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Russia-Ukraine tension: क्या है Minsk agreement और कैसे बताया जा रहा इसे रूस-यूक्रेन तनाव खत्म करने का जरिया

Russia-Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन में जारी तनाव के बीच Minsk II समझौते का जिक्र भी होने लगा है. यूरोपीय देशों को उम्मीद है कि Minsk II समझौता रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म कर सकता है. ये समझौता फरवरी 2015 में हुआ था.

रूस-यूक्रेन के बीच तनाव कम करने के लिए मिन्स्क एग्रीमेंट को उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है. (फाइल फोटो-AP/PTI) रूस-यूक्रेन के बीच तनाव कम करने के लिए मिन्स्क एग्रीमेंट को उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है. (फाइल फोटो-AP/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:31 AM IST
  • फरवरी 2015 में हुआ था मिन्स्क II समझौता
  • रूस-यूक्रेन में युद्ध विराम पर सहमति बनी थी

Russia-Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बुधवार को यूक्रेन सीमा से सैनिकों की वापसी की बात कही थी. हालांकि, अमेरिका का कहना है कि इस ऐलान के बावजूद रूस ने यूक्रेन सीमा पर 7 हजार सैनिक और बढ़ा दिए हैं. 

रूस और यूक्रेन के बीच सब कुछ सामान्य हो गया, इस बात की उम्मीद अभी किसी को नहीं है. अमेरिका समेत यूरोपीय देशों को अब भी युद्ध की आशंका है. हालांकि, इस आशंका के बीच एक ऐसा तरीका भी है जिससे इस लड़ाई को खत्म किया जा सकता है. 

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दरअसल, 2014 और 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में समझौते हुए थे. इसे मिन्स्क समझौता (Minsk Agreeement) कहा जाता है. 2014 में जो समझौता हुआ उसे Minsk I और 2015 के समझौते को Minsk II कहा जाता है. 

ये समझौते यूक्रेन की सेना और रूसी समर्थक विद्रोहियों की बीच लड़ाई खत्म करने के लिए हुए थे. हालांकि, ये कभी पूरी तरह लागू नहीं हुए. यूरोपीय देश इस समझौते को दोबारा बहाल करना चाहते हैं, ताकि शांति बनी रहे.

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क्या है मिन्स्क समझौता?

फरवरी 2014 में यूक्रेन से रूसी समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को विरोध के बाद देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद रूसी समर्थक विद्रोहियों ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला कर दिया. कई दिनों तक संघर्ष चलता रहा और रूस ने 18 मार्च 2014 को क्रीमिया को अपने देश में मिला लिया. 

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इसके बाद भी दोनों देशों के बीच संघर्ष चलता रहा. मामला शांत कराने के लिए यूरोपीय देश आगे आए. सितंबर 2014 को मिन्स्क में समझौता हुआ. इसमें 12 मुद्दों पर सहमति बनी. इसमें कैदियों की रिहाई और हथियारों की वापसी की बात भी शामिल थी. हालांकि, दोनों देशों के उल्लंघन के कारण ये समझौता टूट गया.

फरवरी 2015 में हुआ मिन्स्क II समझौता

फरवरी 2015 में एक बार फिर रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधि साथ आए. इनके साथ ही डोनेत्स्क और लुहंस्क के अलगाववादी नेता भी शामिल हुए. यहां पर 13 पॉइंट के एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए. इसे Minsk II Agreement कहा जाता है.

क्या थे 13 मुद्दे?

1. तत्काल युद्ध विराम.

2. दोनों पक्ष भारी हथियारों की वापसी करेंगे.

3. ऑर्गनाइजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड को-ऑपरेशन इन यूरोप (OSCE) पूरी निगरानी करेगा.

4. यूक्रेन के कानून के अनुसार डोनेत्स्क और लुहंस्क में अंतरिम सरकार का गठन होगा.

5. लड़ाकों को माफ किया जाएगा.

6. बंधकों और कैदियों का आदान-प्रदान होगा.

7. दोनों देश एक-दूसरे की मानवीय सहायता करेंगे.

8. पेंशन समेत सामाजिक-आर्थिक संबंधों की बहाली होगी.

9. यूक्रेन अपने देश की सीमा पर नियंत्रण बहाल करेगा.

10. विदेशी सैनिकों और हथियारों की वापसी होगी.

11. यूक्रेन के संविधान में सुधार होगा और इसमें डोनेत्स्क और लुहंस्क के लिए अलग से जिक्र होगा.

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12. डोनेत्स्क और लुहंस्क में चुनाव कराए जाएंगे.

13. रूस, यूक्रेन और OSCE के प्रतिनिधि मिलकर काम करेंगे.

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फिर भी क्यों खत्म नहीं हुआ रूस-यूक्रेन में तनाव?

मिन्स्क II समझौते ने सैन्य और राजनीतिक कदम निर्धारित किए, जो अभी तक लागू नहीं हुए हैं. एक बड़ी रुकावट रूस भी है. उसका कहना है कि वो संघर्ष का हिमायती नहीं है, इसलिए इस समझौते को मानने के लिए वो बाध्य नहीं है. रूस और यूक्रेन दोनों ही अपनी-अपनी तरह से इस समझौते के बारे में बात करते हैं, इसलिए ये एक पहेली की तरह बन गया है.

तो फिर अब क्यों इसकी बात हो रही?

दरअसल, मिन्स्क II रूस और यूक्रेन को बातचीत की टेबल पर लाने का एक जरिया है. इसके अलावा ये समझौता रूस को इस बात की गारंटी देता है कि यूक्रेन कभी NATO में शामिल नहीं होगा. वहीं, ये समझौता यूक्रेन को अपनी सीमा पर कंट्रोल का अधिकार देता है जिससे अभी के लिए रूस का हमला टल सकता है.

हालांकि, एक डर इस बात का भी है कि रूस चाहता है कि यूक्रेन डोनेत्स्क और लुहंस्क को भी विदेश नीति के मामले में वीटो का अधिकार दे. लेकिन यूक्रेन इस बात से इनकार करता है. डोनेत्स्क और लुहंस्क में रूसी समर्थकों की सत्ता है. यूक्रेन में बहुत से लोग मानते हैं कि मिन्स्क II समझौता उन्हें रूसी हमले से बचा सकता है.

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