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यूक्रेन-रूस में बन रही बात लेकिन आसान नहीं शांति का रास्ता... क्या मिलेंगे पुतिन-जेलेंस्की?

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में अब शांति की बात होने लगी है. रूस ने कीव और चेर्नीहिव में सैन्य गतिविधियां कम करने की बात कही है. हालांकि, रूस के वार्ताकारों ने ये भी कहा है कि अभी लंबा रास्ता तय करना है. वहीं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी कहा कि रूस पर भरोसा करने का कोई कारण नहीं है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन में बैठक की संभावना है. (फाइल फोटो-AP/PTI) यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन में बैठक की संभावना है. (फाइल फोटो-AP/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST
  • इस्तांबुल में रूस-यूक्रेन की बात सकारात्मक रही
  • यूक्रेन ने रूस के सामने शांति के लिए प्रस्ताव रखे
  • रूस ने कहा- कीव और चेर्नीहिव में हमले कम होंगे

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जंग थमने की उम्मीद बंधती दिख रही है. युद्ध के 34वें दिन मंगलवार को दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में बातचीत हुई. करीब तीन घंटे तक चली इस बातचीत को दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने रचनात्मक बताया. इस बैठक में रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव और चेर्नीहिव में सैन्य गतिविधियां कम करने का वादा किया. 

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बैठक के बाद रूस के डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर एलेक्जेंडर फोमिन ने मीडिया को बताया कि रूस ने कीव और चेर्नीहिव में सैनिक गतिविधियां कम करने का फैसला किया है. हालांकि, उन्होंने मारियूपोल, सूमी, खारकीव, खेरसन और मायकोलेव में हो रहे तेज हमलों को लेकर कोई जिक्र नहीं किया. 

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने कहा कि रूसी वार्ताकारों से बातचीत में 'पॉजिटिव सिग्नल' मिले हैं, लेकिन रूस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. 

पुतिन-जेलेंस्की में होगी बात!

रूस और यूक्रेन के बीच हुई अब तक की किसी भी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला नहीं था, लेकिन मंगलवार को इस्तांबुल में हुई बातचीत किसी नतीजे तक पहुंची. इस बातचीत में दो बड़ी बातें निकलकर सामने आईं.

पहली तो ये कि रूस ने कीव और चेर्नीहिव में सैन्य गतिविधियां कम करने का वादा किया है. और दूसरी बात ये कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की में बात हो सकती है.

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रूस के वार्ताकार व्लादिमीर मेदेंस्की (Vladimir Medinsky) ने बताया कि दोनों देशों के संधि पर हस्ताक्षर करने के साथ ही पुतिन और जेलेंस्की की बैठक हो सकती है. 

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यूक्रेन ने भी रखीं शर्तें...

- यूक्रेन के वार्ताकार डेविड अरहामिया (David Arahamia) ने बताया कि इस्तांबुल में बातचीत के दौरान रूस के सामने कुछ प्रस्ताव रखे गए हैं. 

- उन्होंने बताया कि रूस से कहा गया है कि अगर सुरक्षा की गारंटी मिलती है तो यूक्रेन किसी भी सैन्य संगठन में शामिल नहीं होगा और न ही अपने यहां दूसरे देश को मिलिट्री बेस बनाने की अनुमति देगा.

- अरहामिया ने बताया कि रूस के वार्ताकारों के सामने क्रीमिया (Crimea) के मसले को भी द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाने का प्रस्ताव रखा गया है. दोनों देशों के बीच क्रिमिया का मसला 15 साल में सुलझाने प्रस्ताव है.

- रूस के वार्ताकार व्लादिमीर मेंदेस्की ने बताया कि यूक्रेन ने ये भी प्रस्ताव रखा है कि रूस उसके यूरोपियन यूनियन (European Union) में शामिल होने का विरोध नहीं करेगा. 

क्या रूस मानेगा बात?

दोनों देशों के बीच हुई इस बातचीत के बाद रूस के वार्ताकार मेंदेस्की ने बताया कि यूक्रेन ने हमारे सामने प्रस्ताव रख दिए हैं, हम अब इन प्रस्तावों पर स्टडी करेंगे और राष्ट्रपति पुतिन के सामने पेश करेंगे. शांति समझौते की तैयारियों पर मेंदेस्की ने कहा, 'हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है.'

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रूस नरम! लेकिन जेलेंस्की को भरोसा नहीं

- रूस ने कीव और चेर्नीहिव में हमले कम करने की बात कही है. हालांकि, विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रूस ने उन जगहों पर सैन्य गतिविधियां कम करने की बात कही है, जहां रूसी सेना कमजोर पड़ रही है. अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन का कहना है कि रूसी सेना अपनी जगह बदल रही है, वापस नहीं आ रही है.

- वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर भरोसा न करने की बात कही है. जेलेंस्की ने कहा कि बातचीत भले ही सकारात्मक रही, लेकिन इससे रूसी हमले शांत नहीं होंगे. रूस ने भी कहा है कि सैन्य गतिविधि कम करने का मतलब सीजफायर नहीं है.

- जेलेंस्की ने कहा कि खतरा अभी भी है. हम उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर सकते जो लगातार हमारे साथ संघर्ष कर रहे हैं. यूक्रेन के लोग भोले नहीं हैं.

- जेलेंस्की ने कहा कि रूस पर भरोसा करने का कोई कारण नहीं है. 34 दिन से जारी युद्ध और डोनबास में 8 साल से चल रहे संघर्ष ने हमें सिखा दिया है कि सिर्फ ठोस नतीजे पर ही भरोसा किया जा सकता है.

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