे पहले रविवार को रूसी कच्चे तेल की पहली खेप पाकिस्तान पहुंची जिसे लेकर शहबाज शरीफ ने कहा कि यह पाकिस्तान-रूस के रिश्तों में एक नई शुरुआत है.

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शीत युद्ध के समय पाकिस्तान और रूस के रिश्ते बेहद कमजोर स्थिति में थे क्योंकि पाकिस्तान रूस के खिलाफ अमेरिकी गुट का हिस्सा था. लेकिन साल 2015-16 के बाद से दोनों देशों के बीच करीबी बढ़नी शुरू हुई है. दोनों ही देश पुरानी दुश्मनी भुलाकर द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं.

2016 से दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास हो रहा है. फरवरी 2022 में जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान रूस में ही मौजूद थे. साल 2022 में समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुलाकात भी की थी.  

Photo- Tass

इसके बाद अप्रैल में दोनों देशों ने ऐतिहासिक तेल समझौता किया जिसके तहत इसी रविवार को पाकिस्तान को रूसी तेल का पहला शिपमेंट मिल गया है. यह एक टेस्ट कार्गो है और कच्चे तेल को रिफाइन करने के बाद इसकी क्वालिटी देखकर ही पाकिस्तान रूस के साथ तेल समझौते पर आगे बढ़ेगा. रूस ने पाकिस्तान को यह तेल रियायती दरों पर दिया है.

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'पाकिस्तान के लोग राष्ट्रपति पुतिन का सम्मान करते हैं'

रूस-पाकिस्तान संबंधों की बात करते हुए रूसी विदेश मंत्री ने कहा, 'हम जानते हैं कि पाकिस्तान के लोग रूस और व्लादिमीर पुतिन का सम्मान करते हैं. हम इस बात की बहुत सराहना करते हैं.'

उन्होंने कहा कि पिछली सदी में पाकिस्तान और रूस के संबंध उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि, रूस हमेशा से पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने का इच्छुक रहा है.

उन्होंने कहा, '1980 के दशक में अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष के बावजूद, कराची में सबसे बड़ी स्टील मिल (जिसे अब पाकिस्तान स्टील मिल कहा जाता है) को बनाने में सोवियत विशेषज्ञों ने भागीदारी की जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि रूस पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को बढ़ाना चाहता था. गुड्डू थर्मल पावर प्लांट, जो कभी सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट हुआ करता था, उसे भी उसी दौरान चालू किया गया था.'

उन्होंने आगे कहा, 'आजकल, हमारे संबंध अच्छे हैं और भरोसे पर आधारित हैं. हमारे संबंध अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के बड़े मुद्दों पर सहमति या नजरिए में निकटता पर आधारित है. हम अपने पाकिस्तानी साझेदारों के साथ मिलकर अधिक न्यायसंगत और लोकतांत्रिक बहुध्रुवीय विश्व के लिए काम करने को तैयार हैं.'

'पाकिस्तान-रूस दोस्ती जिंदाबाद'

उन्होंने कहा कि रूस संयुक्त राष्ट्र, एससीओ सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के साथ सहयोग को बहुत महत्व देता है.

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उन्होंने आगे कहा, 'हम मानते हैं कि सीमा पार अपराध और आतंकवाद सहित सुरक्षा चुनौतियों और खतरों से निपटने के संयुक्त प्रयासों में पाकिस्तान हमारा महत्वपूर्ण अतंरराष्ट्रीय भागीदार है.'

पाकिस्तान-रूस व्यापार की बात करते हुए लावरोव ने कहा, 'हाल के वर्षों में हम द्विपक्षीय व्यापार को आगे ले जाने में सफल रहे हैं. पिछले साल हमने पाकिस्तान को दस लाख टन से अधिक गेहूं सप्लाई किया था और रूस पाकिस्तान का एक प्रमुख गेहूं आपूर्तिकर्ता बन गया है. तेल को लेकर भी हमारी बातचीत अंतिम चरण में है.'

Photo- Reuters

वीडियो संदेश के अंत में लावरोव ने कहा, 'पाकिस्तान-रूस दोस्ती जिंदाबाद.'

रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ता व्यापारिक संबंध

रूस और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़े हैं. साल 2021 में पाकिस्तान ने रूस को 32.3 करोड़ डॉलर का निर्यात किया. पिछले 25 सालों में रूस को पाकिस्तान के वार्षिक निर्यात में 13.7% का उछाल आया है. साल 1996 में पाकिस्तान-रूस को 1.31 करोड़ डॉलर का निर्यात करता था था जो 2021 में बढ़कर 32.3 करोड़ डॉलर हो गया है.

वहीं रूस ने साल 2021 में पाकिस्तान को 49.8 करोड़ डॉलर का निर्यात किया है. रूस पाकिस्तान को मुख्यत: चावल, दाल बेचता है. पिछले 25 सालों में पाकिस्तान को रूस के वार्षिक निर्यात में 8.32% की बढ़ोतरी हुई है.

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हालांकि, भारत और रूस के द्विपक्षीय व्यापार से तुलना करें तो पाकिस्तान-रूस के बीच का व्यापार उसके आगे कुछ भी नहीं है. अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच भारत और रूस के बीच का व्यापार 8.1 अरब डॉलर का था. 

वहीं, पाकिस्तान और रूस तेल और गैस की सप्लाई के लिए दो पाइपलाइन पर भी बात करते रहे हैं. इसे लेकर पाकिस्तान स्ट्रीम गैस पाइपलाइन पर चर्चा चल रही है. यह प्रस्तावित पाइपलाइन 1,100 किलोमीटर लंबी होगी जो कराची से शुरू होकर पंजाब प्रांत तक जाएगी. अगर यह पाइपलाइन शुरू होती है तो पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और दोनों देशों के रिश्तों में एक नए युग की शुरुआत होगी.

पाकिस्तान-रूस के रक्षा संबंध 

पाकिस्तान ने हालिया सालों में रूस से आधुनिक हथियारों की खरीद में अपनी रुचि बढ़ा दी है. अप्रैल 2018 में पाकिस्तान ने रूस से Mi-35M लड़ाकू हेलिकॉप्टर की खरीद की थी. यह सौदा 2015 में ही हो गया था लेकिन 2018 में पाकिस्तान को रूसी हेलिकॉप्टर मिलने शुरू हुए.

अप्रैल 2021 में रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के लिए ही रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने पाकिस्तान का दौरा किया था. कहा गया कि लावरोव का यह दौरा पाकिस्तान के रूस से SU-35 विमान डील को आगे बढ़ाने के लिए रास्ता साफ करने का हिस्सा है. पाकिस्तान कई सालों से इस विमान का हासिल करने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत से अपनी रक्षा साझेदारी को देखते हुए रूस इस पर आगे नहीं बढ़ रहा है.

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पाकिस्तान-रूस संबंधों से भारत को चिंतित होने की जरूरत?

रूस और पाकिस्तान के बढ़ते संबंधों से भारत हमेशा से चिंतित रहा है. हालांकि, रूस कई मौकों पर भारत को आश्वस्त करता नजर आया है कि वो भारत के हितों के खिलाफ कुछ भी नहीं करेगा.

भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने कुछ समय पहले कहा था, 'हम लगातार कहते रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ हम अपने संबंधों में कभी भी भारत को नुकसान पहुंचाने वाला कुछ काम नहीं करेंगे. पाकिस्तान के साथ हमारे सीमित रक्षा संबंध है. पाकिस्तान के साथ हमारे रक्षा संबंध बेहद सीमित हैं और यह आतंकवाद विरोधी उद्देश्यों के लिए हैं.'

Photo- Reuters

भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं और भारत रूस की दक्षिण एशिया विदेश नीति के केंद्र में रहा है. लेकिन रूस-यूक्रेन शुरू होने के बाद से ही रूस पश्चिमी देशों द्वारा अलग-थलग कर दिया गया है. ऐसे में रूस एशिया और अफ्रीका के कई देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. इसी क्रम में वो पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को महत्व दे रहा है. साथ ही पाकिस्तान रूस के नए करीबी दोस्त चीन के भी काफी करीब है. 

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि रूस और पाकिस्तान की चीन से पहले से ही करीबी है और अब रूस की पाकिस्तान से भी साझेदारी मजबूत हो रही है, ऐसे में ये एक चिंता की बात हो सकती है. हालांकि, ऐसा लगता नहीं कि रूस भारत के हितों के खिलाफ जाएगा. रूस के रक्षा उद्योग को भारत के कारण हर साल अरबों डॉलर की कमाई होती है. लेकिन पाकिस्तान के पास इतने पैसे ही नहीं है कि वो भारत को रिप्लेस कर रूस का बड़ा रक्षा खरीददार बन जाए. 

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साथ ही पाकिस्तान अमेरिका को नाराज कर पूरी तरह रूसी खेमे में नहीं जा सकता क्योंकि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से करीब सात अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए अमेरिका के समर्थन की जरूरत है. अगर यह पैकेज पाकिस्तान को नहीं मिलता तो वह डिफॉल्ट कर जाएगा. 

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