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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पुतिन से बात, तुर्की का नाटो पर हमला, यूक्रेन के लिए क्या मायने?

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच चीन और तुर्की सक्रिय हो गए हैं. एक तरफ शी जिनपिंग ने पुतिन से फोन पर बात की है तो वहीं दूसरी तरफ तुर्की राष्ट्रपति ने नाटो देशों को घेरा है.

यूक्रेन रूस के बीच जारी युद्ध यूक्रेन रूस के बीच जारी युद्ध
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST
  • एक्सपर्ट्स बोले- चीन-तुर्की पर विश्वास नहीं किया जा सकता
  • यूक्रेन-रूस दोनों ने भेजा बातचीत का प्रस्ताव, फैसला जल्द

रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच अब बातचीत का दौर भी शुरू हो गया है. रूस के विदेश मंत्री के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भी बातचीत का प्रस्ताव दिया है. कहा जा रहा है कि अब युद्ध को समाप्त करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं. 

वैसे इन प्रस्तावों के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुतिन से फोन पर बात की है. अभी तक उनकी बातचीत को लेकर ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन पिछले दिनों चीन ने भी बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की बात कही थी. तब चीन ने साफ कर दिया था कि हर देश को अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का पूरा अधिकार है, लेकिन किसी भी कीमत पर युद्ध की स्थिति नहीं आनी चाहिए. चीन के उस स्टैंड के बाद आज पहली बार शी जिनपिंग ने पुतिन से बात की है.

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चीन के अलावा तुर्की ने भी इस पूरे विवाद पर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया है. तुर्की के राष्ट्रपति ने सीधे-सीधे नाटो और EU पर अपना निशाना साधा है. उनके मुताबिक युद्ध की स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि नाटो और EU पूरी तरह विफल हो गए हैं. उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि समय रहते यूक्रेन को मदद नहीं दी गई. लेकिन तुर्की और चीन के इस स्टैंड पर एक्सपर्ट्स को भरोसा नहीं है. उनका कहना है कि दोनों देश यहीं चाहते हैं कि ये युद्ध कुछ और लंबा चलना चाहिए.

चीन को लेकर तो सवाल इसलिए भी खड़े किए गए हैं क्योंकि कल ही ताइवान की धरती पर चीन के लड़ाकू विमानों को देखा गया था. एक महीने में ये 12वीं बार था जब चीनी लड़ाकू विमानों ने ताइवान की धरती पर अतिक्रमण किया था. रूस और यूक्रेन की जारी जंग की वजह से ताइवान को भी इस बात की चिंता थी कि चीन उन पर आक्रमण कर सकता है. ऐसे में चीन से सटे बॉर्डर पर ताइवान सेना को तैनात कर दिया गया था और सुरक्षा भी ज्यादा मुस्तैद की गई थी.

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अभी के लिए चीन जरूर कूटनीतिक रास्ते पर चल रहा है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है. रूस संग जारी उसकी बातचीत को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है.

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