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Russia Ukraine War: रूस का वो 'सीक्रेट दस्तावेज' जिस पर लंबे वक्त से पुतिन लिख रहे थे यूक्रेन की 'हार'

Russia Ukraine news: रूस ने एक बड़ी प्लानिंग (Russian passport Ukraine people) के साथ यूक्रेन को निशाने पर लिया है. जिन इलाकों को रूस ने अलग देश की मान्यता दी है, वहां के लोगों को वो पहले से ही अपनी नागरिकता दे रहा था. अब जबकि रूस ने हमला शुरू कर दिया है तो वो नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए अपने हमलों को सही साबित करने का प्रयास कर रहा है.

पूर्वी यूक्रेन के लोगों को लगातार अपनी नागरिकता दे रहा है रूस पूर्वी यूक्रेन के लोगों को लगातार अपनी नागरिकता दे रहा है रूस
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST
  • पूर्वी यूक्रेन के लोगों को रूस दे रहा है नागरिकता
  • 2019 से लगातार यूक्रेन के लोगों को रूसी पासपोर्ट मिले

कहते हैं जंग सिर्फ हथियारों से नहीं, हिम्मत और जुनून से जीती जाती है. ये बात सच है, लेकिन फतह पाने के लिए कुछ अदृश्य हथियारों की भी आवश्यता पड़ती है. यूक्रेन से मौजूदा जंग में रूस के काम उसका 'सीक्रेट वेपन' भी आ रहा है और ये हथियार है रूसी पासपोर्ट. 

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भले ही गुरुवार (24 फरवरी) की सुबह यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया हो लेकिन वो अपने मिशन को पूरा करने के लिए लंबे वक्त से लगे हुए थे. पुतिन अपनी प्लानिंग से यूक्रेन को अंदर ही अंदर 'दीमक' लगा रहे थे और अब जब पुतिन के सैनिक यूक्रेन पर मिसाइल दाग रहे हैं तो पुतिन अपनी उसी रणनीति को आगे करते हुए पूरी दुनिया के सामने सीना ठोक रहे हैं.

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रूस अपने हमलों को क्यों बता रहा मिलिट्री एक्शन?

यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को पुतिन ने 'मिलिट्री एक्शन' बताया है. आधिकारिक तौर पर मिलिट्री एक्शन को किसी इलाके में स्थिति को संभालने के लिए लिया गया एक्शन माना जाता है. मिलिट्री एक्शन और आक्रमण दोनों अलग होते हैं. यानी रूस ये बताने की कोशिश कर रहा है कि हमने किसी देश के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ा है. रूस जोर देकर अपनी कार्रवाई को मिलिट्री एक्शन बता रहा है. 

पुतिन ने अपने संबोधन में कहा है कि 'पूर्वी यूक्रेन में नागरिकों की रक्षा के लिए हमले की जरूरत थी, यूक्रेन के सैनिक अपने हथियार डाल दें.' इसके साथ ही पुतिन ने कहा है कि रूस का इरादा यूक्रेन पर कब्जा करने का नहीं है.

तो यूक्रेन में रहने वालों की रूस को चिंता क्यों है?

पुतिन ने इस पूरे गेम को बहुत ही बड़ी प्लानिंग के तहत अंजाम दिया है. दरअसल, रूस हमेशा से अपने दोनों पड़ोसियों यूक्रेन और बेलारूस को अपने मुताबिक चलाता आ रहा है. इसके सामरिक और आर्थिक दोनों ही कारण हैं. दोनों ही मुल्कों में पुतिन समर्थित राष्ट्राध्यक्ष भी रहे हैं. 

ये भी पढ़ें: यूक्रेन के साथ जंग के बीच भारत के रुख पर क्या बोला रूस?

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लेकिन यूक्रेन में 2014 में जब क्रांति हुई तो उसके रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को अपना पद त्यागना पड़ा. ये बात रूस को नागवार गुजरी और उसने क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया. क्रीमिया पर कब्जा करते हुए रूस ने तर्क दिया कि वहां रूसी मूल के लोग बड़ी संख्या में हैं और उनके हितों की रक्षा करना रूस की जिम्मेदारी है. इस तरह जिम्मेदारी के नाम पर रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. 

पुतिन ने खेला क्रीमिया जैसा गेम

ठीक इसी तरह का गेम प्लान पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्सक (donetsk) और लुहांस्क ( luhansk) में भी रूस ने अपनाया. एक तरफ क्रीमिया पर रूस ने कब्जा जमाया तो इससे सटे दोनों क्षेत्रों दोनेत्सक और लुहांस्क में अलगाववादी ताकतें पनपती गईं. अप्रैल 2014 में अलगाववादियों ने दोनों क्षेत्रों को रिपब्लिक घोषित कर दिया. इस तरह, यूक्रेन में अलगववादियों की सत्ता भी साथ-साथ चलती रही. दिलचस्प बात ये है कि इन दोनों ही क्षेत्रों के लोगों को रूस समर्थन देता रहा और यूक्रेन को बैकफुट पर लाता रहा. 

रूस के मिशन में बड़ा हथियार बना पासपोर्ट

एक तरफ, रूस अलगाववादी ताकतों के सहारे यूक्रेन को मात दे रहा था तो दूसरी तरफ वो अपना हिडन एजेंडा भी चलाने लगा. 2019 में जब यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की बने तो रूस ने अपनी पासपोर्ट रणनीति पर काम शुरू कर दिया.

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रूस ने दोनेत्सक और लुहांस्क के लोगों को रूसी पासपोर्ट देना शुरू कर दिया. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इन क्षेत्रों के करीब सवा सात लाख लोगों को रूस अपनी नागरिकता दे चुका है. यानी यहां की करीब 18 फीसदी आबादी को रूसी नागरिकता मिल चुकी है. बता दें कि सांस्कृतिक और एथनिक तौर पर भी यहां की बड़ी आबादी रूस से खुद को जोड़ती है और पासपोर्ट मिलने के साथ ही उनका सीधा रिश्ता भी रूस से जुड़ गया है.

यही वजह है कि आज जब पूरी दुनिया रूस को धमका रही है और यूक्रेन पर हमले न करने की नसीहत दे रही है तो तमाम चुनौतियों को दरकिनार करते हुए पुतिन ने अपना वार शुरू कर दिया है. रूस ने पहले पूर्वी यूक्रेन के इन दोनों क्षेत्रों को अलग देश की मान्यता दी है और अब यूक्रेन के सैनिकों को वहां से हटाने का काम शुरू कर दिया है.

अपने कदम को सही साबित करने के लिए रूस बार-बार इस बात पर जोर दे रहा है कि वो यूक्रेन पर कब्जा नहीं करना चाहता बल्कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा है. जैसे क्रीमिया में रूसी लोगों की सुरक्षा के नाम पर रूस ने वहां कब्जा किया था, उसी तरह रूस यूक्रेन पर अपने मौजूदा हमलों को सही साबित करने की कोशिश कर रहा है. नागरिकों की सुरक्षा को आधार बनाते हुए ही पुतिन दुनिया को चेता रहे हैं कि अगर अन्य देशों ने इस मामले में दखल देने का प्रयास किया तो कड़े अंजाम भुगतने पड़ेंगे. 

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