
रूस को यूक्रेन में अपने सैन्य ऑपरेशन के दौरान वहां (यूक्रेन में) जैविक हथियार बनाने के मजबूत सबूत मिले हैं. खुद अमेरिकी उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड ने अपने बयान से रूस की बात मान ली है. जैविक हथियार रूस पर खतरा बढ़ाने का जरिया है जिसे पेंटागन वित्तीय मदद दे रहा था. ज़ाहिर है रूस इसे लेकर अमेरिका पर और हमलावर हो चुका है. रूस का दावा है कि अमेरिका युद्ध में रासायनिक और जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है.
अमेरिका पर जैविक हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को अब खुले तौर पर चीन का साथ मिल गया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिये ये दावा किया कि अमेरिका, यूक्रेन में जैविक हथियारों का निर्माण कर रहा है.
'हम यूक्रेनियन के साथ काम कर रहे'
अमेरिका की उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड के मुताबिक, यूक्रेन में जैविक अनुसंधान (रिसर्च) सुविधाएं हैं. हम चिंतित हैं कि रूसी सेना उन पर नियंत्रण करने की कोशिश कर सकती है इसलिए हम यूक्रेनियन के साथ काम कर रहे हैं कि इन शोध सामग्री को रूसी सेना के हाथों में आने से कैसे रोका जाए?
26 जैविक लैब अकेले यूक्रेन में
रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई के दौरान दावा किया है कि वहां ख़तरनाक वायरस स्टोर किए गए हैं जिन्हें अमेरिका हथियारों के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. अमेरिका के पास 30 देशों में 336 जैविक अनुसंधान लैब हैं, जिनमें 26 लैब अकेले यूक्रेन में हैं. अमेरिका को इन लैब के बारे में अपने देश और विदेश में अपनी जैविक सैन्य गतिविधियों की पूरा जानकारी देनी चाहिए.
अमेरिका पर बड़ा आरोप
रूस और चीन यूक्रेन के ज़रिये अमेरिका पर जैविक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति इसे रूस की साजिश बताकर यूक्रेन पर हमला करने की नई तरकीब बता रहे हैं. यूक्रेन में अब तक केमिकल या जैविक हथियारों वाला वॉर शुरू नहीं हुआ, लेकिन इसके बारे में सोचना भी बहुत डरावना है.
'यूक्रेन में अमेरिका समर्थित कोई प्रयोगशाला नहीं'
उधर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि ने अपनी विदेश उप मंत्री के बयान के उलट कहा, यूक्रेन में जैविक हथियार कार्यक्रम नहीं चल है. अमेरिका द्वारा समर्थित कोई यूक्रेनी जैविक हथियार प्रयोगशालाएं नहीं हैं, न तो रूस की सीमा के पास या न ही और कहीं. अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा कि रूस, यूक्रेन के खिलाफ राष्ट्रपति पुतिन की पसंद के युद्ध को सही ठहराने के लिए गलत सूचना को सही ठहराने और लोगों को धोखा देने के लिए यूएनएससी का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहा है. चीन भी रूस के समर्थन में दुष्प्रचार फैला रहा है.