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Ukraine Crisis: युद्ध की आशंका के बीच ग्राउंड जीरो पर पहुंचा आजतक, वॉर को न्योता देने वाले हैं हालात

अमेरिका और ब्रिटेन ने चिंता जाहिर की है कि रूसी सेना दूर जाने के बजाय यूक्रेन की सीमा की तरफ और तेजी से बढ़ रही है. अमेरिका का दावा है कि यूक्रेन की सीमा से अपनी सेना की वापसी के दावे के बाद रूस ने कम से कम सात हजार अतिरिक्त सैनिक बॉर्डर पर तैनात किए हैं.

रूस की जो सैन्य गतिविधि दिखाई दे रही है, वो अपने आप में चिंताजनक है. रूस की जो सैन्य गतिविधि दिखाई दे रही है, वो अपने आप में चिंताजनक है.
गौरव सावंत
  • कीव,
  • 17 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST
  • बेलारूस, क्रीमिया और पश्चिमी रूस में सैन्य गतिविधि बढ़ी
  • यूरोपियन यूनियन भी सावधानी से पूरे हालात पर नज़र रखे हुए है
  • यूक्रेन बॉर्डर पर रूस के दावे उसके इरादों से मैच नहीं करते

यूक्रेन और रूस के बॉर्डर पर तनाव है और दुनिया की नजरें इस समय पुतिन पर हैं. पुतिन का अगला कदम क्या होगा? कल तक रूस ये प्रचारित कर रहा था कि उसने अपने सैनिकों और सैन्य साज-ओ-सामान की तादाद घटा दी है, लेकिन अमेरिका ने इसे यूक्रेन के बर्फीले युद्धक्षेत्र जैसा 'सफेद' झूठ बताया है. व्हाइट हाउस तो यहां तक कह रहा है कि पुतिन ने 7000 अतिरिक्त सैनिक बॉर्डर पर तैनात किए हैं.

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सैटेलाइट तस्वीरों में रूस की जो सैन्य गतिविधि दिखाई दे रही है, वो अपने आप में चिंताजनक है. बेलारूस, क्रीमिया और पश्चिमी रूस में सैन्य गतिविधि अचानक बढ़ी है. बेलारूस की प्रिप्यात नदी पर अचानक पॉनटून ब्रिज बना हुआ दिखाई दे रहा है. इस पुल के बनने का गहरा अर्थ है. यहां से बेलारूस-यूक्रेन बॉर्डर की दूरी कुछ ही किलोमीटर की है. जाहिर है किसी हमले की स्थिति में ये रणनीतिक बढ़त देने वाली जगह साबित हो सकती है. सिर्फ हथियार और सैन्य उपकरण की तैनाती ही नहीं हो रही, बल्कि फील्ड हॉस्पिटल भी बनाए जा रहे हैं. ये सब हमले और युद्ध की तैयारी के संकेत हैं.

यूरोपियन यूनियन भी सावधानी से पूरे हालात पर नज़र रखे हुए है, क्योंकि पुतिन की कथनी और करनी में बहुत फर्क है. दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेन्स्की ने अपनी सेना का हौसला बढ़ाने के लिए यूक्रेन के युद्धाभ्यास का जायज़ा लिया है. यूक्रेन और रूस के तनाव को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों की बैठक भी है. सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा है और इस घटनाक्रम का असर पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है.

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अमेरिकी सैटेलाइट इमेज प्रोवाइडर कंपनी मैक्सार ने 15 और 16 फरवरी को यूक्रेन बॉर्डर पर रूस के सैन्य जमावड़े की जो तस्वीरें जारी की हैं, वो साबित करती हैं कि बेलारूस, क्रीमिया और पश्चिमी रूस की सीमा पर अभी भी रूस की सैन्य गतिविधियां जारी हैं. इन सेटेलाइट तस्वीरों में यूक्रेन बॉर्डर पर रूस के लड़ाकू विमान, टैंक-तोप, गोला-बारूद, सैन्य चौकियां सब साफ-साफ देखी जा सकती हैं. इन तस्वीरों से पता चलता है कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग अभी टली नहीं है.

यूक्रेन आर्मी का दावा है कि यूक्रेन बॉर्डर पर अभी भी एक लाख 40 हजार से ज्यादा रूसी सैनिक और रूस समर्थक अलगाववादी फोर्स की तैनाती है. यानी दुनिया अभी भी रूस के दावों पर यकीन करने को तैयार नहीं है, क्योंकि रूस की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है और ये अंतर सैटेलाइट तस्वीरों में भी दिखता है. यूक्रेन बॉर्डर पर रूस के दावे उसके इरादों से मैच नहीं करते.

दुनिया को छोड़िये, यूक्रेन को भी रूस के इरादों पर गहरा शक है और इस शक की वजह है रूस की कथनी और करनी का फर्क, जो एक बार फिर सैटेलाइट तस्वीरों में पकड़ा गया है. रूस के खिलाफ यूक्रेन बॉर्डर पर सैटेलाइट से मिली पहली तस्वीर बेलारूस और यूक्रेन को जोड़ने वाली प्रिप्यात नदी की है. तस्वीरें बताती हैं कि पिछले 48 घंटों में बेलारूस-यूक्रेन बॉर्डर से 6 किलोमीटर दूर इस नदी पर एक नया सैन्य पंटून ब्रिज बनाया गया है. इस पुल के जरिये रूस की फौज बेलारूस के रास्ते पलक झपकते ही यूक्रेन में घुस सकती है.

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दूसरी तस्वीर में यूक्रेन बॉर्डर पर बेलारूस की फॉरवर्ड लोकेशन पर रूस की हेलीकॉप्टर यूनिट की तैनाती दिख रही है, जिन्हें किसी भी वक्त यूक्रेन पर अटैक करने के लिए तैयार रखा गया है. 15 फरवरी की सैटेलाइट तस्वीरों में यहां कम से कम 18 लड़ाकू हेलीकॉप्टर्स की मौजूदगी दिख रही है.

तीसरी तस्वीर यूक्रेन बॉर्डर पर ब्रेस्त इलाके की है, जहां रूस की आर्टिलरी यूनिट की तैनाती कम होने के बजाय बढ़ गई है. यूक्रेन बॉर्डर पर एक नया और बड़ा फील्ड अस्पताल भी सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है. ये तीनों तस्वीरें अमेरिका की सेटेलाइट इमेज प्रोवाइडर कंपनी मैक्सार ने जारी किया है. जो रूस के उस दावे पर सवाल उठाती हैं कि यूक्रेन की सीमा से उसने सेनाओं को वापस बुला लिया है. साथ ही यूक्रेन के उस दावे को पुख्ता करती हैं कि रूस ने सिर्फ कुछ सैनिक वापस बुलाएं हैं. बॉर्डर पर रूसी हथियारों का जमावड़ा अभी भी मौजूद है.

रूस की तरफ से यूक्रेन के चारों तरफ सेना, मिसाइलों और युद्धपोतों की तैनाती को यूरोप में शीत युद्ध के बाद सबसे गंभीर संकट कहा जा रहा है, जिसको काउंटर करने के लिए अब नाटो देशों ने भी अपनी सैन्य रणनीति को कस लिया है. जिसे मजबूती देने के लिए यूएस आर्मी की एक डिवीजन पोलैंड में लैंड कर चुकी है. यूक्रेन की आर्मी भी रूस के हमले का जवाब देने के लिए कमर कस रही है, खुद राष्ट्रपति जेलेंस्की सेना की तैयारियों को परख रहे हैं.

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लेकिन चाहे अमेरिका हो या नाटो, रूस ऐसे रियेक्ट कर रहा है जैसे उसे किसी की भी रत्ती भर परवाह नहीं है, बल्कि रूस का विदेश मंत्रालय तो नाटो का मजाक उड़ा रहा है. रूस दावा कर रहा है कि नाटो सदस्यता का झांसा देकर अमेरिका ने यूक्रेन को बरगलाया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को आगाह भी किया है कि वो नाटो में शामिल होने का सपना देखना छोड़ दे. लेकिन अगर यूक्रेन, नाटो में शामिल होने के फैसले पर अड़ा रहा तो रूस ने अपनी तैयारी की हुई है, इसलिए यूक्रेन पर रूसी हमले का सायरन लगातार बज रहा है.

एयर डिफेंस, तोपखाने और अन्य साजोसमान से सुसज्जित रूस की करीब 100 बैटालियन यूक्रेन के रूस और बेलारूस से लगने वाले बॉर्डरों पर तैनात हैं. हर बैटालियन में करीब 1000 के आसपास सैनिक हैं. सैनिकों को सैन्य साजोसामान से लिंक करने के लिए मूवमेंट हो रही है और अलग-अलग देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ कमर्शियल सैटेलाइट के ज़रिए ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एजेंसियां भी यूक्रेन और रूस के टकराव पर पल पल नज़र रख रही हैं. बेलारूस और रूस के बॉर्डर से 125 किलोमीटर दूर येलन्या में रूस की सेना ने नवंबर 2021 से बड़ी गतिविधि शुरू कर दी थी. जनवरी के अंत में ली गई सेटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि सैनिकों ने बड़ी संख्या में हाईटेक हीटेड टेंट्स में रहना शुरू कर दिया है, क्योंकि इन टेंट्स के ऊपरी हिस्सों पर बर्फ जमी हुई नहीं थी, यानी तैनाती बढ़ रही थी.

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यूरोपियन स्पेस एजेंसी का सैटेलाइट सेंटिनेल-1 यूरोप के एक एक हिस्से की तस्वीर हर 6 दिन में खींचता है. इससे गाड़ियों का पता तो नहीं चलता लेकिन जो मानव निर्मित निर्माण होते हैं, उनसे सैटेलाइट के रडार की तरंगें टकराकर वापस आती हैं और इससे अंदाज़ा मिलता है कि मूवमेंट हुई है या नहीं. यूरोपियन सैटेलाइट के डेटा का विश्लेषण करने से ये पता चला कि 23 जनवरी 2022 से 11 फरवरी 2022 के बीच रूस के सैनिकों को भारी तादाद में येलन्या से यूक्रेन के बॉर्डर पर भेजा गया.

क्रीमिया के नोवूज़रनोए कैंप में फरवरी में अचानक सैनिकों की तादाद बढ़ गई. क्रीमिया में ही एक पुरानी और इस्तेमाल में न आने वाली एयरफील्ड के आसपास अचानक बड़ा कैंप बन गया और उत्तरी बॉर्डर पर रूस ने भारी तैनाती कर दी और देखते ही देखते उत्तर, दक्षिण और पूर्व, तीन दिशाओं से रूस ने यूक्रेन पर शिकंजा कस लिया. रूस ने जिन क्षेत्रों में सैन्य तैनाती की है. उनमें से कुछ इलाके तो ऐसे हैं, जो यूक्रेन बॉर्डर से सिर्फ 25 किलोमीटर की दूरी पर हैं. ऐसे में पुतिन चाहे ये दिखाने की कोशिश करें कि उन्होंने सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया है, लेकिन अमेरिका ये मान कर चल रहा है कि रूस अपने सैनिकों को विशेष रणनीति के तहत हटा रहा है. असल में वो किसी भी समय यूक्रेन पर हमले की स्थिति में है.

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यूक्रेन बॉर्डर पर रूस की बातें और इरादे अलग-अलग पिक्चर पेश कर रहे हैं, लेकिन रूस के हमले को लेकर यूक्रेन के आम लोग क्या सोचते हैं? युद्ध की आहट की ग्राउंड रिपोर्टिंग करने के लिए यूक्रेन पहुंची आजतक की टीम राजधानी कीव में मौजूद है. वहां के हालात का जायज़ा ले रही है और यूक्रेन के लोगों से बात कर रही है, लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि यूक्रेन बॉर्डर पर रूसी सेना की इतनी जबरदस्त तैनाती के बावजूद कीव में हालात एकदम सामान्य हैं और लोग भी रूस के हमले को लेकर बेफिक्र हैं. 

यूक्रेन के बॉर्डर पर हालात एकदम युद्ध को न्योता देने वाले हैं, लेकिन यूक्रेन की राजधानी कीव में पहुंचकर लगता ही नहीं है कि यूक्रेन पर रूसी हमले का इतना बड़ा खतरा मंडरा रहा है. आजतक की टीम कीव के मशहूर मैदान स्कवेयर पर पहुंची, जहां 2013 में यूक्रेन सरकार के खिलाफ अभूतपूर्व प्रदर्शन हुए थे. यहां पहुंचकर अंदाजा ही नहीं होता कि यूक्रेन इतने बड़े संकट में है. 

यूक्रेन की राजधानी कीव में घूमते हुए आजतक की टीम को कोई नहीं मिला जो यूक्रेन पर रूस के हमले की आशंका को सीरियली ले रहा हो. दुनिया को भले लगता है कि रूस के पास यूक्रेन पर हमला करने की वजह है..लेकिन यूक्रेन के लोगों को ऐसी कोई वजह नहीं दिखती.

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यूक्रेन पर रूस के हमले का डर ना तो कीव में लोगों के मन में दिखा और ना ही कीव की सड़कों पर. वहां सब सामान्य है, बिलकुल वैसे ही जैसे हमेशा रहता है. होटल्स खुले हैं, पब्स में लोग मौज मस्ती कर रहे हैं. सड़कों पर चहल-पहल है. यहां आकर आपको लगेगा कि दुनिया को बेकार में युद्ध का खतरा लग रहा है.

कीव में सब सामान्य ही नजर आता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यूक्रेन में कहीं भी डर नहीं है. कीव एयरपोर्ट पर पहुंचकर तनाव को महसूस किया जा सकता है. रूस के हमले की आशंका के बीच लोग यूक्रेन छोड़ रहे हैं.  रूस से जंग के खतरे के बीच यूक्रेन के आम लोग हथियारों की ट्रेनिंग ले रहे हैं. आम लोग अपनी सेना के साथ मिलकर नकली हथियारों के जरिए सैन्य अभ्यास कर रहे हैं. हमले के वक्त फर्स्ट एड की ट्रेनिंग ले रहे हैं और घायलों को वॉर जोन से निकालने की प्रैक्टिस कर रहे हैं और इस एक्सरसाइज में बुज़ुर्ग महिलाएं तक शामिल हैं. यानी भले ही यूक्रेन के नागरिकों को लग रहा है कि रूस उनके देश पर हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो अपने देश की उन्हें खुद ही रक्षा करनी होगी.

रूस के संभावित हमले को लेकर यूक्रेन में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं. लोगों को अभी भी यकीन है कि रूस हमला नहीं कर सकता, लेकिन इतिहास बताता है कि रूस अपने हितों के लिए यूक्रेन पर अटैक करने से पीछे नहीं हटेगा. 2014 में पूर्वी यूक्रेन में रूस ऐसा कर चुका है, जब पूर्वी यूक्रेन में क्रीमिया को जीतने के लिए रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था जिसमें यूक्रेन के 14 हजार लोग मारे गए थे और करीब 14 लाख लोग विस्थापित हुए थे. अब अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो यूक्रेन में 25 हजार से 50 हजार यूक्रेनी नागरिक मारे जा सकते हैं. इसके अलावा 5 हजार से 25 हजार यूक्रेनी सैनिक भी युद्ध में मारे जाने की आशंका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के हमले के नतीजे में यूक्रेन के एक लाख से पांच लाख नागरिक विस्थापित हो सकते हैं. 

रूसी सेना के आगे यूक्रेन की सेना का साइज बेहद छोटी है, लेकिन यूक्रेन ने भी तय कर लिया है कि अगर रूस यूक्रेन में घुसता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा, जिसके लिए यूक्रेन की आर्मी और आम नागरिक युद्ध की तैयारियों में जुट चुके हैं, लेकिन उन्हें अब भी उम्मीद है कि रूस यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा, हालांकि रूस के इरादे कुछ और ही नजर आ रहे हैं.

(इनपुट- राजेश पवार)

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