
यूक्रेन की राजधानी कीव से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर एक शहर है बुचा. जो इन दिनों दर्द से कराह रहा है. शहर में रूसी सेना ने मौत का ऐसा तांडव मचाया है कि जिसे जानकर सभी हैरान हैं. हालात ये हैं कि लोगों को गोली मारकर, हाथ-पैर बांधकर सड़क पर फेंक दिया गया है. सर्दी की वजह से शव गल गए हैं. कुछ मृत शरीर साइकिलों में फंसे हुए हैं. इमारतें जमींदोज हो गई हैं.
यहां नजर आता है तो सिर्फ दूर तक पसरा सन्नाटा. महसूस होती है फिजाओं में घुली बारूद की गंध. इसी बीच एक ऐसी मार्मिक दास्तां है उस मां की, जिसने अपनी बेटी को खो दिया, लेकिन मां ममता ऐसी है कि मानने को तैयार ही नहीं कि अब उसकी बेटी किसी दूसरी दुनिया में जा चुकी है.
हम बात कर रहे हैं बूचा शहर में एक परिवार की. जिसने कुछ दिन पहले ही अपनी नन्हीं बेटी शाशा को खो दिया था. कलेजे के टुकड़े को खुद से दूर करते भी तो कैसे. मसलन मां-बाप ने घर के पास वाले पार्क में ही बिटिया को दफना दिया. अब हाल ये है कि मां को लगता है कि कब्र में बेटी को सर्दी लगती होगी, तो रोज सुबह कब्र पर दूध गर्म रखती हैं. बेटी को चॉकलेट पसंद थी तो वहां चॉकलेट रख जाती हैं.
नन्हीं शाशा के माता-पिता ने कहा कि हम जाते तो कहां जाते. कीव में भीषण गोलाबारी हो रही थी. यहां बूचा में लगातार हमले हो रहे थे. यहां हम लोग पूरी तरह से फंसकर रह गए थे. बता दें कि बूचा में बेहद सर्दी है. पारा माइनस में है. सर्दी के हालात में न बिजली है न घरों में गैस की व्यवस्था. ऐसे में लोग घरों के बाहर हैं. वहीं खाना पकाने के मजबूर हैं.
यहां मजबूरी का आलम कुछ ऐसा है कि लोग साइकिल से ही मीलों की यात्रा करने के लिए मजबूर हैं. बूचा में रूसी हमलों की तबाही की एक और बानगी नजर आई शहर की एक सड़क पर. बताया जा रहा है कि कार में सवार होकर एक परिवार कहीं जा रहा था. उसी दौरान बम कार पर गिर गया. इससे परिवार के लोगों की मौत हो गई. लिहाजा कई दिनों से कार में डेड बॉडीज पड़ी हुई हैं.
वहीं सड़क के किनारे महिला औऱ पुरुषों के शव पड़े हुए हैं. कोई भी उनकी पहचान करने वाला नहीं है. सड़क किनारे एक साइकिल के पास बुजुर्ग जमीन पर गिरे हुए थे. करीब जाकर देखा तो पता चला कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे. ये भयावह हालात बूचा की अधिकतर सड़कों पर है. यहां राशन और जीवन जीने की जरूरी चीजें भी नहीं मिल रही हैं.