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रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े अहम मुद्दे पर UN में वोटिंग, भारत का ये स्टैंड रहा

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में भारत ने अब तक न्यूट्रल स्टैंड लिया हुआ है. एक बार फिर उसी रणनीति पर कायम रहते हुए भारत ने एक अहम मुद्दे पर वोटिंग से दूरी बनाई है. असल में रूस के एक फैसले के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें भारत ने वोट नहीं डाला.

UN General Assembly में रूस-यूक्रेन को लेकर वोटिंग (AFP) UN General Assembly में रूस-यूक्रेन को लेकर वोटिंग (AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:07 AM IST

रूस और यूक्रेन के बीच में पिछले सात महीने से भीषण युद्ध जारी है. पिछले कुछ दिनों में स्थिति फिर हाथ से निकलती दिख रही है. जिस तरह से रूस की तरफ से मिसाइल हमले हुए हैं और यूक्रेन ने भी जवाबी कार्रवाई की है, जमीन पर स्थिति विस्फोटक बनती दिख रही है. अब इन बदलते हालतों के बीच यूएन में एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वोटिंग हुई है. उस वोटिंग में भारत ने हिस्सा ही नहीं लिया.

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भारत ने रूस के खिलाफ वोट क्यों नहीं डाला?

असल में रूस ने दावा किया था कि उसने यूक्रेन के चार क्षेत्र डोनेत्स्क, खेरसान, लुहांस्क और जेपोरीजिया में जनमत संग्रह कराया है और यहां के लोग रूस में मिलना चाहते हैं. लेकिन व्लादिमीर पुतिन के इस फैसले को पश्चिमी देशों ने अवैध कब्जे के रूप में देखा और इसके खिलाफ यूएन में एक प्रस्ताव लाया गया. ये एक निंदा प्रस्ताव था जिसे 193 में 143 देशों का समर्थन हासिल हुआ. इतने देशों के प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करने की वजह से इसे स्वीकार कर लिया गया. लेकिन हमेशा की तरह भारत ने यहां भी रूस के खिलाफ खुलकर कुछ नहीं बोला और वोटिंग से दूरी बनाई.

भारत ने युद्ध को लेकर क्या कहा?

UNGA में भारत ने एक बयान में ये जरूर कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से बनी स्थिति से वो चिंतित है और जल्द ही सबकुछ सामान्य होने की उम्मीद लगाए बैठा है. बयान ने इस बात पर भी जोर दिया गया कि युद्ध करने से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है और सिर्फ बातचीत और कूटनीति के दम पर ही कोई समाधान निकाला जा सकता है. वैसे जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने कुछ दिन पहले रूस के खिलाफ भी वोटिंग की थी. तब भी मुद्दा अवैध कब्जे वाला ही था, बस फर्क ये था कि तब वोटिंग इस बात को लेकर हुई थी कि रूस के खिलाफ गुप्त वोटिंग होनी चाहिए या फिर सार्वजनिक. तब भारत समेत 107 देशों ने सार्वजनिक वोटिंग के लिए मंजूरी दी थी.
 

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