
यूक्रेन पर रूसी हमले को देखते हुए पश्चिमी देशों सहित अमेरिका ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में अमेरिका पर भी कड़ा प्रहार किया है. रूस ने अमेरिका को रॉकेट इंजन की आपूर्ति बंद करने का फैसला किया है. रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscomos) के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने रूसी टेलिविजन पर कहा, 'इस तरह की स्थिति में हम अपने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रॉकेट इंजनों की आपूर्ति अमेरिका को नहीं कर सकते हैं. वो किसी भी चीज का इस्तेमाल कर उड़ें, चाहे तो अपनी झाड़ू का इस्तेमाल करें उड़ने के लिए.... ये उनकी परेशानी है, हमें क्या.'
रोगोजिन के अनुसार, रूस ने 1990 के दशक से अमेरिका को कुल 122 RD-180 रॉकेट इंजन दिए हैं जिनमें से 98 का उपयोग एटलस लॉन्च वाहनों को चलाने के लिए किया गया है.
रोगोजिन ने कहा कि Roscosmos अमेरिका को दिए गए सभी रॉकेट इंजनों की सर्विसिंग भी बंद कर देगा. अमेरिका में अभी भी 24 रॉकेट इंजन हैं जिन्हें अब रूस अपनी तकनीकी सहायता नहीं प्रदान करेगा.
रूस ने इससे पहले कहा था कि वो पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के जवाब में फ्रेंच गुयाना के कौरौ स्पेसपोर्ट से अंतरिक्ष लॉन्च में यूरोप को जो सहयोग करता है, उसे अब रोक रहा है.
रूस ने ब्रिटिश सैटेलाइट कंपनी वनवेब से गारंटी की भी मांग की है कि उसके उपग्रहों का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा. दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई थी कि रूस पर ब्रिटेन की तरफ से प्रतिबंधों के बावजूद वनवेब रूस से एक सैटेलाइट लॉन्च करने वाला है.
ब्रिटेन की तरफ से सैटेलाइट लॉन्च को निलंबित करने की बात कही गई जिसके बाद रूस ने कहा कि वो अपना सैटेलाइट लॉन्च तभी रोकेगा जब उसे इस बात की गारंटी दी जाएगी कि वनवेब की सैटेलाइट्स का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा.
वनवेब ने गुरुवार को कहा कि वो कजाकिस्तान में रूस के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से सभी उपग्रह लॉन्च को निलंबित कर रही है. वहीं, रोगोजिन ने कहा कि रूस अब रोस्कोस्मोस और रक्षा मंत्रालय की जरूरतों के अनुरूप दोहरे उद्देश्य वाले अंतरिक्ष यान बनाने पर अपना पूरा फोकस रखेगा.