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क्या है 8 साल पहले के प्लेन हादसे का वो सीक्रेट, जिस पर रूस को घेरने में जुटे दो देश

रूस के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स ने संयुक्त राष्ट्र की एविएशन एजेंसी में केस शुरू करने का फैसला लिया है. ये केस 8 साल पहले हुए प्लेन हादसे से जुड़ा है. जुलाई 2014 में मलेशिया का एक प्लेन क्रैश हो गया था. रूस पर इस प्लेन को मिसाइल से मार गिराने का आरोप लगा था.

MH17 प्लेन के टुकड़े 50 किलोमीटर के दायरे तक फैल गए थे. (फाइल फोटो-Reuters) MH17 प्लेन के टुकड़े 50 किलोमीटर के दायरे तक फैल गए थे. (फाइल फोटो-Reuters)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST
  • मलेशियाई विमान MH17 पर हुआ था हमला
  • विमान में सवार सभी 298 यात्री मारे गए थे
  • रूस पर मिसाइल अटैक करने का है आरोप

यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच रूस की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं. ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स ने 8 साल पुराने मामले में रूस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का फैसला लिया है.

दरअसल, जुलाई 2014 में मलेशिया का एक प्लेन पूर्वी यूक्रेन में क्रैश हो गया था. रूस पर इस प्लेन को मार गिराने का आरोप लगा था. इसमें सवार ज्यादातर यात्री ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स के ही थे. अब 8 साल बाद दोनों देश रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की एविएशन एजेंसी में कानूनी केस शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं. 

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क्या है प्लेन हादसे का सीक्रेट?

- मार्च 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. क्रीमिया यूक्रेन का हिस्सा हुआ करता था. क्रीमिया के बाद पूर्वी यूक्रेन के डोनबास प्रांत में रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेनी सेना के बीच संघर्ष शुरू हो गया. 

- 17 जुलाई 2014 को मलेशिया की फ्लाइट MH17 एम्सटर्डम से कुआलालंपुर जा रही थी. जब ये फ्लाइट रूस-यूक्रेन बॉर्डर से 50 किमी दूर थी, तभी इसका एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम से इनका संपर्क टूट गया. बाद में तस्वीरों में सामने आया कि ये प्लेन डोनेत्स्क में क्रैश हो गया है. डोनेत्स्क पर रूस समर्थित अलगाववादियों ने कब्जा कर लिया था.

- इस प्लेन में 283 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे. हादसे में सभी की मौत हो गई थी. सबसे ज्यादा 193 यात्री नीदरलैंड्स और 38 यात्री ऑस्ट्रेलिया के थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्लेन का मलबा 50 किलोमीटर के दायरे में फैल गया था. 

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- बाद में नीदरलैंड्स ने इस प्लेन क्रैश की जांच शुरू की. करीब दो साल तक चली जांच के बाद डच सेफ्टी बोर्ड (DSB) ने सितंबर 2016 में अंतरिम रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में बताया गया कि ये प्लेन क्रैश नहीं था, बल्कि इसे रूस की सेना ने मिसाइल से मार गिराया था. 

- नवंबर 2019 में पूरी रिपोर्ट सामने आई. इसमें दावा किया गया कि डोनेत्स्क के अलगाववादियों और रूस में बैठे अधिकारियों के बीच रोजाना फोन कॉल पर बात होती थी. रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि इस बात में कोई शक नहीं है कि पैसेंजर प्लेन पर मिसाइल हमले में रूस का हाथ नहीं है. 

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रूस ने आरोपों पर क्या कहा था?

- रूस और डोनेत्स्क के अलगाववादियों ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. रूस के विदेश मंत्रालय ने ये भी दावा किया कि रिपोर्ट में जिस मिसाइल से हमले का जिक्र किया गया है, वो मिसाइल बननी बंद हो गई है और रूसी सेना उसका इस्तेमाल नहीं करती.

- रूस ने ये भी दावा किया कि वो मिसाइल यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों से लॉन्च की गई थी. उसने रडार तस्वीरें भी दिखाई थीं, जिसमें दावा किया गया कि वो मिसाइल अलगाववादियों के कब्जे वाले इलाकों से नहीं छोड़ गई थी. 

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MH17 से जुड़े दो केस चल रहे

- MH17 प्लेन हादसे से जुड़े दो मामले चल रहे हैं. दोनों ही मामले नीदरलैंड्स की ओर से शुरू किए गए हैं. पहला मामला 4 रूस समर्थित अलगाववादियों पर है. इन चारों पर नीदरलैंड्स की अदालत में हत्या का केस चल रहा है.

- जिन चार लोगों के खिलाफ नीदरलैंड्स की अदालत में केस चल रहा है, उनमें आइगर गिरकिन, सर्गेई डुबिन्स्की, ओलेग पुलातोव और लियोनिड खारचेन्को शामिल हैं. इनमें तीन रूस की सेना से जुड़े रहे हैं, जबकि खारचेन्को यूक्रेनी नागरिक है. चारों अभी पकड़ में नहीं आए हैं, लेकिन नीदरलैंड्स मानता है कि ये चारों रूस में हैं.

- वहीं, दूसरा केस भी नीदरलैंड्स की ओर से शुरू किया गया है. नीदरलैंड्स ने जुलाई 2020 में यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में रूस के खिलाफ केस दायर किया था.

 

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