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Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन की जंग के बीच बेलारूस को अमेरिका की तरफ से चेतावनी दी गई है. अमेरिका ने धमकी भरे लहजे में कहा है कि रूस का साथ देना बेलारूस को महंगा पड़ सकता है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस की तरफ से इसपर बयान आया है.
बता दें कि यूक्रेन और रूस की जंग का आज मंगलवार को छठा दिन है. यूक्रेन के मुताबिक, रूसी हमले में अबतक 16 बच्चों सहित 352 लोगों की मृत्यु हुई है. उनका कहना है कि मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है क्योंकि रूस की गोलाबारी जारी है.
अमेरिका की बेलारूस को चेतावनी
इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि अगर राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको पुतिन के यूक्रेन पर हो रहे एक्शन का साथ देते रहे तो बेलारूस को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है. इससे पहले सोमवार को अमेरिका ने गैर-राजनयिक 'गतिविधियों' के लिए संयुक्त राष्ट्र के 12 रूसी कर्मचारियों को निष्कासित कर दिया था.
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बेलारूस को अमेरिका ने क्यों चेताया
बता दें कि अबतक बेलारूस इस जंग में रूस के साथ खड़ा है. सोमवार को यह जानकारी भी आई थी कि यूक्रेन पर हमले में बेलारूस रूस का साथ दे सकता है. अबतक लड़ाई में बेलारूस सीधे तौर पर सामने नहीं आया था. लेकिन रूस ने सोमवार सुबह यूक्रेन के Zhytomyr एयरपोर्ट पर जो हमला किया था इसमें Iskander मिसाइल का इस्तेमाल हुआ था. यह एयर स्ट्राइक बेलारूस की तरफ से छोड़ी गई थी. बेलारूस ने कहा था कि वह अपने इलाके का इस्तेमाल रूस को एयर स्ट्राइक के लिए नहीं करने देगा, बावजूद इसके ऐसा हुआ था.
इतना ही नहीं, बेलारूस ने अपना गैर परमाणु स्टेटस खत्म कर दिया है, ताकि रूस की परमाणु मिसाइल वहां तैनात की जा सकें.
बेलारूस में हुई थी रूस-यूक्रेन की मीटिंग
रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच सोमवार को बेलारूस में ही बातचीत हुई थी, हालांकि, उसका कोई खास नतीजा नहीं निकला था. रूस ने सेना वापसी से पहले तीन शर्त रख दी हैं. इसमें क्रीमिया पर रूसी संप्रभुता की मान्यता, यूक्रेन का विसैन्यीकरण और विमुद्रीकरण और यूक्रेन की तटस्थ स्थिति सुनिश्चित करना शामिल है. बातचीत में यूक्रेन ने मांग रखी है कि रूस क्रीमिया और डोनबास समेत पूरे देश से अपनी सेना वापस ले.
बैठक के बाद यूक्रेन ने कहा कि रूस के साथ बातचीत 'कुछ फैसलों' तक पहुंची है. जल्द दोनों देशों के बीच दूसरे दौर की वार्ता होगी. लेकिन इससे पहले दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल परामर्श के लिए मॉस्को और कीव लौटेंगे. बताया जा रहा है कि यह वार्ता पोलिश-बेलारूस के बॉर्डर पर होगी.