
रूस के खिलाफ यूक्रेन पिछले 14 दिन से डटकर लड़ रहा है. एक ऐसा भीषण युद्ध लड़ रहा है जिसे कभी एकतरफा माना जा रहा था. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान भी इस युद्ध का यूक्रेन ही झेल रहा है. जगह-जगह इमारतें खंडर बन चुकी हैं. कई बेगुनाह लोग हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं और जमीन पर एक खौफजदा माहौल देखने को मिल रहा है.
इसी वजह से लोग कहते हैं कि युद्ध सिर्फ दो देशों के बीच नहीं होता, न दो सेनाओं के बीच, युद्ध होता है अपने बच्चे के लिए तड़पती माओं के साथ, अपने बच्चों को बारूद में उड़ा हुआ देखने के पहले उसे सुरक्षित बचाने का जतन करते पिताओं के साथ.
इस एक युद्ध ने सिर्फ लोगों की जान नहीं ली है, सिर्फ इमारतों को खंडर में तब्दील नहीं किया है, बल्कि कई जिंदगियां भी खंडर जैसी हो गई हैं जो अपनी नींव, दिशा हमेशा के लिए खो चुकी हैं.
पंद्रह दिन पहले तक हाथ में हाथ डालकर यूक्रन की बर्फबारी में मुस्कुराती प्रेम कहानियां बंकरों में दबी पड़ी हैं,इस खौफ से कि कोई धमाका,उनके शरीर के चीथड़े न उड़ा दे. 16 साल का अर्टयोम प्रिमेंको यूक्रेन का उभरता हुआ एथलीट था,मार्शल आर्ट का चैंपियन, मगर उसकी सारी कला,बारूद के ढेर में राख हो गई, चैंपियन के साथ साथ उसका हंसता मुस्कुराता ये परिवार युद्ध की भेंट चढ़ गया, सूमी में हुए हमले ने पूरे परिवार को खत्म कर दिया.
ऐसी महिलाएं भी सामने आ गई हैं जो कहने को मॉडल की दुनिया में काफी फेमस हैं, इस मुश्किल समय में उन्होंने भी अपने हाथ में हथियार उठा लिया है. हर कोई सिर्फ अपने देश को बचाने के लिए कुर्बान होने को तैयार खड़ा है.
अब जंगल का यह पुराना नियम है, जो मार दिया जाता है उनके निशान भी मिटा दिए जाते हैं. लेकिन बताना होगा आने वाली पीढ़ियों की युद्ध हमारी सभ्यता पर सबसे बड़ा दाग है. इस दाग से जहां तक बचें...बचना चाहिए.
वैसे ये विनाश की लीला देखने के बाद दोनों रूस और यूक्रेन अब बातचीत की टेबल पर आए हैं. 14 दिन से जारी जंग के बाद अब यूक्रेन और रूस दोनों देशों के रूख में नरमी आ रही है..यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने नाटो में शामिल ना होने की बात कही है तो वहीं रूस की ओर से भी साफ कर दिया गया है कि उनका मकसद यूक्रेन की सरकार को हटाना नहीं हैं.
एक्सपर्ट मान रहे हैं कि जैलेंस्की को समझ आ चुका है कि आखिर कि जंग के मैदान पर वो ज्यादा दिन टिकने वाले नहीं... और नाटो से यूक्रेन को बचाने की उम्मीद रखना अब बैमानी है... यही वजह है कि अब उनके तेवर ढीले पड़ते नजर आ रहे हैं.